कुशीनगर के वैज्ञानिक वैभव ने अलग-अलग क्षेत्रों की जलवायु के आधार पर रोगरोधी और ज्यादा पैदावार क्षमता वाली गेहूं की 20 नई प्रजातियां बनाई है। इसके लिए इंडियन सोसाइटी ऑफ जेनेटिक एंड प्लांट ब्रीडिंग (आईएसजीपीबी) से फैलोशिप मिली है। देश के कुल 11 कृषि वैज्ञानिकों को यह फेलोशिप दी गई है।
प्रजाति पूर्वी यूपी और पश्चिम बिहार के अनुरूप
वैभव भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली में कृषि वैज्ञानिक (शोध) के पद पर हैं। उन्होंने एचडी 3178 पूजा वत्सला, एचआई 8737 पूजा अनमोल, एचडी 3226, एचडी 3271 सहित गेंहू की 20 प्रजातियां निर्मित की है। एचडी 3226 व एचडी 3271 प्रजाति पूर्वी यूपी और पश्चिम बिहार के जिलों की जलवायु के अनुरूप हैं।
नई प्रजातियों की खास बात
वैभव ने बताया कि नई प्रजातियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता उच्च स्तर की है। जिससे पैदावार बढे़गी और लागत भी कम। उन्होंने बताया कि देश की जनसंख्या 2050 में लगभग 1.7 अरब हो जाएगी। उस समय बड़े अनाज भंडार की जरूरत होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञानिकों के सामने यह एक बड़ी समस्या है।दूसरी चुनौती जलवायु में निरंतर हो रहे बदलाव की है। कम लागत व कम अवधि में पकने वाली गेहूं की प्रजाति विकसित करने पर शोध चल रहा है। इस बात पर भी जोर है कि संभावित प्रजातियां देश के सभी प्रदेशों की जलवायु, मिट्टी और वातावरण में समान रूप से विकसित हों।