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बालाघाट के परसवाड़ा के ग्राम डेंडवा की रहने वाली मेनका उइके ने बकरी पालन के व्यवसाय से खुदको आत्मनिर्भर बना लिया हैं, जिसने से अपना जीवन ही बदल लिया है। इस व्यवसाय से कम समय में ही उन्हें बेहतर आय मिलनी शुरू हो गई है, जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है, वह 6 माह में ही 38 हजार रुपए की कमाई कर लेती हैं।
गांव वालों को भी कर रही प्रेरित
मेनका बकरी पालन से बहुत संतुष्ट और खुश है, इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी हद तक सुधर गई है। अब वह गांव के लोगों को भी बकरी पालन के लिए प्रेरित कर रहीं हैं और इसे एक व्यवसाय की तरह अपनाने की गुहार भी लगा रहीं हैं ताकि वे भी कम समय में थोड़ा निवेश कर भविष्य में अच्छा पैसा कमा सकें।
चिकित्सालय से मिला प्रोत्साहन
पशु चिकित्सालय बोदा के चिकित्सक ने मेनका को बकरी पालन की सलाह दी और बैंक से लोन दिलवाया। लोन के पैसों से उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू कर दिया। इस व्यवसाय से कम समय में हुई आय ने उनके परिवार के अच्छे दिन ला दिए है।
2016 में शुरू किया था व्यवसाय
वर्ष 2016-17 में मेनका को 10 बकरियों और 1 बकरे की इकाई के लिए बैंक से 77 हजार 546 रुपए का लोन दिलाया गया, जिसमें से आधा पैसा पशु चिकित्सा विभाग ने सब्सिडी के रूप में दिया गया। मेनका को बकरी पालन के लिए इकाई की कुल लागत का मात्र 10 फीसदी लगाना पड़ा। बैंक से लोन मिलते ही मेनका ने 10 देशी प्रजाति की बकरियां और जमनापारी नस्ल का एक बकरा खरीदा।
पशु चिकित्सा विभाग से मिली मदद
पशु चिकित्सा विभाग ने उसकी बकरियों के लिए 3 महीने का चारा उपलब्ध कराया और साथ ही बकरियों का 5 साल का बीमा भी कराया सिर्फ 6 महीने में ही मेनका की बकरियों ने 8 मादा और 7 नर बच्चों को जन्म दे दिया है। बकरियों के बच्चे बड़े होने पर उनकी कीमत 52 हजार रुपए हो गई।