बोल हरि बोल : कोई नींद में था, किसी को सुबह पता चला कि डॉक्टर साहब ने इलाज कर दिया...

डॉक्टर साहब ने पुलिस को भी डोज दिया है। बहुप्रतीक्षित आईपीएस अधिकारियों के तबादले की लिस्ट भी बाहर आ गई। यह भी आधी रात को ही सन्न से आई। 21 अफसरों की बदली की गई है। इसमें जो सबसे गजब केस है, वह एसपी और एडीजी साहब वाला है।

Advertisment
author-image
Harish Divekar
New Update
 बोल हरि बोल
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

आ गई, आ गई... तबादला सूची आ गई। शनिवार की अलसाई सी रात में जब अफसर सोने की तैयारी कर रहे थे, तभी अचानक फोन घनाघना उठे। 'अरे उन्हें हटा दिया... लिस्ट देखी क्या... ये अच्छा हुआ… कुछ इसी तरह की बातचीत का दौर अफसरशाही में रात तक चलता रहा। जिनकी कलेक्टरी और कप्तानी गई, वे चिंता में आ गए। डॉक्टर साहब ने जिन्हें नवाजा, उनके चेहरे चमक उठे।

कुल मिलाकर साहबों की रात करवटें बदलते कटीं। इतवार वाली घोर छुट्टी के बाद भी अल सुबह से दोपहर तक सूची ही सुर्खियों में है। 47 आईएएस और आईपीएस में कई तो ऐसे रहे, जिन्हें सुबह नींद खुलने पर पता चला कि डॉक्टर साहब ने उनकी 'सर्जरी' कर दी है। 
नेतानगरी में अब एक और सूची का इंतजार है और वह है प्रभारी मंत्रियों की। तो भईया हम बता देते हैं कि ये भी तैयार है। जल्दी ही बाहर आएगी। बस इस बात के गुणा भाग लग रहे हैं कि कहीं कोई माननीय नाराज न हो जाए।

खैर, देश प्रदेश में खबरें और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए… 

26 का फेर… हो गया खेल

घुप्प रात में जब 26 का आंकड़ा आया तो हर कोई ​चकित रह गया। हां भैया! 26 ऐसे हैं कि डॉक्टर साहब ने 26 आईएएस को इधर से उधर कर दिया है। अब इस इधर और उधर के भी अपने मायने हैं। शहडोल से आई सांठ गांठ की शिकायतें कलेक्टर साहब के लिए भारी पड़ गईं।

बीजामंडल का विवाद विदिशा कलेक्टर को ले डूबा। सिन्हा साहब के मामले में मंत्रीजी की नाराजगी बड़ी वजह रही। चंबल संभाग वाले झा साहब तो अभी अच्छे से सेट भी नहीं हुए थे कि डॉक्टर साहब ने ठिकाना बदल दिया। वे 7 महीने में ही हटा दिए गए। डॉक्टर साहब को यहां से भी शिकायतें मिली थीं। पूरा गणित जानने समझने के लिए आपको द सूत्र की यह खास खबर पढ़नी ही होगी। लिंक ठीक नीचे ही साझा किया है…

ये खबर भी पढ़िए...आईएएस अफसरों के तबादले की अंतर्कथा... 

यह भी गजबई हुआ है...

डॉक्टर साहब ने पुलिस को भी डोज दिया है। बहुप्रतीक्षित आईपीएस अधिकारियों के तबादले की लिस्ट भी बाहर आ गई। यह भी आधी रात को ही सन्न से आई। 21 अफसरों की बदली की गई है। इसमें जो सबसे गजब केस है, वह एसपी और एडीजी साहब वाला है। हुआ कुछ यूं है कि एसपी साहब और एडीजी सागर साहब की पटरी नहीं बैठ रही थी।

कप्तान साहब तो वहीं के वहीं हैं, पर सागर साहब नप गए। ग्वालियर चंबल में आईएएस और आईपीएस पति-प​त्नी यूं तो एक साथ रह सकेंगे, लेकिन साहब अब कप्तान नहीं रहे। क्या है कि मैडम कलेक्टर हैं। ऐसे में साहब को मैन स्ट्रीम से हटाकर बटालियन में भेज दिया गया है। 

ये खबर भी पढ़िए...अंदर खाने की पूरी कहानी समझने के लिए पढ़ें द सूत्र की यह खास खबर...

युवा आईएएस अफसरों में ये डर कैसा?

मैदान में पदस्थ युवा आईएएस अफसरों में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में शिकायत को लेकर खासा खौफ है। इस वजह से कलेक्टर- नगर निगम ​कमिश्नर के पद पर पदस्थ युवा अफसर फाइलों पर आगे बढ़कर फैसले नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला विंध्य के एक जिले का है। यहां की महिला आईएएस आदिवासियों की जमीनों की खरीदी-बिक्री की अनुमति देने की फइलों पर कोई फैसला नहीं कर रही हैं।

इससे क्षेत्र में खनिज की लीज देने के मामले अटक गए हैं। इस मामले में नेताओं ने कलेक्टर की मंत्रालय में चुगली कर दी है। इसी तरह का एक मामला पिछले दिनों आया था। एक नगर निगम कमिश्नर ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से कह दिया था कि लोकायुक्त और ईओडब्लयू में शिकायतें होती हैं, इ​स​लिए लीज पर जमीन देने के मामले में वो निर्णय नहीं ले रहे। इस पर मंत्री ने फटकार भी लगाई थी।

क्या फिर बच पाएंगे एसपी साहब 

जांच एजेंसी में पदस्थ एसपी साहब की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, एक बार मालिक ने प्र​ता​ड़ना के नाम पर जान दे दी थी। मामला पुराना है। अब बताया जा रहा है ​कि बार मालिक का सुसाइड नोट सामने आ गया है। इसमें जांच एजेंसी के एसपी सहित किसी मेहता का नाम है।

अंदरखानों का तो ये भी कहना है कि ये एसपी साहब मेहता के साथ एक बार में पार्टनर भी हैं। अब देखते हैं ​कि एसपी साहब क्या अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके सुसाइड नोट को मैनेज कर पाते हैं या नहीं? क्योंकि साहब इसके पहले इस मामले की जांच को दबा चुके हैं। मृतक की पत्नी इस मामले में कानूनी सलाह ले रही है, ताकि इस बार एसपी साहब बच न सकें।

पहला और दूसरा डब्ल्यू… वह जांच!

जब बात खुद पर ही आ जाए तो डब्ल्यू, एक्स, वाय, जेड हो जाता है। नहीं समझे आप। हुआ है कि सूबे में भ्रष्टाचार के एक मामले में दो विभाग आमने-सामने आ गए हैं। पहले डब्ल्यू वाला ईओडब्ल्यू इस मामले में दूसरे डब्ल्यू वाले पीडब्ल्यूडी के अफसरों और कंपनी मालिक ठेकेदार की जांच करना चाहता है, पर पीडब्ल्यूडी इसके लिए तैयार नहीं है।

 उल्टा उसने जांच एजेंसी को कानून का पाठ पढ़ा दिया है। माजरा ऐसा है कि अब तक इस प्रोजेक्ट में 47 प्रतिशत काम हुआ है, पर भुगतान 213 प्रतिशत कर दिया गया। खास यह है कि इस मसले के बारे में मंत्रीजी को खबर नहीं है। कुल मिलाकर ईओडब्ल्यू और पीब्ल्यूडी में ठन गई है। देखना दिलचस्प होगा कि कौन जीतेगा?

राजा साहब ने दिखा दिए सबूत!    

मंत्रीजी ने कागज देख देखकर भयंकर भाषण दिया सदन में, पर विपक्ष के नेताजी ने उनके आरोपों को सबूत बताते हुए खारिज कर दिया। मामला दिल्ली का है। किसानों पर बात हो रही थी। बड़े सदन में नेताजी पूरे दखखम के साथ बात रख रहे थे। मेज थपथपाई जा रही थीं। फिर जब वहां के वीडियो सामने आए तो राजा साहब नाराज हो गए।

उन्होंने मंत्रीजी को आईना दिखाते हुए पूरी सच्चाई बता डाली। साथ ही नसीहत दी कि बतौर मंत्री आपको ऐसी बातें शोभा नहीं देती हैं। फिर क्या था...नेता​नगरी में आरोप- प्रत्यारोप का दौर तो चलता ही रहता है। मंत्रीजी की ओर से भी दोबारा कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। 

अध्यक्ष जी की खुल गई पोल

वक्फ पर सदन में बिल आया तो मीडिया यहां उसकी संपत्तियां खोजने लगी। जानकारी के​ लिए जब अध्यक्ष जी को फोन लगाए गए तो उन्होंने प्रेसवालों को टरका दिया। इंदौर वालों का फोन आया तो कह दिया कि भोपाल में हैं और भोपाल वालों ने कॉल किया तो कह दिया इंदौर में हैं। कुल मिलाकर अध्यक्ष जी वक्फ के संशोधन बिल पर बयान देने से बचते नजर आए। इसकी पोल तो तब खुल गई जब पहले वाले अध्यक्ष जी ने हकीकत बयां कर दी। जब मीडिया ने पहले वाले अध्यक्ष जी को फोन किया तो उन्होंने बता दिया कि अभी वाले अध्यक्ष जी तो भोपाल में ही थे। पता नहीं क्यों कुछ नहीं कह रहे।

thesootr links

 

  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें 

 

 

BOL HARI BOL बोल हरि बोल Bol Hari Bol Harish Divekar bol hari bol 11 august