रजनीकांत के फैंस उनकी पूजा करते हैं, रील में जैसे भी दिखें, रियल में असली रूप ही दिखते हैं, बस कंडक्टर से थलाइवा बनने की कहानी

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नमस्कार दोस्तो, मैं अतुल हूं। आज शनिवार है और शनिवार है यानी कहानी सुनाने का वादा है। आज भी आपके सामने एक कहानी मौजूद हूं। यह कहानी है। एक ऐसे लड़के की जिसके पास ना तो हीरो जैसी कदकाठी थी, ना ही हीरो जैसा लुक था। ना ही कोई चार्मिंग फेज, ना ही six pack abs। सिर्फ और सिर्फ अपने talent के दम पर उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत की। फिर बुलंदियों की उन ऊंचाइयों को छुआ, जहां पहुंचना हर किसी के लिए सपना होता है। अपनी खास स्टाइल, गजब के स्क्रीन प्रेजेंस और दमदार एक्टिंग के चलते तमिलनाडु में उनका सिक्का चलने लगा। देखते ही देखते वे तमिल फिल्मों के थलाइवा यानी नंबर वन सुपरस्टार बन गए। बाद में उन्होंने तेलुगू , मलयालम, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में अपना नाम बनाया। फिर धीरे-धीरे पूरे देश में मशहूर हो गए। 

अगर एक आम इंसान सुपरस्टार बन जाता है तो जरा सोचिए कि उसने यहां तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष किया होगा। आज की कहानी एक ऐसे ही सुपरस्टार, मेगास्टार रजनीकांत के बारे में है। दो दिन बाद उनका जन्मदिन आने वाला है। उन्होंने पहले कुली, कारपेंटर की नौकरी की, बस कंडक्टर भी रहे। आज की कहानी को मैंने नाम दिया है- The Boss.....

रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु, मैसूर में हुआ। इनका जन्म एक मराठी फैमिली में हुआ। इनका नाम भी मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी के नाम पर ही रखा गया। इनका असली नाम ‘शिवाजी राव गायकवाड़’ है। उनके गांव का नाम मावड़ी कादे पत्थर है जो महाराष्ट्र में आता है। इनकी upbringing कर्नाटक में हुई। यह इत्तेफाक की बात है कि रजनीकांत ने तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, हिंदी, अंग्रेजी, यहां तक की बंगाली फिल्मों में भी काम किया। लेकिन इन्होंने अपनी mother tongue यानी कि मराठी भाषा में की किसी भी फिल्म में काम नहीं किया। इनके पिता जी का नाम रामोजी राव गायकवाड था। जो कि पुलिस विभाग में कांस्टेबल थे। वहीं इनकी माता जी का नाम रमाबाई था। जो एक गृहणी थी। 9 साल की उम्र में ही रजनीकांत के मां का निधन हो गया था। 

रजनीकांत की शुरुआती एजुकेशन गवर्नमेंट मॉडल प्राइमरी स्कूल, गवीपुरम, बेंगलुरु से पूरी हुई। बचपन से ही रजनीकांत शरारती और पढ़ाई में काफी तेज थे। इनकी क्रिकेट, फुटबॉल और बास्केटबॉल अच्छी खासी दिलचस्पी थी। इसी दौरान इनके भाई ने इन्हें ‘रामकृष्ण मठ’ में भेज दिया। यहां पर रजनीकांत ने वेद, पुराण, भारत के इतिहास और भारत की संस्कृति की शिक्षा ग्रहण की। इनका मन तब meditation और spirituality में लगने लगा। आज भी रजनीकांत, अपनी हर फिल्म के release होने के बाद, हिमालय चले जाते हैं। जहां पर वह कुछ दिनों की छुट्टियां मनाते हैं। इनको वहां पर काफी सुकून महसूस होता है। 

रजनीकांत मठ के अंदर ही, नाटकों में एक्टिंग करने लगे। यहीं से रजनीकांत के अंदर acting का बीज पनपा। इसी मठ में इन्हें महाभारत के एक प्ले में एकलव्य के दोस्त का रोल निभाने का मौका मिला। इसमें कन्नड़ के महान कवि डॉक्टर बेंद्रे ने इनके performance की काफी तारीफ की। रामकृष्ण मठ में वे छठवीं तक पढ़े। आगे चलकर इन्होंने आचार्य पाठशाला पब्लिक स्कूल में अपना दाखिला ले लिया। यहां से इन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी की। यहां पर भी रजनीकांत नाटकों में हिस्सा लिया करते थे।

रजनीकांत के घर की स्थिति, काफी कमजोर थी। इसलिए इन्होंने पढ़ाई पूरी करते ही परिवार की आमदनी में हाथ बंटाना शुरू किया। किसी reputed job के ना मिलने पर इन्हें बहुत कम salary वाली नौकरियां भी करनी पड़ीं। आज भगवान माने जाने वाले रजनीकांत को तब पैसों के लिए का कुली का काम करना पड़ा। कुली के काम से, इन्हें कोई खास आमदनी नहीं हो रही थी, इसलिए carpenter का काम भी शुरू कर दिया। इन दोनों कामों से भी इनकी आमदनी कितनी नहीं हो रही थी कि यह एक अच्छी जिंदगी जी सकें आखिरकार काफी परिश्रम के बाद इन्हें Bangalore Transport Service (BTS) में job मिल गई। रजनी के लिए यह एक बड़ी कामयाबी थी। क्योंकि इस job में उन्हें ज्यादा आमदनी होती थी।

इस नौकरी के दौरान ही रजनी को कन्नड़ प्ले राइटर गोपी मुनियप्पा ने Mythological Play के लिए offer किया। वे मान गए। फिर लगातार अलग-अलग प्ले में काम करते रहे। आगे चलकर इन्हें ‘मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट’ के बारे में पता चला। रजनीकांत यहां से acting सीखना चाहते थे, लेकिन परिवार इस फैसले के खिलाफ था। उस समय एक दोस्त राजबहादुर हमेशा इनके साथ रहे, जिन्होंने इन्हें financially काफी सपोर्ट भी किया। दोस्त ने ही दाखिला एक्टिंग स्कूल में करवाया। 

जब रजनीकांत ‘मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट’ से acting सीख रहे थे। इसी दौरान इन्होंने एक नाटक में दुर्योधन का रोल निभाया। तभी इनके ऊपर डायरेक्टर के बालाचंदर की नजर पड़ी। बालाचंदर उनके काम से काफी ज्यादा impress हुए। उन्होंने इन्हें तमिल सीखने के लिए कहा। रजनीकांत ने तुरंत ही तमिल सीखनी शुरू कर दी। एक रात रजनीकांत चुपचाप घर से भाग गए। यह चेन्नई में बालाचंदर से मुलाकात की।

बालाचंदर ने रजनीकांत को ‘Apoorv Rashangal’ फिल्म के लिए साइन किया। इस फिल्म के हीरो कमल हसन थे। इस फिल्म में रजनी ने Abusing Husband का किरदार निभाया। इस फिल्म को 3 नेशनल अवार्ड मिले। इसमें रजनीकांत काफी impressive लगे। यह रजनीकांत की पहली फिल्म थी, जबकि कमल हसन 20 से ज्यादा फिल्मों में काम करके पॉपुलर हो चुके थे। हालांकि इसी फिल्म से कमल हसन को भी बड़ी सफलता मिली। रजनीकांत अपनी ज्यादातर शुरुआती फिल्मों में negative role में नजर आए। 

रजनीकांत अपने स्ट्रगल के दिनों में काफी शराब पीने लगे थे। लेकिन एक बार बालाचंदर ने पकड़ लिया। रजनीकांत को काफी डांटा। फिर इन्होंने हमेशा के लिए शराब छोड़ दी। कमल हसन ने रजनीकांत को समझाया कि ऐसे ही अगर सपोर्टिंग और नेगेटिव रोल करते रहोगे तो हीरो कभी नहीं बन पाओगे। आपको लीड रोल में फोकस करना चाहिए। इसके बाद 1980 तक रजनीकांत ने 50 फिल्मों में काम किया। इन फिल्मों में तमिल, तेलुगू और कन्नड़ भाषा की फिल्म में शामिल है। काफी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। इनके स्टाइल और एक्टिंग का एक अलग ही craze बन गया।

 रजनीकांत के फिल्मी कैरियर के दौरान मुलाकात लता रंगाचार्य से हुई। जो अपने कॉलेज की मैगजीन के लिए इंटरव्यू लेने आई थी। इसके बाद भी रजनीकांत और लता का मिलना होता रहता था। धीरे-धीरे रजनीकांत को लता से प्यार हो गया। 26 फरवरी 1981 को उन्होंने तिरुपति, आंध्र प्रदेश में शादी कर ली। दो बेटियां हुईं। उनकी बड़ी बेटी का नाम ऐश्वर्या और छोटी बेटी सौंदर्या है। 

रजनीकांत, अमिताभ बच्चन को अपनी inspiration भी मानते हैं। रजनीकांत ने अमिताभ बच्चन की कई फिल्म का remake किया। जिसमें अमर अकबर एंथोनी, मजबूर, नसीब, लावारिस और डॉन जैसी कई फिल्में शामिल हैं। डॉन की रीमेक गई ‘बिल्ला’ रजनीकांत के career में मील का पत्थर साबित हुई। यह फिल्म सुपर-डुपर हिट रही। इससे रजनीकांत रातों-रात सुपरस्टार बन गए। अब कमल हसन को पीछे छोड़कर टॉप एक्टर consider किया जाने लगा। 

रजनी सर ने हिंदी सिनेमा में ‘अंधा कानून’ से डेब्यू किया। उस समय तक, रजनीकांत ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री में, बहुत अच्छी position बना ली थी। 2000 तक आते-आते रजनीकांत ने Commercial Stardom हासिल कर लिया था। रजनीकांत एक ऐसा नाम बन गए कि वो जिस फिल्म में होंगे वो हिट होगी ही। रजनीकांत की एक फिल्म मुथु आई, जिसने भारत में ही नहीं, बल्कि जापान के बॉक्स ऑफिस पर भी खूब धूम मचाई। इस फिल्म ने जापान में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। इसी कारण उन्हें जापान की भी fan following मिल गई। रजनीकांत की रोबोट उस समय भारत की सबसे महंगी फिल्म थी। रजनी की एक फिल्म बाबा आई थी। ये पॉलिटिकल करप्शन पर बेस्ड थी। इसे उन्होंने ही लिखा था। लेकिन फिल्म बुरी तरह पिट गई। रजनी की महानता देखिए कि उन्होंने प्रोड्यूसर के नुकसान की भरपाई अपने पैसों से की। साउथ की फिल्मों में रजनीकांत के सिगरेट पीने पर सवाल उठने लगे। कहा जाने लगा कि रजनीकांत साउथ के युवा को बर्बाद कर देंगे। इसी वजह से, जिन theater में उनकी फिल्म लगती। उन theater के poster को जला दिया जाता था। यह रजनीकांत के लिए, बिल्कुल भी अच्छा समय नहीं था। इन चीजों से उबरने के लिए, उन्होंने फिल्मों से थोड़ा दूर होने का फैसला किया। वह हिमालय की यात्रा करने चले गए।

रजनीकांत को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। रजनीकांत पहले ऐसे एक्टर हैं, जिनको Central Board of Secondary Education (CBSE) में जगह मिली, क्योंकि रजनीकांत के बारे में एक नया lesson From Bus Conductor To Superstar को किताब में जोड़ा गया। रजनीकांत ने राजनीति में आने का ऐलान किया था, लेकिन फिर पार्टी नहीं लाने की घोषणा कर दी। चेन्नई के पोएस गार्डन में उनका बंगला है। उन्हें नई और पुरानी कार रखने का शौक है। इनके पास बाइक की भी कलेक्शन है। रजनीकांत खूब दान करते हैं, लेकिन सुर्खियों में आना पसंद नहीं करते। कहते हैं कि उनके पास कोई भी मदद के लिए जाता है तो वे खाली हाथ नहीं लौटाते।

रजनीकांत के किस्से अपने आप में अद्भुत होते हैं। 2015 में शिवाजी- द बॉस फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी। फिल्म के सफल होने के कुछ दिन बाद रजनीकांत एक मंदिर में गए। हमेशा की तरह साधारण कपड़ों में थे। मंदिर में माथा टेकने के बाद वे कुछ देर विश्राम करने के लिए मंदिर के प्रांगण में एक खंबे के नीचे बैठे हुए थे। रजनी बिल्कुल आडंबर नहीं करते। जैसे रील में दिखते हैं, रियल में जस्ट उलट हैं। तो एक महिला आई जो रजनीकांत को इस साधारण रूप में नहीं पहचानती थी, उन के साधारण कपड़ों और रंग-रूप को देखकर उस औरत ने उन्हें भिखारी समझ लिया और उनको 10 रुपए दान करने चाहे। रजनीकांत पहले तो थोड़ा चौंकें लेकिन फिर स्थिति भांप गए और मुस्कुराते हुए 10 रुपए ले लिए।

संयोग से कुछ देर बाद उस महिला ने रजनीकांत को लोगों की भीड़ के बीच अपनी पोर्श कार में बैठते हुए देखा। वह सारा माजरा समझ गयी। दौड़ कर रजनीकांत के पास गयी और भूल के लिए माफी मांगी और अपने दस रुपए वापिस मांगे। रजनी बोले कि आपका मुझे दस रुपए देना एक तरह से परमात्मा के आशीर्वाद की तरह है। रजनी ने बाद में बताया था कि उस महिला ने मुझे एक बार फिर से यह अहसास कराया कि उसके लिए मैं एक सुपर स्टार नहीं बल्कि आज भी एक साधारण आदमी ही हूं। उसने ये शिक्षा दी कि आप कितने भी अमीर हो जाएं, लेकिन परमात्मा के द्वार पर भिखारी की तरह हैं।

रजनी का एक और किस्सा है। 2010 में रजनी और ऐश्वर्या रोबोट में एक-दूसरे के अपोजिट नजर आए थे। रोबोट के डायरेक्टर एस शंकर ने जब रजनीकांत के साथ ऐश्वर्या को लेने की बात बताई थी तो वे काफी असहज हो गए थे। फिल्म करते समय भी उनका यही हाल रहा, क्योंकि ऐश्वर्या उनके अच्छे दोस्त अमिताभ बच्चन की बहू थीं। रजनी सर ने फिल्म की लॉन्चिंग पर बताया था कि एक बार अपने भाई से मिलने बेंगलुरु गए हुए थे। वहां उनके पड़ोस में रहने वाला राजस्थानी फैन उनसे मिलने आया। फैन की उम्र करीब 60 साल थी। उन फैन ने रजनी से पूछा- क्या हाल..बाल-वाल सब क्या हो गया। रजनीकांत बोले- बाल तो सारे चले गए। फैन बोला- तो बोला अब रिटायरमेंट लाइफ के मजे ले रहे हो। फिर रजनी ने कहा कि अभी एक फिल्म कर रहा हूं। फिर फैन ने हीरोइन का नाम पूछा। रजनीकांत ने ऐश्वर्या का नाम बताया। ऐसा कहते ही फैन उन्हें 10 मिनट घूरता रहा, फिर बोला- तुम हीरो हो और फिर बिना कुछ बोले चला गया। बाद में उसने घर जाकर ये भी कहा कि ऐश्वर्या राय, अभिषेक और अमिताभ बच्चन को क्या हो गया है जो ऐश्वर्या इनकी हीरोइन बन रही हैं। ये किस्सा सुनकर अमिताभ भी काफी हंसे थे।

रजनी के बारे में कहा जाता है कि जब भी उन्हें वक्त मिलता है या फिर उन्हें कुछ नया शुरू करना होता है, उससे पहले वह शांति की तलाश में हिमालय का रुख करते हैं। कई दफा उन्हें उत्तराखंड के अलग-अलग पहाड़ी इलाकों में स्पॉट भी किया गया है, हालांकि इनमें से अधिकांश दफा लोग रजनीकांत को पहचान भी नहीं पाते। एक बार रजनीकांत अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के योगदा आश्रम पहुंचे। इस योग केन्द्र में रजनी की अगाध आस्था है और वह यहां दो-तीन दफा योग क्रियाएं सीखने भी आ चुके हैं। इस यात्रा के दौरान रास्ते में कई जगह पर रजनीकांत की गाड़ी रुकी, लेकिन लोग उन्हें पहचान ही नहीं सके। लोगों को लगा कि कोई आम मद्रासी उत्तराखंड घूमने के लिए पहुंचा हुआ है। एक बार वे बद्रीनाथ पहुंच गए थे। जब स्थानीय पत्रकारों को मंदिर के पंडों से रजनीकांत के बदरीनाथ पहुंचने की खबर लगी तो वह दौड़े-भागे मंदिर तक पहुंचे, लेकिन तब तक रजनीकांत जा चुके थे। उसके बाद सिवाय किस्सों के कुछ नहीं रह गया था। लोग एक-दूसरे को बता रहे थे कि 'वो यहीं तो बैठे थे' या फिर 'अरे मैं पहचान ही नहीं पाया...मजाक तो नहीं कर रहे ना! वो रजनीकांत ही थे?' दरअसल लोगों को ये यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि उनके बीच एक सुपरस्टार चंद मिनट पहले सादगी से बैठा हुआ गप्पें मार रहा था। प्रकृति, मंदिर और शांति की बातें कर रहा था। रजनी आम दिनों में ऐसे ही बेहद सादी जिदंगी जीते हैं। सफेद धोती और सफेद शर्ट पहने हुए रजनी सड़क किनारे ही अपने दोस्तों के साथ खाना खाते हुए भी कई दफा नजर आए हैं। वो कभी आपके शहर में भी लुंगी पहने सड़क पर दिख सकते हैं और शायद आप पहचान ना पाएं। बस यही थी आज की कहानी.......