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NEW DELHI. डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस समय एक डॉलर की विनिमय दर (Dollar To INR Exchange Rate) करीब 80 रुपए हो चुकी है। ऐसे में इसका आम आदमी की जेब पर क्या असर पड़ने वाला है? आइए जानते हैं...
बाहर से आने वाली चीजें महंगी होंगी
भारत निर्यात (Export) के मुकाबले आयात(Import) ज्यादा करने वाला देश है। यानी ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिनके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर करते हैं। इनमें पेट्रोलियम उत्पाद के साथ-साथ खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक गुड्स महत्वपूर्ण है। ऐसे में अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपए के स्तर तक पहुंच गया है, इसका मतलब हम इन सामानों के आयात के लिए ज्यादा पैसा खर्च करेंगे। जाहिर है कि घरेलू स्तर पर इनके दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।अगर ऐसा होता है तो आपके किचन में इस्तेमाल होने वाले सरसों और रिफाइंड तेल से लेकर गाड़ी डलने वाला पेट्रोल और मोबाइल और लैपटॉप सब महंगे हो जाएंगे। इसके अलावा जिन भी पैकेज्ड वस्तुओं में खाने के तेल का इस्तेमाल होता है, वो भी महंगी हो जाएंगी- जैसे आलू चिप्स, नमकीन वगैरह।
विदेश में पढ़ाई पर असर
रुपए की कमजोरी सिर्फ घर में महंगाई नहीं बढ़ाएगी, बल्कि भारत से जो बच्चे विदेश पढ़ने गए हैं, उनके मां-बाप के लिए भी सिरदर्द बनेगी। विदेश में पढ़ाई कर रहे बच्चों को अगर उनके माता-पिता पहले हर महीने 70,000 रुपए भेज रहे थे, तो अब डॉलर में उतनी ही रकम बच्चों को भेजने के लिए उन्हें करीब 80,000 रु. भेजने होंगे। यानी महीने का खर्च सीधा 10 हजार रुपए बढ़ गया।
बढ़ रहा देश का व्यापार घाटा
RBI के मुताबिक, कई अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से रुपए में लगातार गिरावट देखी जा रही है। वैश्विक स्तर पर महंगाई अपने चरम पर है, तो वहीं अमेरिका में तो ये अपने 41 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserve) में तेजी से गिरावट आई है। रुपए को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन ये कोशिशें नाकाफी हैं।
वहीं देश का व्यापार घाटा भी बढ़ा है। जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा, भले इस अवधि में देश का एक्सपोर्ट 23.5% बढ़ा, लेकिन इसके मुकाबले में आयात कहीं और ज्यादा बढ़ गया। जून 2022 में देश का आयात सालाना आधार पर 57.55% बढ़ गया। ऐसे में व्यापार घाटा (India's Trade Deficit) भी बढ़ा है। जून 2021 में भारत का व्यापार घाटा महज 9.60 अरब डॉलर था। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के कुछ दिनों बाद ही रूपए में गिरावट देखी जा रही है। यह मार्च में पहली बार 77 रूपए प्रति डॉलर पर पहुंच गया था। तब से लगातार निम्न स्तर की ओर बढ़ रहा है।
ऐसे गिरता रहा रुपया
आजादी समय भारतीय रुपए को पौंड से आंकते थे। इसका डॉलर से मूल्य देखें तो 1947 में 1 डॉलर 4.16 रुपए का था। 1966 में डॉलर से रुपए लिंक हुआ, तब यह 7.50 रुपए का हो गया। उदारीकरण समय 1991 में 25 रुपए हुआ। नोटबंदी पर तेजी से गिरा और 67 रुपए से 71 हो गया।