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Delhi. डॉलर के मुकाबले रुपए में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है और ये 21 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ खुला है। 9 मई को डॉलर के मुकाबले रुपया 77.13 रुपये प्रति डॉलर पर खुला है और 6 मई को ये 76.92 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। रुपए में देखी गई ये अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है और रुपया अपने ऑल टाइम लो लेवल पर आ गया है। रुपए के गिरने के पीछे निवेशकों का सुरक्षित ग्लोबल बाजारों में पैसा लगाने का फैसला, रूस-यूक्रेन युद्ध के यूरोप तक पहुंच जाने की आशंका और बढ़ती ब्याज दरों का असर शेयर बाजार पर आ रहा है। इसका असर रुपये के कारोबार पर भी देखा जा रहा है।
खुलते ही धड़ाम हुआ रुपया
बड़ी गिरावट के साथ खुलने के बाद अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कुछ ही देर में डॉलर के मुकाबले 77.17 पर खुला और कुछ ही देर में 77.42 पर आ गया। यह रुपए के पिछले बंद भाव के मुकाबले 52 पैसे की गिरावट है। यहां बता दें कि बीते सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार का भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 55 पैसे टूटकर 76.90 पर बंद हुई थी। इस बीच शेयर बाजार का बेंचमार्क इंडेक्स एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 1.06 फीसदी और बीएसई सेंसेक्स 1.09 फीसदी नीचे था।
अमरीकी डॉलर मजबूत
पिछले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व की 50-आधार-बिंदु दर वृद्धि और आने वाले महीनों में और अधिक दरों में बढ़ोतरी के मार्गदर्शन के बाद, रुपए को कम करने वाला प्रमुख कारक वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर में उछाल था। अमेरिकी ट्रेजरी की यील्ड लगातार वृद्धि ने डॉलर की मजबूती में योगदान दिया, पिछले कुछ दिनों में 10-वर्षीय यूएस ट्रेजरी नोट पर यील्ड लगभग 14 आधार अंक चढ़ गई। 10 साल की अमेरिकी यील्ड 3.17 फीसदी थी। डीलर्स के अनुसार घरेलू शेयर बाजारों में कमजोरी से भी रुपए में गिरावट आई।
फॉरेक्स रिजर्व 600 अरब डॉलर के नीचे
बता दें कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार कम होता जा रहा है, यह घटकर पहली बार 600 अरब डॉलर से नीचे पहुंच गया है। लगातार आठ हफ्ते से इसमें गिरावट दर्ज की जा रही है। बीती 29 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में फॉरेक्स रिजर्व 2.695 अरब डॉलर घटकर 597.73 अरब डॉलर रह गया है। इससे पहले 22 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में 3.271 अरब डॉलर की कमी के साथ विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 600.423 अरब डॉलर पर आ गया था।
विदेशी निवेशकों का रूठना
अमेरिकी डॉलर सूचकांक, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मुद्रा को मापता है, 104 के स्तर से टूट गया और 104.07 पर 20 साल के उच्च स्तर के करीब था। सूचकांक, जो 2022 में अब तक 8 फीसदी आसमान छू चुका है, पिछले सत्र में 103.79 पर बंद हुआ था। हाई अमेरिकी ब्याज दरें भारत जैसे जोखिम भरे उभरते बाजारों में असेट्स की अपील को कम करती हैं। विदेशी इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स ने पिछले कुछ महीनों में घरेलू इक्विटी को तेज गति से उतार दिया है, उनकी शुद्ध बिक्री 2022 में अब तक 1.3 लाख करोड़ रुपए है। कमजोर रुपया भारतीय परिसंपत्तियों से एफआईआई के रिटर्न को खा जाता है।
इस तरह पड़ेगा आम आदमी पर प्रभाव
यहां आपको बता दें कि रुपए में गिरावट का सबसे ज्यादा बुरा असर उन क्षेत्रों पर होगा, जहां आयात किया जाता है। कच्चे तेल की बात करें तो अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल भारत आयात करता है। ऐसे में रुपये की गिरावट से कच्चे तेल के आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च होगी। इसके अलावा उर्वरक और रसायन जिनका कि भारत बड़ा आयातक है वो रुपये की कमजोरी से महंगे हो जाएंगे। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक सामानों से लेकर आभूषण तक महंगे हो जाएंगे।