NEW DELHI. केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए GST नेटवर्क को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत लाने का फैसला किया है। इसके बाद अब जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क) से जुड़े आपराध के मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) सीधा दखल दे सकेगी। साथ ही GST नेटवर्क का पूरा डेटा भी ईडी से शेयर किया जा सकेगा। केंद्र सरकार ने जीएसटी नेटवर्क को पीएमएलए के तहत लाने के लिए शनिवार (8 जुलाई) को एक अधिसूचना जारी की है। ऐसे में जीएसटी में गड़बड़ी करने वाले व्यापारी, कारोबारी और फर्म के खिलाफ ED एक्शन ले सकेगी। सरकार की ओर से किए गए इस फैसले के बाद जीएसटी कलेक्शन में होने वाली अनियमितताओं को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकेगा, क्योंकि GST से जुड़े अपराधों की जांच ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के रूप में कर सकेगी।
PMLA में जीएसटी के कौन से अपराध होंगे शामिल
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना, फर्जी चालान आदि जैसे जीएसटी अपराध धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) में शामिल होंगे।
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2002 में लाया गया था पीएमएलए
बता दें कि काला धन अर्जित करने वालों पर लगाम कसने के लिए पीएमएलए साल 2002 में लाया गया था, जिसका मकसद गैर कानूनी काले धन को सफेद करने के तौर-तरीकों पर रोक लगाना है। यह कानून मनमोहन सरकार में साल 2005 में लागू हुआ। हालांकि इसमें समय-समय पर संशोधन किया गया, जिसमें ईडी की शक्तियां बढ़ीं। प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अधिकार मिले, जिसके तहत ईडी मनी लांड्रिग के मामलों में एक्शन लेती नजर आती है।
क्यों पड़ी जरूरत?
जुलाई 2017 में संसद के केंद्रीय हाल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश के लिए ‘एक राष्ट्र-एक कर’ के सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए जीएसटी लागू किया था। इसके बाद आने वाले कई साल में जीएसटी के चलते राजस्व में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिली थी। सरकार के तमाम कवायदों के बाद भी जीएसटी की अनियमितताओं को जब रोका जाना संभव नहीं हो सका तो इसी दिशा में मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए GST नेटवर्क को PMLA एक्ट के तहत लाने का निर्णय किया।