जीएसटी की दरों में बदलाव ( major changes GST rate ) का सालों से इंतजार कर रहे लोगों को जल्दी ही खुशखबरी मिल सकती है। चालू वित्त वर्ष के दौरान GST व्यवस्था में व्यापक बदलाव दिख सकता है। जिसमें GST ढांचे को मौजूदा चार स्लैब से घटाकर तीन स्लैब वाले ढांचे में बदला जा सकता है।
तीन GST रेट के सुझाव
मौजूदा समय में जीएसटी के चार स्लैब है, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी। जरूरी वस्तुओं पर शून्य फीसदी भी जीएसटी है जबकि सोने पर 3 फीसदी जीएसटी लगता है। हाई एंड मोटर व्हीकल्स पर जीएसटी सेस भी लगता है। एम्बिट कैपिटल ने सुझाव दिया कि केवल तीन जीएसटी स्लैब होना चाहिए जिसमें 5 फीसदी, 12 से 18 फीसदी के बीच का एक स्लैब और 28 फीसदी टैक्स रेट का स्लैब। जीएसटी कलेक्शन में 7 फीसदी हिस्सा जीएसटी सेस का है और इसे 2025-26 में भी खत्म कर दिया जाएगा इसकी संभावना नहीं दिखती है।
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गरीबों से ज्यादा अमीरों को GST छूट का लाभ
नेशनल इंस्टीच्युट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के मुताबिक कई चीजों पर जीएसटी छूटों को खत्म किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक जिन उत्पादों पर जीएसटी छूट दिया जा रहा है उसका बड़ा फायदा कम आय वाले वर्ग से ज्यादा अमीर परिवारों को मिल रहा है। गरीबों के कंजम्पशन बास्केट में शामिल आईटम्स में से 20 फीसदी से भी कम आईटम्स पर जीएसटी छूट मिलता है जबकि अमीरों के कंजम्पशन बास्केट के आईटम्स में ज्यादा सामानों पर जीएसटी छूट है।
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जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने से राज्यों की बढ़ेगी कमाई
जीएसटी रेट्स को तर्कसंगत बनाने का बड़ा फायदा राज्यों को होगा। उनकी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी क्योंकि औसत जीएसटी रेट बढ़ जाएगा। 7 फीसदी जो जीएसटी सेस से पैसा आता है वो राज्यों को नहीं दिया जाता है। इस रकम के जरिए राज्यों को जीएसटी रेवेन्यू में हुए नुकसान की भरपाई के लिए जो कर्ज लिया जाता है उसके भुगतान में खर्च किया जाता है। जीएसटी के औसत रेट बढ़ने से राज्यों की वित्तीय हालत में सुधार आएगी। वहीं रिपोर्ट में कहा गया कि 2021-22 से जीएसटी कलेक्शन में तेजी देखी जा रही है और आने वाले दिनों में भी जीएसटी कलेक्शन में तेजी बनी रहेगी
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