BHOPAL. राजधानी भोपाल में कल यानी सोमवार को एमपी एमएसएमई समिट 2023 का आयोजन होने जा रहा है। इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह समेत मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा और विभाग के आला अधिकारी शामिल होंगे। इसके साथ ही एक बार फिर प्रदेश की औद्योगिक क्षेत्र की जमीनों को फ्री होल्ड करने की मांग उठने लगी है। प्रदेश में बीजेपी सरकार रही हो या 15 महीने की कांग्रेस सरकार, दोनो ने ही कई बार औद्योगिक क्षेत्र की जमीनों को फ्री होल्ड करने की बात कही, वर्ष 2013 में सीएम शिवराज सिंह चौहान और वर्ष 2019 में तात्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ जमीन को फ्री होल्ड करने की बात कर चुके हैं, लेकिन ये सिर्फ कोरी घोषणाएं भर रही। राष्ट्र की जीडीपी में MSME यानी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग 45% का योगदान देती है, लेकिन देश के कुल फायनांस में इसे सिर्फ 19 से 20 प्रतिशत ही फायनांस मिला हुआ है। जमीन फ्री होल्ड होने की वजह से MSME को आसानी से लोन ही नहीं मिल पाता है।
जमीन फ्री होल्ड नहीं होने से बैंक देती है कम लोन
औद्योगिक क्षेत्र की जमीन फ्री होल्ड नहीं होने से जमीन का पहला अधिकार शासन के पास ही रहता है, जिसके कारण बैंक इस जमीन को बंधक बनाने से बचती है। कारण साफ है कि यदि रिकवरी की नौबत आती है तो बैंक इसे नहीं निलाम कर पाएगी। इसलिए बैंक बेहद कम लोन देती है, जबकि कोरोनाकाल के बाद MSME सेक्टर फायनांस की दिक्कतों से जूझ रहा है और यदि जल्द इसका समाधान नहीं हुआ तो 25 फीसदी उद्योग बंद होने की स्थिति में हो जाएंगे।
रोजगार पर भी पड़ेगा बड़ा असर
मध्यप्रदेश निर्माण सेक्टर में 1 लाख 10 हजार उद्योग हैं। इनमें सर्विस, ट्रेडिंग सहित अन्य सेक्टर मिला लिए जाए तो प्रदेश में करीब 50 लाख से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग हैं, जो प्रदेश में 40 प्रतिशत रोजगार देते हैं। ऐसे में जमीन फ्री होल्ड नहीं होने से MSME सेक्टर जो फायनांस की दिक्कतों से जूझ रहा है, उसका सीधा असर प्रदेश के रोजगार पर भी देखने को मिलेगा।
व्यापार और अर्थव्यवथा को मिलेगी मजबूती
MSME आर्गेनाइजेशन का मानना है कि यदि औद्योगिक क्षेत्र की जमीने फ्री होल्ड हो जाती है तो इससे व्यापार बढ़ेगा, जिससे रोजगार भी बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। साथ ही उद्योग चलाने वाले का बुढापा भी सुरक्षित हो जाएगा, क्योंकि रिटायरमेंट के बाद उसे फैक्ट्री की जमीन शासन को सरेंडर नहीं करनी होगी और वह इसे बेचकर बुढ़ापे के लिए पैसा जोड़ सकेगा।
MSME आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष विपिन जैन से खास बातचीत...
सवाल : जमीन फ्री होल्ड नहीं मतलब जमीन शासन की, तो प्रॉपर्टी टैक्स उद्यमी का देना कितना सही?
जवाब : जमीन जिला उद्योग केंद्र ने दी हो या एकेवीएन ने वह फ्री होल्ड नहीं है तो शासन की ही है। इस पर नगर निगम प्रॉपर्टी टैक्स नहीं ले सकता। हमारी एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में इसे लेकर याचिका भी लगाई है। ग्वालियर, सतना, रीवा में कई उद्यमियों को इस मामले में कोर्ट से स्टे भी मिल चुका है।
सवाल : प्रदेश में टैक्स की क्या स्थिति है और उससे असर क्या पड़ रहा है?
जवाब : मंडी टैक्स हो या स्टॉम्प ड्यूटी यह एमपी में अन्य प्रदेश से ज्यादा लिए जाते हैं। राइस मिल, दाल मिल या कपास उद्योग की बात करें तो यह दूसरे प्रदेशों में इसलिए जा रहे हैं, क्योंकि वहां मंडी टैक्स कम है।
सवाल : सरकार की योजना के अनुसार उद्योग के लिए 2 करोड़ का लोन तो आसानी से मिल रहा है फिर दिक्कत क्या है?
जवाब : फायनेंस का अपना रूख है, न्यू ग्रेजुएट से 3 साल की बैलेंस सीट मांगी जाती है, वह कहां से लाएगा। फिर सिबिल स्कोर का चक्कर फसा देते हैं। नए उद्यमी इससे हतोत्साहित होते हैं और उद्योग छोड़कर नौकरी ज्वाइन कर लेते हैं। ये सब लुभावने वादे हैं कुछ सरवाई करते हैं कुछ छोड़कर चले जाते हैं।
सवाल : 19 जून को एमपी एमएसएमई समिट 2023 का आयोजन है, क्या वहां आप अपनी समस्या रखेंगे?
जवाब : इस समिट का जो हमें आमंत्रण भेजा गया है उसमें कार्यक्रम की रूपरेखा तो है, पर वेन्यू यानी स्थान ही नहीं बताया गया कि आयोजन कहां है। संघ समर्थित उद्योगपतियों की एक विंग है जो वहां सरकार के समर्थन में ही बात करेगी। प्रदेश के एमएसएमई की समस्याओं को लेकर वहां चर्चा होगी ही नहीं।
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