Bankruptcy: किसी भी व्यक्ति को दिवालिया तभी माना जाता है, जब कानूनी तौर पर उसे दिवालिया घोषित किया जाता है. जैसे विजय माल्या के केस में हुआ है । ब्रिटेन की एक अदालत ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को दिवालिया घोषित कर दिया है । इससे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में भारतीय बैंकों के ग्रुप के लिये कर्ज में डूबी एयरलाइन किंगफिशर के ऊपर वसूली को लेकर वैश्विक स्तर पर उनकी प्रॉपर्टी जप्त करने की कार्रवाई होने का रास्ता साफ हो गया है । जानिए हमारे देश में दिवालियापन के क्या कानून है और दिवालिया घोषित होने के बाद क्या होता है ।
दिवालिया होने का मतलब-
किसी भी व्यक्ति को दिवालिया तभी माना जाता है, जब कानूनी तौर पर उसे दिवालिया घोषित किया जाता है. जैसे विजय माल्या के केस में हुआ है. अगर किसी व्यक्ति पर किसी और का कर्ज चढ़ा है और वह बिगड़ती वित्तीय स्थिति के कारण कर्ज चुकाने में असमर्थ है तो वह दिवालिया होने के लिए कोर्ट में आवदेन कर सकता है. विजय माल्या ने खुद को दिवालिया घोषित किए जाने की अर्जी दी थी.दिवालियापन एक वित्तीय स्थिति होती है । जब कोई शख्स या कंपनी अपने उधार को चुकाने या वापस भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो वह खुद को दिवालिया घोषित कर सकती है । देश के कानून के मुताबिक, अगर कोई शख्स 500 रुपए का उधार भी नहीं लौटा सकता तो आप उसके खिलाफ कोर्ट में दिवालियापन का मामला दर्ज करा सकते हो । हालांकि इसकी प्रक्रिया बहुत पेचीदा होती है.
2016 में शुरू हुआ था बोर्ड
देश में दिवालियापन के मामलों से संबंधित भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड की स्थापना 1 अक्टूबर 2016 को की गई थी ।यह एक नियामक निकाय है, जिसे दिवाला मामलों को रजिस्टर करने और उनका पर्यवेक्षण करने की शक्ति प्रदान है ।