छत्तीसगढ़ में ट्रेनों की ''लेट-लतीफी का संकट''! आगामी 2 सालों तक ट्रेनें विलंब से ही चलेंगी? पढ़िए द सूत्र की पड़ताल में क्या निकला

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छत्तीसगढ़ में ट्रेनों की ''लेट-लतीफी का संकट''! आगामी 2 सालों तक ट्रेनें विलंब से ही चलेंगी? पढ़िए द सूत्र की पड़ताल में क्या निकला






Raipur. छत्तीसगढ़ में पिछले कई महीनों से ट्रेन की लेट लतीफी के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यात्रियों के मन में यह सवाल जरूर आता है कि ट्रेन आखिर लेट क्यों हो रही है? द सूत्र की टीम ने जब पड़ताल शुरु की तो चौंकाने वाले आंकड़े और कारण सामने आए हैं। दरअसल बीते साल जब रेलवे बोर्ड ने पंक्चुएलिटी टेस्ट किया था तब उसमें सामने आया कि छत्तीसगढ़ में चल रही ट्रेन ज्यादातर समय से विलंब में ही चल रही है। अनुमानित तौर पर बात करें तो 100 में से लगभग 42 ट्रेन समय से देरी से चल रही हैं। इसमें छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाली एक्सप्रेस जैसे अमरकंटक एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस आदि ट्रेन शामिल हैं। अगर बात करें इनके लेट होने की कारण की तो ज्यादातर गुड्स ट्रेन की वजह से इनपर प्रभाव पड़ता है।




आंकड़ों ने खोली रेलवे की पोल



ट्रेनों के लेट होने के पीछे के कारण रेलवे अधिकारी कुछ भी बताएं लेकिन इसके पीछे कारण मुख्यत: गुड्स ट्रेन से जुड़ा हुआ है। साउथ इस्टर्न सेंट्रल रेलवे में यानी कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में भारतीय रेल के लदान में 15% से अधिक और माल ढुलाई आय में 17% का लगातार योगदान दे रहा है।  एसईसीआर प्रतिदिन लगभग 158 रेक लोड करता है, जिसमें से 51 रेक स्थानीय 16 बिजली कंपनी और साथ ही कई उद्योगों के लिए लोड किए जाते हैं। यानी कि प्रतिदिन 2 पटरियों पर दिन में 150 से ज्यादा मालगाड़ियां दौड़ रही हैं। घंटों में हिसाब लगाएं तो हर घंटे 6 से ज्यादा मालगाड़ियां इस जोन में चल रही है। लेकिन भारतीय रेलवे कभी भी पैसेंजर, मेल, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट ट्रेनों के लेट होने पीछे इस कारण को नहीं स्वाकार्य करता हैं। भारतीय रेलवे हमेशा से पटरियों में चल रहे काम या नई पटरियों को बिछाने का कारण ट्रेन के लेट होने के पीछे बताता है।




158 मालगाड़ियां तो 161 जोड़ी पैसेंजर ट्रेन



जहां एक ओर 158 रैक मालगाड़ियों के दौड़ रहे हैं। वहीं  पैसेंजर, मेल, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट ट्रेनों की गिनती मात्र 161 जोड़ी है। वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे पर 161 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनें चल रही हैं। एसईसीआर में मेल और एक्सप्रेस मिलाकर कुल 28 जोड़ी ट्रेनें चलती है जो सिर्फ SECR जोन में ही रहती हैं। वहीं एसईसीआर से 21 जोड़ी ट्रेन ऐसी हो जो शुरु तो SECR से ही होती हैं लेकिन दूसरे जोन तक पहुंचती हैं। वहीं इस जोन से गुजरने वाली 45  जोड़ी ट्रेने हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में शुरुआती पैंसेजर ट्रेनें 67 जोड़ी हैं जो SECR जोन में ही यात्रा करती हैं। 



ट्रेनों के लेट होने के सिलसिला 2 साल तक रहेगा जारी?



दरअसल रेलवे ट्रेन लेट होने की वजह जिस कारण को बताया वह हैं रेलवे ट्रेक... और जो आंकड़े द सूत्र की टीम के पास पहुंचे हैं उन्हे देखकर लगता है कि अगर ट्रेनों के लेट होने के पीछे गुड्स ट्रेनें नहीं है और रेल पटरियों पर चल रहा काम ही असली वजह है तो यह आगे दो साल तक और जारी रह सकता है।



क्या है अगले दो सालों का प्लान?



अब तक SECR में 250 से ज्यादा किलोमीटर नए पटरियों पर काम किया है। वहीं वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए, कुल 215.72 किलोमीटर नई लाइनों की योजना बनाई गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए, कुल 214.40 किलोमीटर नई लाइनों की योजना बनाई गई है। जिसमें बिलासपुर-झारगुड़ा चौथी लाइन, राजनांदगांव-कलुमना तीसरी लाइन, अनूपपुर-कटनी तीसरी लाइन, उसलापुर फ्लाईओवर का काम पूरा कर लिया गया है।


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