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RAIPUR. छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने कमर कस ली है। दरअसल, अब प्रदेश में बस्तरिया बटालियन के गठन का जिम्मा सीआरपीएफ को दे दिया गया है। इस क्रम में बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों से 400 उम्मीदवारों का चयन करने के लिए एक लंबे समय से प्रतीक्षित भर्ती अभियान शुरू हो गया है, ताकि बस्तरिया बटालियन को मजबूत किया जा सके। हालांकि 2016-17 में सीआरपीएफ ने एक बस्तरिया बटालियन बनाई थी, जहां युवाओं को बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा जिलों से भर्ती किया गया था।
20 अक्टूबर तक आयोजित 10-दिवसीय अभियान
20 अक्टूबर तक आयोजित 10-दिवसीय अभियान का उद्देश्य सीआरपीएफ की बस्तरिया बटालियन में कांस्टेबल के पद के लिए 400 उम्मीदवारों का चयन करना है, जिसे सीआरपीएफ ने 2016-17 में स्थानीय लोगों की भर्ती करके शुरू किया था। यह जंगल युद्ध रणनीति में विशेषज्ञता रखने वाली एक विशेष इकाई है। अफसरों के अनुसार इस अभियान को स्थानीय युवाओं से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जो देश की सेवा करने की तीव्र इच्छा के साथ बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं।
गृह मंत्रालय के अपनाए गए कदम का परिणाम
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के स्थानीय युवाओं के लिए पात्रता मानदंड को आसान बनाए जाने के गृह मंत्रालय के अपनाए गए कदम का परिणाम है, ताकि वे सीआरपीएफ में शामिल हो सकें। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए सीआरपीएफ में शामिल होने के लिए शैक्षिक मानदंडों में ढील देने के लगभग चार महीने बाद यह कदम उठाया है।
प्रदेश के इन तीन 3 के युवाओं को मोदी मंत्रिमंडल ने दी थी छूट
इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ के तीन नक्सल प्रभावित जिलों- बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा के आदिवासी युवाओं के लिए सीआरपीएफ में शामिल होने के लिए पात्रता मानदंड में ढील दी थी। मोदी मंत्रिमंडल ने दक्षिण छत्तीसगढ़ के 3 जिलों बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा से सीआरपीएफ में कांस्टेबल (सामान्य ड्यूटी) के रूप में 400 उम्मीदवारों की भर्ती के लिए आवश्यक न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 10 से कक्षा 8 तक छूट देने के अपने प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।