धरम कौशिक की याचिका पर कांग्रेस का सवाल -जांच से दिक्कत क्या है भाजपा को

author-image
Yagyawalkya Mishra
एडिट
New Update
धरम कौशिक की याचिका पर  कांग्रेस का सवाल -जांच से दिक्कत क्या है भाजपा को

Bilaspur। जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता वाली एकल सदस्यीय झीरम न्यायिक जाँच रिपोर्ट को विधानसभा पटल पर रखे जाने और उसे सार्वजनिक किए जाने वाली माँग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई  करीब दो हफ्ते के लिए टल गई है । यह सुनवाई 29 अप्रैल को होनी थी, लेकिन याचिकाकर्ता धरमलाल कौशिक के अधिवक्ता महेश जेठमलानी के अपरिहार्य कारणों से अनुपस्थित होने की वजह से तारीख मई के दूसरे हफ़्ते के लिए बढ़ा दी गई है।इस याचिका को बीते 13 अप्रैल को प्रस्तुत किया गया है, इस की ग्राह्यता पर सुनवाई होनी है।याने अभी यह तय होना बाकी है कि, न्यायालय इस याचिका को विचारण के लायक पाती है या नही।





क्या है मामला





  इस याचिका में बीते 25 मई 2013 को झीरम में नक्सली हमले में मारे गए 29 कांग्रेस नेताओं की हत्या के बाद गठित न्यायिक जाँच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने की माँग की गई है। यह जाँच आयोग 28 मई 2013 को गठित किया गया था,इस एकल सदस्यीय न्यायिक जाँच आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा थे।क़रीब दस साल तक की जाँच के बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने न्यायिक जाँच आयोग की 4184 पन्नों की रिपोर्ट छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार संतोष तिवारी के ज़रिए 6 नवंबर 2021 को राज्यपाल अनुसईया उइके को सौंपी।न्यायिक जाँच आयोग की रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने से सियासी गलियारों में चर्चा शुरु हो गई। भाजपा की ओर से खुलकर यह कहा गया कि न्यायिक जाँच आयोग की रिपोर्ट में इस सरकार में प्रभावी व्यक्ति या कि व्यक्तियों के खिलाफ टिप्पणी अथवा निष्कर्ष है। ये रिपोर्ट राज्यपाल ने राज्य सरकार को भेज दी और राज्य सरकार ने इस जाँच रिपोर्ट को अपूर्ण बताते हुए तीन नए बिंदुओं के साथ नया जाँच आयोग बना दिया।11 नवंबर 2021 को दो सदस्यीय नया जाँच आयोग बना जिसमें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस सतीश अग्निहोत्री को अध्यक्ष और जस्टिस जी मिन्हाजुद्दीन को सदस्य बनाया गया।





क्या है झीरम मामला





झीरम हमला तब हुआ था जबकि 2013 जो कि चुनावी साल था उस समय कांग्रेस पूरे प्रदेश में परिवर्तन यात्रा निकाल रही थी।यह परिवर्तन यात्रा सुकमा से रवाना होकर अगले गंतव्य के लिए निकली थी, तभी माओवादियों ने झीरम घाटी पर हमला कर दिया था, इस हमले को आज़ाद भारत का सबसे बड़ा राजनैतिक हत्याकांड माना गया, इस हमले में कांग्रेस की एक पूरी पीढ़ी ही समाप्त हो गई थी।इसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल,महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार समेत 29 लोग मारे गए थे।तब राज्य में डॉ रमन सिंह की सरकार थी जबकि केंद्र में डॉ मनमोहन सिंह वाली यूपीए सरकार थी।





क्या कहती है याचिका





कांग्रेस ने इस हत्याकांड में राजनैतिक षड्यंत्र और राज्य सरकार द्वारा जानबूझकर बरती गई लापरवाही को दोषी ठहराया था।  भाजपा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की ओर से दायर याचिका जस्टिस प्रशांत मिश्रा की उस न्यायिक जाँच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने उसे विधानसभा के पटल पर रखने की माँग कर रही है।









याचिका पर कांग्रेस के सवाल





 मूलतः यह याचिका हाईकोर्ट में बीते 13 अप्रैल को पेश की गई है, लेकिन इस पर कांग्रेस की तंद्रा आज टूटी है। राजीव भवन में कांग्रेस  मंत्री शिव डहरिया ने इस मामले में पत्रकार वार्ता में इस याचिका के हवाले से सवाल किया है कि नई जाँच से दिक़्क़त क्या है।किसी मामले में किसी जाँच रिपोर्ट को सरकार अधूरी मान कर यदि नए बिंदुओं पर जाँच करा रही है तो डर क्या है। पत्रकार वार्ता में मंत्री शिव डहरिया ने कहा





भाजपा झीरम घाटी कांड के बाद जानबूझकर तथ्यों को छुपाने का प्रयास करती रही है,एनआईए की जाँच को उन्होंने ही रोका,एसआईटी जाँच भी भाजपा नहीं चाहती थी,अब नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक न्यायिक जाँच आयोग की जाँच रुकवाना चाहते हैं और हाईकोर्ट गए हैं, क्या इस मामले में भाजपा के लोगों की संलिप्तता है ? इस मामले में षड्यंत्र की जाँच नहीं हुई है, मामले में संलिप्त दोषियों के नाम सामने आना चाहिए,हम निश्चित रूप से दोषियों को सजा दिलाएँगे



CONGRESS कांग्रेस छत्तीसगढ़ Chhattisgarh BJP भाजपा झीरम घाटी हमला Petition याचिका उच्च न्यायालय न्यायिक जांच आयाेग dharam koushik Dharam Lal Kaushik shiv dahriya शिव डहरिया धरम लाल काैशिक