Surajpur।एक हाथी की मौत पर वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के बाद सवाल खड़े हो गए हैं। पहला सवाल यह है कि, गजराज के शव को घटनास्थल पर करीब बारह दिन हो गए थे,और उसके बाद वन अमले को पता चला कि, वहां शव मौजुद है,इस पर प्रश्न यह सामने आया है कि, वन अमले के गश्ती दल को पता कैसे नहीं चला, साथ ही एक सवाल इस रूप में भी मुंह बाएं खड़ा है कि,गजराज के शव के पीएम रिपोर्ट के दौरान प्रारंभिक तौर पर यह बताया गया है कि, यह हाथियाें के आपसी द्वंद्व का नतीजा हो सकता है, लेकिन यदि द्वंद्व से मौत गजराज की मौत हुई तो फिर गजराज के दांत कहां चले गए। इन प्रश्नाें के जवाब जिन अधिकारियाें से मिलने हैं,वे पंक्तियाें के लिखे जाने तक पूरी तरह मौन हैं।
तमोर पिंगला अभ्यारण में मिला गजराज का शव
गजराज का शव तमोर पिंगला अभयारण्य के सोनहत परिसर के तुम्बीबारी कक्ष में मिला है। शव परीक्षण के लिए तीन सदस्यीय चिकित्सीय दल जब पहुंचा तो शव की स्थिति देखने से चिकित्सीय दल इस नतीजे पर पहुंचा कि हाथी को मरे दस से बारह दिन हो चुके हैं। बीते शनिवार को गजराज के शव का पीएम किया गया है। जिन तीन सदस्यीय दल ने पीएम किया है,उनकी प्रारंभिक जांच के हवाले से आपसी लड़ाई से हाथी की मौत के संकेत के दावे वन अमले की ओर से किए गए हैं।हालांकि हाथी के अंगों को फोरेंसिक जांच के लिए भी भेजा गया है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही अधिकृत तौर पर किसी नतीजे पर पहुचा जा सकता है। गजराज का जहां शव मिला है,राज्य सरकार द्वारा संरक्षित वन क्षेत्र है, उसे तमोर पिंगला अभयारण्य कहा जाता है, वहीं रेस्क्यू सेंटर हाथी के शव बरामदगी स्थल से बमुश्किल करीब पांच किलोमीटर दूर है। जाहिर है सवाल उठ गए हैं कि क्या वन अमला अपने क्षेत्र में गश्त नही कर केवल कागजी खाना पूर्ति कर रहा है..? शायद यही वजह है कि लोग हाथी का दांत निकाल कर ले गए और वन अमले को हवा नही लगी।
सांप निकल गया लकीर पर डंडा
अब जबकि सांप निकल गया है तो लकीर पीटने की तर्ज पर जांच की बात की जा रही है।शनिवार को हाथी के शव मिलने की सूचना पर डीएफओ प्रभाकर खलखो सहित अन्य आला अफसर मौके पर पहुँचे थे।इस सबन्ध में डीएफओ प्रभाकर खलखो से सम्पर्क की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ बता रहा है जबकि रेंज अफसर अजय सोनी ने दांत गायब होने की बात स्वीकार करते हुए जांच की बात कही है। लेकिन गश्ती यदि हो रही थी और रेस्क्यू सेंटर पर भी वन अमले की सक्रियता थी तो आखिर हाथी के शव की सूचना मिलने में अमले को दस दिन क्याें लग गए इसका जवाब तो कतई नहीं मिल रहा है।