मनीष कुमार मारू, AGAR MALWA. किसी भी मंगल कार्य के शुभारंभ पर प्रथम पूज्य, गणाधिपति, गौरी पुत्र गणेश को आमंत्रित करने का विधान है। देशभर में इस समय दस दिवसीय गणेशोत्सव की धूम मची है। आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में नगर के मध्य गणेश दरवाजे पर अत्यंत ही प्राचीन बड़ा गणपति मंदिर है जहां भगवान गणेश की मन मोह लेने वाली प्राचीन मूर्ति विराजमान है। पुरातत्वविदों के अनुसार ये मूर्ति 500 वर्ष से भी अधिक प्राचीन होकर गोबर से बनी हुई है। प्राचीन होने के कारण ये मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था मे था लेकिन प्रदेश सरकार ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर इसे नया स्वरूप प्रदान किया गया है। गोबर की ये मूर्ति श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण के साथ ही आस्था का भी केंद्र है। कहते हैं यहां भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
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करीब 10 फीट की है गोबर गणेश की मूर्ति
नगर के मुख्य द्वार पर इस मूर्ति की स्थापना किसने की है इसका उल्लेख तो कहीं नहीं मिलता है लेकिन पुरातत्वविद विष्णु श्रीधर वाकणकर (उज्जैन) जब नलखेड़ा आए थे तब उन्होंने इस प्रतिमा को 500 वर्ष से अधिक प्राचीन बताते हुए इसे गोबर से निर्मित बताया था। पद्म सिंहासन पर विराजित ये मूर्ति करीब 10 फीट ऊंची है।
महाराजा माधवराव सिंधिया के सूबेदार ने नलखेड़ा नगर को दिया नया स्वरूप
पुरातत्वविदों और किवदंतियों के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व नलखेड़ा नगर गांव के रुप में पूर्व दिशा में 2 किलोमीटर दूर बड़ावदा हनुमान मंदिर पहाड़ी पर बसा हुआ था। प्राकृतिक आपदा के कारण उस वक्त का नलखेड़ा गांव जमीदोंज हो गया। इसके बाद ग्वालियर रियासत के तात्कालिक महाराजा माधवराव सिंधिया (मोतीवाला) के एक मराठा सूबेदार ने नलखेड़ा नगर को नया स्वरूप दिया और नगर की सुरक्षा के लिए चारों ओर ऊंची दीवारों का परकोटा बनाया गया। चार दिशाओं में चार दरवाजे भी बनाए गए जिनके अवशेष आज भी हैं। इनमें से दो नाम गणेश दरवाजा और सती दरवाजा आज भी है। एक दरवाजे के मुहाने पर ये गोबर गणपति की मूर्ति स्थापित थी। इसी कारण इसका नाम गणेश दरवाजा रखा गया।
गोबर गणेश के आसपास रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा
गणेश प्रतिमा के आसपास गोबर से ही निर्मित रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा भी विराजित हैं। गणेश प्रतिमा के नीचे कमलाकार सिंहासन का निर्माण भी कराया गया है। मंदिर में लाइट व्यवस्था के साथ गर्भगृह को भी बड़ा किया गया है प्रतिमा का मनमोहक श्रृंगार भी किया गया है। हर शुभ कार्य को करने के पहले भगवान गणेश का स्मरण कर निमंत्रण दिया जाता है।