Raipur। प्रदेश में मानसून की शुरुआत बस हो ही रही है, लेकिन प्री मानसून के बीते पंद्रह दिनों के दौर में ही गाज याने आकाशीय बिजली गिरने बीस व्यक्तियों और 156 मवेशियों की मौत रिकॉर्ड में दर्ज की जा चुकी है। मवेशियों के आँकड़ों में और वृद्धि भी संभव है क्योंकि कई बार उनकी सूचना विधिवत नहीं दी जाती है।यह आँकड़े अभी और बढ़ने तय हैं क्योंकि आकाशीय बिजली के गिरने को लेकर कोई निश्चित आंकलन अब भी विज्ञान के पास नहीं है। निश्चित आँकलन से आशय कि, तकनीक अभी इतनी विकसित नहीं है कि यह शर्तिया तौर पर बताया जा सके कि आकाशीय बिजली कब कहाँ और कैसे गिरेगी।
ग्रामीण अंचल में घटनाएँ ज़्यादा
द सूत्र के पास जो आँकड़े हैं, उनके हिसाब घटनाएं या तो ग्रामीण क्षेत्र में हुई या फिर कस्बाई इलाक़े में।सरगुजा रेंज के जशपुर,कोरिया,बलरामपुर,सूरजपुर में कुल 11 व्यक्तियों की मौत हुई है, जबकि,सरगुजा कोरिया बलरामपुर सूरजपुर में 62 मवेशी मारे गए।दुर्ग रेंज के कवर्धा बेमेतरा में दो व्यक्तियों की मौत जबकि कबीरधाम बेमेतरा और बालोद में 38 मवेशी मारे गए हैं।रायपुर रेंज में गरियाबंद बलौदाबाजार और धमतरी में तीन नागरिकों की मौत जबकि गरियाबंद में 56 मवेशियों की मौत दर्ज की गई है। बिलासपुर रेंज में गौरेला पेंड्रा मरवाही और मुँगेली में तीन व्यक्तियों की मौत हुई है।
क्यों गिरती है गाज
आसमान में विपरित उर्जा के बादल टकराते हैं। इससे बिजली पैदा होती है जो धरती पर गिरती है। आकाश में सुचालक नहीं होता और बिजली बिजली पृथ्वी पर गिरती है,धरती पर पहुंचने के बाद बिजली को सुचालक की जरूरत विभिन्न रुप में पूरी हो जाती है, जैसे लोहे के पोल, पेड़ और मानव शरीर।मानव शरीर पर गिरने वाली बिजली शरीर ही नहीं भीतर के उत्तकों को भी स्थाई नुक़सान पहुँचाती है।मानव शरीर पर गाज गिरने से या उसके आसपास बिजली गिरने से कई बार तंत्रिका तंत्र पर गहरा असर पड़ता है।