Raipur. राजधानी की चार विधानसभा सीटों को लेकर कार्यकर्ताओं की बैठक और संवाद में दो विधानसभाओं के कार्यकर्ताओं ने पूरे दम से अपनी बात रखी। कार्यकर्ताओं के तेवर तल्ख़ थे और जबकि उन्हें अपनी बात कहने का अवसर संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने दिया तो कार्यकर्ता अवसर को थोड़ा भी नहीं चूके। ग्रामीण और उत्तर विधानसभाओं में कार्यकर्ताओं ने बेहद मुखरता से अपनी बात रखी।
बड़े नेता पैक्ड हैं, कल भी थे आज भी हैं
सबसे ज़्यादा जिस विधानसभा के कार्यकर्ताओं ने समय लिया या कि जिस विधानसभा को समय मिला वह थी रायपुर ग्रामीण विधानसभा। इस सीट पर कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा बीजेपी के लिए चुनौती है। अरसा हुआ है कि यह सीट बीजेपी के पास वापस नहीं आई है। यह आँकड़ा भी दिलचस्प है कि, विधानसभा में हार का सामना करती बीजेपी के लिए लोकसभा के आँकड़े बेहद मुनाफ़ा देने वाले होते हैं। ग्रामीण विधानसभा से लोकसभा में बीजेपी को सर्वाधिक लीड मिलती है।क़रीब पौने तीन बजे से शुरू ग्रामीण विधानसभा की बैठक पाँच बजे तक चली। चारों विधानसभाओं में इस विधानसभा को सबसे लंबा समय मिला। मंच से सवाल आया कि बताईए क्या करना चाहिए तो कार्यकर्ताओं ने दो टूक अंदाज में कहा-
“बड़े नेता कांग्रेस से पैक्ड हैं, समझौते हैं। ये बड़े नेता अपनी सीट अपने हित बचाते हैं। ये पैक्ड कल भी था आज भी है और कल भी रहेगा।आप हमसे पूछते हैं कि क्या करें, आप बताईए इस हाल का हम क्या करें ?”
ग्रामीण विधानसभा के कार्यकर्ताओं ने बैठक में यह मसला भी उठाया कि, बाहरी मतदाताओं को यहाँ शामिल करा कर वोटिंग होती है। यह तब भी हुआ जब हमारी पार्टी की सरकार थी, आज बस रफ़्तार थोड़ी और तेज है।
पैराशूट लैंडिंग को टिकट, विरोधी को सत्ता और संगठन में अवसर क्यों
कार्यकर्ताओं का ग़ुबार उत्तर विधानसभा की बैठक में भी फूटा। लेकिन यहाँ तेवर ग्रामीण विधानसभा के कार्यकर्ताओं की तरह बेहद तल्ख़ नहीं था। और यदि तल्ख़ था भी तो आक्रोश की अभिव्यक्ति उतनी व्यापक नहीं थी। उत्तर विधानसभा के कार्यकर्ताओं ने कहा-
“पैराशूट लैंडिंग को टिकट क्यों देते हैं ? पार्टी विरोधी को सत्ता और संगठन में तवज्जो और पद क्यों मिलता है।”