Bastar।बीजापुर के सारकेगुड़ा में सारकेगुड़ा हत्याकांड को लेकर माओवादी बस्तर के उन इलाक़ों में जहां उनका प्रभाव क्षेत्र है, उन जगहों पर बैनर पोस्टर लगा कर आज याने 28 जून को सारकेगुड़ा कांड की दसवीं बरसी पर इसे जन प्रतिरोध दिवस के रूप में मनाने का आह्वान कर रहे हैं। इन बैनर पोस्टरों में सारकेगुड़ा हत्याकांड के दोषी पुलिस अधिकारियों को सजा देने और मृतकों के परिवारों को 1 -1 करोड़ रुपए देने और घायलों के परिवार को पचास पचास लाख मुआवज़ा देने की बात लिखी गई है।
सारकेगुड़ा में स्मारक ?
खबरें यह भी हैं कि कल सारकेगुड़ा में सौ से उपर लोगों का हुजूम इकट्ठा हुआ था,वहाँ शहीद स्मारक तैयार किया गया है, जिसे आज सार्वजनिक किया जाएगा। शहीद स्मारक बस्तर के माओवादी प्रभावित इलाक़ों में दिखते हैं,माओवादी इसे अपने साथियों की स्मृति में बनाते हैं। हालांकि यह सूचना कि, सारकेगुड़ा में कोई शहीद स्मारक बन रहा है इस खबर की कोई अधिकृत पुष्टि नहीं है।
क्या है सारकेगुड़ा मामला
28-29 जून 2012 की रात सीआरपीएफ़ की टीम गश्त पर थी, सारकेगुड़ा गाँव के बाहर मैदान में समूह मौजूद था, सीआरपीएफ़ के अनुसार ये माओवादी थे, फ़ायरिंग में क़रीब सत्रह मारे गए। तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी, और प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इसे वीरता पूर्ण कार्यवाही मानते हुए इसकी तारीफ़ की थी।जबकि ग्रामीणों ने सीआरपीएफ़ के नक्सली दावे को ख़ारिज करते हुए इसे बीज पंडूम ( स्थानीय त्यौहार) मना रहे ग्रामीणों का समूह बताया था। इस मामले में जस्टिस अग्रवाल की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय न्यायिक जाँच आयोग 2019 में सदन के पटल पर रखी गई, इसमें न्यायिक जाँच आयोग ने मृतकों के नक्सली होने के दावे को प्रश्नांकित किया है। तब जबकि यह रिपोर्ट सदन में पेश की गई, सीएम बघेल ने दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन खबर लिखे जाने तक किसी कार्रवाई का कोई संकेत नहीं मिला।
पखांजुर में सर्व आदिवासी समाज का बैनर
बस्तर के कांकेर ज़िले के पखांजुर में सर्व आदिवासी समाज के उल्लेख के साथ पर्चे मिले हैं। यह संयोग विलक्षण है कि सारकेगुड़ा के मसले पर जो बैनर माओवादियों के टंगे हैं, उस में और सर्व आदिवासी समाज के उल्लेख के साथ जो पॉंपलेट मौजूद हैं, उनमें बेहद समानता है। सर्व आदिवासी समाज के वरिष्ठ सदस्य और क़द्दावर आदिवासी नेता पूर्व सांसद अरविंद नेताम ने इस संयोग पर द सूत्र से कहा- “हमारे समाज के लोग मारे गए, हम उन्हें याद कर रहे हैं, कोई यदि और भी सहानुभूति ज़ाहिर करता है तो क्या करें, आदिवासी मारे गए, उन्हें याद कौन करता है यहाँ। हम याद कर रहे हैं और उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं और न्याय की माँग कर रहे हैं।”