आनलाइन ठगी का मामला, ठगे गए नागरिकों को पुलिस ने रकम दिलवाई वापस

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Yagyawalkya Mishra
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आनलाइन ठगी का मामला, ठगे गए नागरिकों को पुलिस ने रकम दिलवाई वापस

Durg।  बिजली बिल के भुगतान, क्रेडिट कार्ड में रिवार्ड पॉइंट का प्रलोभन और सिम कार्ड अपडेशन के नाम पर ठगी का मामला सामने आया है।  सभी मामलों में साइबर सेल की त्वरित करवाई से आवेदकों को राशि वापस कराया गया है।  आशा अपार्टमेंट सड़क नंबर 11 प्रगति नगर रिसाली की सोमा शास्त्री ने  बिजली बिल के भुगतान के नाम पर नेट बैंकिंग के माध्यम से 2 लाख रुपए ठगी की रिपोर्ट थाना नेवई में दर्ज कराया। जिसमें उन्होंने बताया कि बिजली बिल के भुगतान के लिए अनावेदक से संपर्क की, जिस पर  अनावेदक ने आवेदिका के मोबाइल में एक एप डाउनलोड कराया और 20 रुपए का भुगतान किया।  भुगतान समय पर किए गए जानकारी के आधार पर अनावेदक ने आवेदिका के बैंक खाता से नेट बैंकिंग के माध्यम से 2 लाख रुपए आहरित कर लिया।  ठगी की सूचना साइबर सेल को होने पर एसबीआई आरबीओ कार्यालय से संपर्क कर होल्ड / चार्ज बैंक की कार्यवाही कराया गया।  जिसके बाद  आवेदिका से ठगी गई रकम उसके बैंक खाते में वापस कराया गया।





क्रेडिट कार्ड में रिवार्ड पॉइंट का प्रलोभन





दुर्ग के जयंती नगर की आवेदिका ने  क्रेडिट कार्ड में रिवार्ड पॉइंट का प्रलोभन देकर 59691 रुपये धोखाधड़ी लो शिकायत मोहन नगर थाने में दर्ज कराई, जिसमे बताया गया कि मोबाइल नंबर के अनावेदक की तरफ से  नोब्रोकर नामक मर्चेंट के माध्यम से 3 किश्तों में 59691 रुपए की ठगी की गई है।  ठगी की सूचना साइबर सेल को होने पर तत्काल नोब्रोकर मर्चेंट को  मेल कर स्टॉप ट्रांजेक्शन और अन्य जानकारी के सम्बंध  में कार्यवाही किया गया।  जिसके बाद ठगी गई रकम में से  394000 रुपए होल्ड कराया गया।  





एनी डेस्क नामक एप डाउनलोड करना पड़ा महंगा, खाते से  129999 रुपए पार





 गुलमोहर तालपुरी के अंकुश कुमार दास ने 11 मई को सिम कार्ड अपडेशन के नाम पर 129999 रुपए ठगी की शिकायत थाना भिलाई नगर में की।  रिपोर्ट में आवेदक ने बताया कि मोबाइल में एनी डेस्क नामक एप डाउनलोड करने के बाद उसके बैंक  खाते से 2 किश्तों में  नेट बैंकिंग के माध्यम से 129999 आहरित कर लिया गया। इसकी सूचना साइबर सेल को होने पर एसबीआई आरबीओ कार्यालय से संपर्क कर उक्त ट्रांजेक्शन को होल्ड / चार्ज बैंक की कार्यवाही कराया गया। जिसके बाद ठगी गई रकम में से  80000 रुपए आवेदक के खाते में वापस  कराया गया।



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