भोपाल : मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सांसद रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले पेंशन छोड़ने के बिलकुल भी मूड में नजर नहीं आते। दरअसल पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ी है और वह देश के सांसदों से अपील कर रहे हैं कि सांसद उन्हें मिलने वाली पेंशन राष्ट्रहित में त्याग दें और सरकार के बोझ को कम करें। वरुण गांधी की इस अपील को लेकर मप्र और छत्तीसगढ़ के सांसद क्या सोचते हैं। इस मसले पर द सूत्र ने मप्र और छत्तीसगढ़ के करीब 20 विधायकों से बातचीत की।
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मप्र के सांसदों की राय
नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री और मुरैना से सांसद- ये वरुण गांधी के व्यक्तिगत विचार हैं। वरुण गांधी व्यक्तिगत विचार प्रगट करने में ज्यादा रूचि रखते हैं
रीति पाठक, सांसद, सीधी- यदि संगठन निर्देश देगा तो देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं। वरूण गांधी से ज्यादा महत्वपूर्ण निर्देश संगठन और केंद्रीय नेतृत्व के हैं।
महेंद्र सिंह सोलंकी, सांसद, देवास- जरूरी हुआ तो ये भी कर लेंगे। हमारे लिए मोदी जी का आदेश सर्वोपरी है। देश हित में वो जो फैसला लेंगे हम उनके फैसले के साथ हैं।
राव उदयप्रताप सिंह, सांसद, होशंगाबाद(नर्मदापुरम)-वरुण गांधी बड़े आदमी है, सक्षम है लेकिन मैं ऐसे कई सांसदों को जानता हूं जिनका रिटायरमेंट के बाद गुजर बसर पेंशन पर ही हो रहा है। एक सांसद अपना काम धंधा छोड़कर समाज सेवा में आता है और यदि उसे पेंशन मिलती है तो क्या बुराई है। वरुण गांधी व्यक्तिगत रूप से ये फैसला लेना चाहते हैं तो वो स्वतंत्र हैं।
फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद, मंडला- किस चक्कर में पड़े हो यार
शंकर लालवानी, सांसद इंदौर- पार्टी संगठन ने सभी सांसदों को अग्निपथ स्कीम को लेकर कुछ भी कहने से मना किया है
यानी मप्र के सांसदों की इस अपील पर ज्यादा दिलचस्पी नजर नहीं आई। इसके अलावा द सूत्र ने सतना सांसद गणेश सिंह, रीवा सांसद जनार्दन मिश्र, खरगौन सांसद गजेंद्र सिंह पटेल, उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया से बात की तो प्रचार में होने का हवाला देकर उन्होंने इस मसले पर कोई बातचीत नहीं की।
छत्तीसगढ़ के सांसदों की राय
चुन्नीलाल साहू, सांसद, महासमुंद- यह एक वृहद विषय है और पूरे देश से जुड़ा हुआ है, इसपर संसद ही कोई फैसला ले सकती है।
गुहाराम अजगेले, सांसद, जांजगीर-चांपा- पेंशन का निर्धारण सांसद नहीं करता है, ये संसद की ऑथराइज्ड टीम करती है। इसलिए सांसदों के लिए ये सवाल पूछना गलत है।
संतोष पांडे, सांसद, राजनांदगांव- वरुण गांधी बीजेपी से जुड़े हैं तो जो पार्टी लाइन है उसपर वरुण गांधी को चलना चाहिए। यदि भविष्य में ऐसी कोई बात आएगी और संगठन का निर्देश होगा तो राष्ट्रहित में ये फैसला भी ले लेंगे।
विजय बघेल, सांसद, दुर्ग-वरुण गांधी को पहले इसपर अमल करना चाहिए। जब भी देश पर मुसीबत आई है सांसदों ने सहयोग किया है चाहे वो किसी भी पार्टी के क्यों न हो। कोरोना काल में सांसदों ने 20 फीसदी सैलेरी राहत कोष में दी। पिछले दो सालों से सांसदों को सांसद निधि नहीं मिली है। वरुण गांधी व्यक्तिगत रूप से फैसला लेना चाहते हैं तो स्वतंत्र है।
यानी छत्तीसगढ़ के सांसदों का भी मानना है कि वरूण गांधी जो अपील कर रहे हैं वो उससे इत्तफाक नहीं रखते।
क्या अपील की थी वरूण गांधी ने ?
वरूण गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से सभी सांसदों को अपील करते हुए लिखा कि भारत की जनता ने स्वच्छता के लिए टैक्स दिया तो जरूरतमंदों को गैस मिले इसके लिए सब्सिडी छोड़ी तो देशभक्त सांसद पेंशन का त्याग कर सरकार का बोझ कम नहीं कर सकते ।
वरुण गांधी का ट्वीट
भारत की महान जनता ने कभी स्वच्छता के लिए टैक्स दिया तो कभी जरूरतमंदों को गैस मिले इसलिए अपनी सब्सिडी छोड़ी।
इस त्याग भाव से प्रेरणा लेकर क्या हम सभी देशभक्त सांसद अपनी पेंशन का त्याग कर सरकार का ‘बोझ’ कम नही कर सकते?
अग्निवीरों को पेंशन की राह आसान नहीं कर सकते?#राष्ट्र_प्रथम
— Varun Gandhi (@varungandhi80) June 27, 2022
अग्निपथ के विरोध में क्यों हैं वरुण गांधी ?
वरुण गांधी अग्निपथ योजना में 10 लाख युवाओं को रोजगार देने के विरोध में नहीं है लेकिन इसबात का विरोध है कि योजना के तहत युवाओं को केवल 4 साल तक ही नौकरी का मौका मिलेगा। इसके बाद युवाओं का भविष्य क्या होगा इसे लेकर वरुण गांधी ने सवाल उठाए हैं। वरूण गांधी इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी पत्र लिख चुके हैं। साथ ही ये भी बयान दे चुके हैं कि जब सरकारें 5 साल के लिए चुनी जाती हैं तो फिर सेना का जवान 4 साल के लिए क्यों चुना जा रहा है।