याज्ञवल्क्य मिश्र, RAIPUR. भारत में 75 साल बाद चीतों की वापसी हो रही है और इन्हें एमपी के कूनो पालपुर में लाया जा रहा है। मध्यभारत से ही चीते देश से विलुप्त हुए थे। छत्तीसगढ़ के कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंह ने आखिरी तीन चीतों का शिकार किया था। उसके बाद से चीते के भारत से विलुप्त होने का आधिकारिक ऐलान किया था।
राजा ने क्यों किया था शिकार
इस हवेली के चार कमरों में उन आखिरी चीतों की ट्राफी आज भी देखी जा सकती है, जिनका शिकार रामानुज प्रताप सिंह ने किया था। साल 1948 में घने जंगल से घिरे इलाके में वन्य प्राणियों की भरमार थी। जंगली जानवरों का शिकार शौक, वीरता और उनके आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए राजा करते थे। ये तीन चीते भी सिरदर्द बन गए थे। इसलिए इनका शिकार किया और शिकार के बाद एक फोटो खिंचवाई गई, जो आज भी रखी है।
सरकार ने ये घोषणा की थी
हालांकि रामानुज प्रताप के वशंजों का कहना है कि शिकार तो हुआ था मगर यही वो आखिरी चीते थे, ये पक्का नहीं है। हालांकि इन चीतों के बाद देश में कहीं भी चीते नहीं दिखे। इसलिए माना गया कि अब चीते खत्म हो चुके हैं और सरकार ने चीतों को विलुप्त प्रजाति घोषित कर दिया। अब एक बार फिर चीते एमपी की धरती पर कदम रखेंगे और उम्मीद की जानी चाहिए कि चीतों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।