Janjgir-Champa।पिहरीद में घर के बोरवेल के गड्डे में गिरे राहुल साहू को बचाने की क़वायद को चालीस घंटे बीत चुके हैं, लेकिन युद्ध स्तर के प्रयास के बावजूद राहत टीम राहुल के पास नहीं पहुँच पाई है। क़रीब साठ फ़ीट गहरे गड्डे में फँसे राहुल को लिफ़्ट कराने की कोशिशें हुईं लेकिन मूक बधिर होने की वजह से वह आवाज़ों को ना सुन पा रहा है ना समझ नहीं पा है।इस वजह से वैकल्पिक तरीक़ों पर काम शुरु हुआ है।इनमें एक विकल्प सुरंग तैयार करने का भी है।
क्यों लग रही है देर
बोरवेल के गड्डे के पास चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक़्क़त तब आई जबकि राहत टीम को पता चला कि, ज़मीन के नीचे बड़े बड़े पत्थर हैं। इन पत्थरों को हटाने या तोड़ने में जेसीबी सक्षम नहीं थी, इसलिए बड़ी ड्रीलिंग मशीन कैटरपिलर से पत्थरों को तोड़ते हुए बाहर निकाला जा रहा है।
आसपास के सारे बोर चालू कराए गए
राहुल का गाँव पिहरीद महानदी का तटीय इलाक़ा है, इसलिए जलस्तर बहुत समृद्ध है। यह समृद्ध जल स्तर भी इस बचाव अभियान में चुनौती है।राहुल जिस गड्डे में फँसा हुआ है, उसका जल स्तर ना बढ़े, इसलिए आसपास के जितने बोर हैं वे लगातार चलाए जा रहे हैं।
500 से ज़्यादा अधिकारी कर्मचारी मौजूद
इस बचाव अभियान में 5 आईएएस,2 आईपीएस,5 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,4 एसडीओपी,5 तहसीलदार,8 टीआई और 120 जवानों के साथ, ईई पीडब्ल्यूडी, ईई पीएचई,सीएमएचओ,और 1 सहायक खनिज अधिकारी मौजूद हैं।एनडीआरएफ के 32 सदस्य,और एनडीआरएफ की पंद्रह सदस्यीय टीम राहत कार्य को संचालित कर रही है।एनडीआरएफ की मदद के लिए सेना के मेजर गौतम सूरी के साथ चार सदस्यीय टीम भी सक्रिय है।
अब भी लंबा वक्त लग सकता है
राहत और बचाव कार्य जारी है, चालीस घंटे से उपर का समय हो चला है कप्तान विजय अग्रवाल और कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला और उनकी पूरी टीम के लिए नींद फ़िलहाल सपना है।राहुल साहू के रेस्क्यू अभियान पर पूरे प्रदेश की नज़रें टिकी हुई हैं। हालांकि ये राहत का सबब है कि, राहुल की जिंदगी को बचाने की यह जो जंग लड़ी जा रही है,उसमें राहुल मुकम्मल साथ दे रहा है, राहुल पर कैमरे से नजर रखी जा रही है,वह लगातार हलचल करते दिख रहा है। रस्सियाें के जरिए उस तक फल जूस पहुंचाया जा रहा है,जिसे वह खा रहा है।