पापुनि के पूर्व GM अशोक चतुर्वेदी को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार और यूपी सरकार को जारी किया नोटिस, दशहरे के बाद सुनवाई

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Yagyawalkya Mishra
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पापुनि के पूर्व GM अशोक चतुर्वेदी को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार और यूपी सरकार को जारी किया नोटिस, दशहरे के बाद सुनवाई

RAIPUR. सर्वोच्च न्यायालय ने पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी को राहत दी है। रायपुर पुलिस को सिविल लाईन थाने के प्रकरण क्रमांक 133/2022 में उनकी तलाश थी। हाईकोर्ट से अशोक चतुर्वेदी को इस मामले में इंटरिम बेल मिल चुकी है। अशोक चतुर्वेदी ने पृथक से एक याचिका सर्वोच्च अदालत में लगाई थी जिसमें उन्होंने निजता के अधिकार का उल्लंघन का आरोप लगाया था।सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार उत्तर प्रदेश सरकार को तो नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ इस मामले में ( 133/2022 थाना सिविल लाईन ) पुलिस को कार्यवाही करने से रोक लगा दी है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार से यह पूछा है कि गोरखपुर थाने में दर्ज शिकायत पर क्या कार्यवाही की गई है।



क्या है मसला



सिविल लाईन थाने में इस आशय का अपराध दर्ज हुआ था कि घुरवा के माटी शीर्षक से आलेख प्रकाशित किए जाते हैं जिससे सरकार की छवि धूमिल होती है।पुलिस ने इसके संचालक नीलेश शर्मा को गिरफ्तार किया और जेल दाखिल कर दिया था। पुलिस ने नीलेश शर्मा के मोबाइल से कथित तौर पर एक महिला से आपत्तिजनक चैट पकड़े और उस महिला को भी जेल दाखिल कर दिया।इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में अप्रैल में चार्जशीट पेश कर दिया।बीते तीस अगस्त को कुछ पुलिसकर्मी अशोक चतुर्वेदी के घर पहुँचे और कथित रुप से यह कहते हुए घर के भीतर जाकर तलाशी लेने लगे कि, अशोक चतुर्वेदी कहाँ है हमें गिरफ़्तार करना है। उस वक्त घर पर केवल अशोक चतुर्वेदी का पुत्र ही घर पर था। आरोप है कि ये लोग बग़ैर वर्दी के और बग़ैर नंबर प्लेट की गाड़ी में आए थे।इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक रायपुर को अशोक चतुर्वेदी ने लिखित में की।आरोप है कि,1 सितंबर को अशोक चतुर्वेदी की पत्नी श्रीमती ज्योति चतुर्वेदी वापस आईं तो उनकी रैकी की गई,रैकी का सिलसिला दो सितंबर को भी चला तो दो सितंबर को श्रीमती ज्योति चतुर्वेदी ने थाना डीडी नगर में शिकायत की। अशोक चतुर्वेदी के अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने बताया है कि दो सितंबर को शिकायत के बाद पुलिस वाले फिर अशोक चतुर्वेदी के घर पहुँचे और फिर से सर्च किए। उनसे जब कारण और पेपर पूछा गया तो उन्होंने हस्तलिखित नोटिस थमाया।इस मामले में हम कोर्ट गए तो पुलिस ने ज़मानत का विरोध करते हुए जो जवाब दिया उसमें उल्लेख था कि, 27 मई को पुलिस के पास कांग्रेस नेता ने शिकायत की है कि,घुरुआ के माटी में जो आलेख प्रकाशित होते थे उन्हें अशोक चतुर्वेदी लिखते थे।हाईकोर्ट से हमें अंतरिम ज़मानत मिल गई। लेकिन जिस तरह से बग़ैर वर्दी आए सीधे घर में घुसे, श्रीमती ज्योति चतुर्वेदी की रैकी किए यह निजता के अधिकार का हनन था। हम इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट गए और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में व्यक्तिगत जिन्हें पार्टी बनाया गया है उन्हें,और छत्तीसगढ़ तथा यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है तथा अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ कार्यवाही से रोक लगा दी है।



उत्तर प्रदेश सरकार का क्या मसला है



बीते दस सितंबर को गोरखपुर थाने को जागृति सेवा फाउंडेशन के अवधेश कुमार ने यह शिकायत दी कि, दस सितंबर को बगैर नंबर की स्कॉर्पियो में चार पांच लोग आए और धमकी देते हुए अशोक चतुर्वेदी का पता पूछने लगे। आवेदन में लिखा गया है कि, खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए इन लोगों ने नक्सली की तरह जेल में बंद कर सड़ा देने की बात कही और धमकी देने लगे। यू पी सरकार से सुप्रीम कोर्ट इस आवेदन में कार्यवाही का स्टेटस माँग रही है।



इन्हें जारी हुआ नोटिस



अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिका के अनुसार डीजीपी छत्तीसगढ़, आईजी रायपुर को पदेन जबकि एसपी प्रशांत अग्रवाल, एडिशनल एसपी अभिषेक माहेश्वरी और उप सचिव सौम्या चौरसिया तथा ACS सुब्रत साहू को व्यक्तिगत पार्टी बनाए जाने की वजह से नोटिस जारी किया है। दशहरे के अवकाश के तत्काल बाद अत्यंत आवश्यक और अपरिहार्य परिस्थितियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई करेगा।अशाेक चतुर्वेदी वर्तमान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संयुक्त आयुक्त हैं।


chhatisgarh संयुक्त आयुक्त पंचायत अशोक चतुर्वेदी की याचिका पर सुको का नोटिस अशोक चतुर्वेदी को राहत मिली छत्तीसगढ़ सरकार और अधिकारियों को नोटिस जारी