Kabirdham।सरहदी ज़िला कबीरधाम जिसे कवर्धा भी कहा जाता है,वहाँ के 6 गाँव की क़रीब दो हज़ार की आबादी ने आज़ादी के पचहत्तर बरस बाद पहली बार आज़ादी पर्व मनाया। इन छ गाँवों में ग्रामीणों ने तिरंगा लहराया,राष्ट्रगान गाया। गांधी और भारत माता की तस्वीरों की पूजा की। कबीरधाम ज़िला छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सरहद पर छत्तीसगढ़ का आख़िरी ज़िला है। कबीरधाम की सीमाएँ मध्यप्रदेश के बालाघाट डिंडोरी मंडला से जुड़ती हैं।कवर्धा के ये इलाक़े जहां मध्यप्रदेश की सीमा जुड़ती है, वह घने जंगलों का इलाक़ा है। पहुँच विहीन से इन इलाक़ों में बसे गाँव मजरे टोलों में बंटे हुए हैं,जिनकी संख्या सौ से ज़्यादा है।कबीरधाम पुलिस ने इन इलाक़ों को चिन्हित कर के वहाँ पर ग्राम खेल समितियों का गठन किया है।जिन छ गाँवों में तिरंगा लहराने की खबरें आई हैं, उनके पीछे ये ग्राम खेल समितियाँ ही हैं।
क्या है ग्राम खेल समितियाँ
कबीरधाम ज़िले का सरहदी इलाक़ा घने जंगलों से घिरा है। इन इलाक़ों में युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से ग्राम खेल समितियों गठित की गई हैं। इनकी कुल संख्या 140 है। इसके मायने यह हैं कि 140 गाँव में ग्राम खेल समितियाँ हैं। इन समितियों में से प्रत्येक में न्यूनतम बारह युवा जुड़े हैं, रुचि अनुरूप इन्हें खेल सामग्रियाँ और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इन खेल समितियों की प्रतियोगिता भी कराई जा रही है।
उद्देश्य क्या है
इन ग्राम खेल समितियों के पीछे सोच है कि, पहुँच विहीन इन इलाक़ों में पुलिस के विश्वसनीय मित्र तैयार हों। युवा चाहे इस समिति से सीधे जुड़े हों या कि इन समितियों के संपर्क में हों वे सकारात्मक रुप से आगे बढ़ें, वे अपराध की ओर आकर्षित ना हो, क्योंकि इन की सीधी पहुँच एसपी कबीरधाम तक है।इन समितियों के ज़रिए कोई समस्या की जानकारी या सूचना सीधे ज़िला मुख्यालय तक पहुँचती है, इनसे एक फ़ायदा यह भी है कि शासकीय योजनाएँ जो वहाँ नहीं पहुँच पा रही है वे भी मुकम्मल और जल्द से जल्द पहुँचे इसकी क़वायद भी शुरु है।
आठ थाना क्षेत्रों में सक्रिय है ग्राम खेल समितियाँ
ज़िले के लोहारा,सिंघनपुर,रेंगाखार,झलमला,चिल्फी,बोड़ला,तरेगांव और कुकदूर इन आठ थाना क्षेत्रों में 140 ग्राम खेल समितियाँ संचालित हो रहा हैं।
DIG, SP समेत पूरे पुलिस महकमे ने इन समितियों को परोसा भोजन और साथ खाना खाया
इन ग्राम खेल समितियों का हालिया दिनों एक विशाल सेमीनार हुआ था। इस सेमीनार में डीआईजी राम गोपाल गर्ग, एसपी लाल उम्मेद सिंह, एडिशनल एसपी मनीषा ठाकुर समेत पूरा पुलिस महकमा बतौर मेज़बान मौजूद था। इस सेमीनार में इन ग्राम खेल समितियों के सदस्यों का परंपरागत नारियल भेंट के ज़रिए स्वागत हुआ और इन्हें खेल के लिए आवश्यक किट और संसाधन दिए गए। इन्हें भोजन खुद डीआईजी और एसपी ने परोसा।
गाँव को उसकी परंपरा के सम्मान के साथ जोड़ने की क़वायद है
इन ग्राम खेल समितियों की सोच रखने और फिर इसको मूर्त रूप देने की क़वायद करने वाले एसपी डॉ लाल उम्मेद सिंह ने इन समितियों को लेकर द सूत्र से कहा
“आप इसे पुलिस और ग्रामीणों के बीच पक्के रिश्ते की कोशिश कह सकते हैं, मेरे नज़र से यह ग्रामीणों को उनकी परंपरागत जीवन पद्धति को बग़ैर छेड़े बल्कि उसे स्वीकार करते हुए उन्हें खेलों के ज़रिए आगे बढ़ाने की क़वायद है। इस इलाक़े में बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, उन्हें हम मदद कर पाएँगे, बिलाशक यह अंदरूनी पहुँच विहीन से इलाक़ों को हमसे अब पहुँच विहीन भी नहीं रखेगा। ये लंबा सफ़र है और हमें उनका पूरा ख़्याल रखना है, और हम उसी ओर अग्रसर हैं”