याज्ञवल्क्य मिश्र, Raipur. आदिवासी आरक्षण मसले पर राज्य सरकार जल्द ही विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकती है। इस हफ़्ते होने वाली कैबिनेट बैठक में यह तय हो जाएगा कि, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाना है या नहीं और बुलाया जाना है तो कब बुलाया जाना है। सूबे में आदिवासी वर्ग आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के एक फ़ैसले के बाद से राज्य सरकार से यह कहते हुए नाराज़ हैं कि, कोर्ट में राज्य सरकार ने मज़बूती और तार्किकता से पक्ष रखा ही नहीं।
क्या है आरक्षण का मसला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में लागू 58 फीसदी आरक्षण व्यवस्था को ख़ारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में 2012 की वह अधिसूचना जिसमें आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 58 फीसदी किया गया था, उसे असंवैधानिक करार दिया। हाईकोर्ट ने आबादी के हिसाब से आरक्षण देने को भी गलत करार दिया है।
कैसे हुआ था 58 फीसदी
राज्य सरकार ने आबादी के हिसाब से आरक्षण का रोस्टर जारी किया था। जिसके तहत अजा वर्ग को 32 फीसदी, अजजा को 12 फीसदी और ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था। इससे प्रदेश में आरक्षण 58 फीसदी हो गया था।
सूबे में आंदोलित हैं आदिवासी
आरक्षण पर आए इस फैसले के बाद से प्रदेश में आदिवासी वर्ग जो पहले से ही मुखर है, अब और ज़्यादा आक्रामक हो गया है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक आदिवासी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। हालिया दिनों आदिवासियों का सम्मेलन रायपुर में हुआ था जिसमें खुलकर यह कहा गया कि पार्टियों से दूर समाज अब अपना प्रतिनिधि चुनेगी।