Balrampur। छत्तीसगढ़ के झारखंड सरहद पर मौजूद गाँव चुनचुना पुनदाग में दो अहम हलचल हुई, और इन दोनों ही हलचलों ने लंबे अरसे से नक्सली दंश झेल रहे चुनचुना पुनदाग को लेकर यह मुकम्मल साबित किया है कि, कभी नक्सल गढ़ के रुप में मौजूद इस इलाक़े में अब तस्वीर बदल रही है। आईजी एसपी और कलेक्टर तीनों ही इस गाँव पहुँचे और देर तक ग्रामीणों से संवाद किया। ग्रामीणों ने इस संवाद में सड़क स्कूल शिक्षक की माँग की। अधिकारियाें का पहुंचना पहले भी हुआ है, लेकिन कैंप के अंदाज में रूक जाएं, यह अरसे बाद हुई पहली हलचल थी, दूसरी हलचल यह थी कि, ग्रामीण पूरे जोश खरोश से सामने आए और खुलकर अपनी बातें रखीं। यह वही गांव हैं जहां कुछ बरस पहले तक चुनचनुा पुंदाग के भरे बाजार में नक्सली हत्या कर जाते थे और शव दो दिनों तक माओवादियाें के भय से कोई उठाने की हिम्मत नहीं करता था।
छत्तीसगढ़ झारखंड सरहद पर प्रदेश की आख़िरी पंचायत है चुनचुना पुंदाग
चुनचुना पुंदाग छत्तीसगढ़ की वह आख़िरी ग्राम पंचायत है जिसके बाद झारखंड शुरु हो जाता है।बेहद जटिल प्राकृतिक संरचना की वजह से इस गाँव के लिए ज़िला मुख्यालय आने के दो रास्ते हैं एक तो झारखंड होते हुए पहुँचे या फिर पहाड़ी का रास्ता।सुगमता से पहुंच पाने में बेहद कठिनाई ने चुनचुना पुनदाग को माओवादियों का गढ़ क्षेत्र बना दिया था। इस ईलाके में ही झारखंड का बूढ़ा पहाड़ है, जहां अब भी फ़ोर्स का पूरी तरह क़ब्ज़ा नहीं है। इस बूढ़ा पहाड़ ईलाके में माओवादियों ने कई जगहों पर लैंड माइंस लगा रखी है। फ़िलहाल इलाक़े में झारखंड जगुआर और सीआरपीएफ़ का ज़बर्दस्त दबाव है और माओवादियों को लेकर यह माना जाता है कि वे इस ईलाके पर अब उतना प्रभुत्व नहीं रखते।
30 बरस में पहली बार कोई IG पहुँचा चुनचुना पुंदाग
छत्तीसगढ़ को बने 22 साल हो चुके हैं, पर इससे भी पहले साल 93 से नक्सली आमदरफ्त शुरु हो गई थी।क़रीब तीस बरसों में यह पहला मौक़ा है जबकि रेंज आईजी ना केवल चुनचुना पुंदाग पहुँचे हों बल्कि यह सतही दौरा ना होकर गाँव में देर तक कैंप भी किया। बलरामपुर ज़िले का हिस्सा चुनचुना पुंदाग में कलेक्टर कुंदन कुमार और एसपी मोहित गर्ग भी आईजी अजय यादव के साथ मौजूद थे। ऑपरेशन के लिहाज़ से पुलिस की टीम वहाँ जाती रही है, कप्तान सदानंद सिंह वहाँ कई बार गए थे,ठीक वैसे ही बतौर बलरामपुर कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन भी पुंदाग का दौरा कर चुके हैं। लेकिन उन दोनों अधिकारियों के बाद किसी के वहाँ जाकर कैंप कर रुकने की जानकारी यदि मिली है तो वह एसपी बलरामपुर मोहित गर्ग, और कलेक्टर कुंदन कुमार ही हैं।
स्कूल शिक्षक सड़क माँग रहे ग्रामीण
कभी इस इलाक़े में माओवादियों का हस्तक्षेप इतना ज़्यादा था कि, फ़ोर्स ऑपरेशन के अलावा पहुँचती नहीं थी।ग्रामीणों के लिए मूलभूत सुविधाओं की जरुरत पहले भी थी लेकिन माओवादियों के डर के आगे मौन ही इकलौता विकल्प होता था। लगातार प्रयास ने जिसमें झारखंड पुलिस का अहम योगदान है, ग्रामीणों को निडर किया है, और अब वे खुलकर माँग भी कर गए। ग्रामीणों ने सड़क पानी के साथ साथ स्कूल और शिक्षकों की माँग की है। कलेक्टर कुंदन कुमार ने तुरंत ही सहमति भी दे दी।