Dantewada। दंतेवाड़ा की एक महिला पटवारी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति माँगी है। लल्ली मेश्राम नामक पटवारी ने तहसीलदार समेत कुछ प्रशासनिक अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।श्रीमती लल्ली मेश्राम के पति स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप में दिल्ली में पदस्थ हैं, श्रीमती मेश्राम के साथ उनका इकलौता बेटा रहता है। श्रीमती मेश्राम का आरोप है कि, बीते सात महीनों में तीन बार स्थानांतरण किए गए हैं,और वे फ़िलहाल गीदम तहसील में पदस्थ की गईं हैं। जहां उन्हे हल्का भी नही दिया गया है,उन्हे निलंबित किया गया है,लेकिन निलंबन के पहले कोई जवाब नही लिया गया।
लगातार ट्रांसफ़र और हल्का भी नही
राज्यपाल को पत्र लिखने का आधार लगातार स्थानांतरण और कथित उपेक्षापूर्ण व्यवहार है।श्रीमती लल्ली मेश्राम ने द सूत्र से कहा
“विषय लगातार स्थानांतरण हैं, पूरे ज़िले में बस मेरे साथ ऐसा हो रहा है लेकिन क्यों हो रहा है, यह कोई नहीं बताता है।मेरा बेटा स्थानीय स्कूल में पढ़ रहा है अब मेरे को गीदम तहसील भेजे हैं, मेरे बच्चे की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। मैंने निवेदन किया कि ऐसा मत करिए तो कोई सुनता ही नहीं है। मुझे गीदम भेजे हैं तो हल्का भी नही दे रहे हैं,मुझे निलंबित कर दिए हैं, मेरे साथ ये सौतेलापन आख़िर क्यों कर रहे हैं। जब थक गई तो राज्यपाल को पत्र लिखकर मैंने अपने बेटे के साथ इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की माँग रखी है”
प्रशासन का तर्क
इस मामले में एसडीएम दंतेवाड़ा ने महिला पटवारी के द्वारा राज्यपाल को पत्र लिखे जाने की जानकारी होने और महिला पटवारी को बुलाकर चर्चा करने की कोशिश करने का दावा किया है। प्रशासन का दावा यह भी है कि,जिस कुम्हार रास में महिला पटवारी की पदस्थापना है,वहाँ उन्हें क़रीब दस वर्ष हो गए हैं। उन्हे वहाँ से हटाया गया तो उन्होंने ज्वाईनिंग नहीं दी। राज्य सरकार का स्पष्ट आदेश हैं कि पटवारी यदि दो वर्ष से उपर पदस्थापित हैं तो उन्हे हटाया जाए, अभी फिर उन्हें नई जगह भेजा गया तो उन्होंने वहाँ भी पदभार ग्रहण नहीं किया है। महिला पटवारी ने ज्वाईनिंग नहीं दी और कुम्हाररास हल्का का ज़मीन रिकॉर्ड भी जमा नहीं किया, जिसे उनके यहाँ से जप्त किया गया। वे इसी वजह से निलंबित हैं और उनके विरुद्ध विभागीय जाँच जारी है।
एसडीएम दंतेवाड़ा अविनाश मिश्रा ने कहा
“उन्हें कई बार बात करने के लिए बुलाया गया है कि वे अपनी समस्या बताएँ,ताकि हम उसका समाधान कर सकें,उन्हें स्थानांतरण से दिक़्क़त है पर प्रशासकीय सेवा में स्थानांतरण होना सामान्य बात है, वह पत्र क्यों उन्होंने लिखा मुझे पता नहीं है”
बहरहाल राज्यपाल को पत्र लिख महिला पटवारी चर्चाओं में तो आ ही गईं हैं, वे चर्चा करने पर प्रशासन के बताए दावों को ग़लत ठहराती हैं और पक्षपात पूर्ण कार्यवाही का आरोप लगा रही हैं।समस्या ट्रांसफ़र तो है ही, हल्का ( पटवारी क्षेत्र ) ना दिया जाना भी है इसे वे स्वीकारती हैं,और इस सवाल को दोहराती हैं कि, केवल मेरा ही स्थानांतरण क्याें हो रहा है,और निलंबन किए तो कोई नाेटिस भी नही दिए,मेरा पक्ष क्याें नही लिए।