AMBIKAPUR. छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में हाथियों का आतंक जारी है। इस बीच, सरगुजा-रायगढ़ सरहद पर मैनपाट रेंज से लगे बोरो रेंज में इन दिनों 14 जंगली हाथियों का दल उत्पात मचा रहा है। ये दल फसलों के अलावा कच्चे घरों को भी तोड़ रहे हैं। इससे इन गांवों के ग्रामीण दहशत में हैं।
फसलों को दो हाथी पहुंचा रहे हैं नुकसान
दरअसल, मैनपाट के सीमावर्ती क्षेत्र रायगढ़ जिले के बोरों रेंज में 14 हाथियों के विचरण से लगभग एक दर्जन से ज्यादा गांव अभी भी गजराज के आतंक और उत्पात से प्रभावित हैं। जहां निवासरत वनवासियों की दिनचर्या हाथियों के दिनों दिन बढ़ते उत्पात के कारण बदल रही हैं। वहीं, बार नयापारा के जंगल से भटककर दो हाथी अब किसानों की फसलों को फिर से नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये दंतैल जिले के वन विकास निगम क्षेत्र में लगातार घूम रहे हैं। इसके चलते वन विभाग ने लगभग दर्जनभर गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है।
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तेंदूपत्ता संग्रहण पर पड़ेगा असर
बता दें कि ग्रीष्म ऋतु के शुरुआत से ही वनोपज संग्रहण में जुटने वाले ग्रामीण वनवासी जंगल में हाथियों के विचरण से महुआ सहित अन्य वनोपज का संग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। वहीं ऐसी स्थिति में मई माह में शुरू होने वाली तेंदूपत्ता संग्रहण में भी इसका असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। मौजूदा मार्च में होने वाले महुआ, चार-चिरौंजी सहित अन्य वनोपज संग्रहण हाथियों के उत्पात के कारण यहां प्रभावित नजर आ रहा है। वहीं, तेंदू पत्ता के बेहतर उत्पादन के लिए मौजूदा समय में वन विभाग के द्वारा शाख कर्तन यानी पेड़ों की छंटाई भी कराया जा रहा है। मगर हाथी विचरण क्षेत्र में शाख कर्तन भी प्रभावित हो रही है।
विभाग की जंगल की ओर न जाने की अपील
वहीं मैनपाट क्षेत्र के ग्रामीण रायगढ़ के बोरों और कापू रेंज की ओर भी तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए भी जाते हैं मगर इस बार यदि मई माह में भी इस क्षेत्र में हाथियों की मौजूदगी रही तो ग्रामीणों की यह आजीविका भी प्रभावित होगी। वहीं, वन विभाग सहित स्थानीय प्रशासन हाथियों से दूर रहने और जंगल की ओर न जाने लिए लगातार ग्रामीणों को जागरूक करने में जुटा हुआ है।
वन विभाग सहित राजस्व विभाग को किया निर्देशित
हाथियों के उत्पात के बीच सीतापुर एसडीएम रवि राही का कहना है कि उन्होंने वन विभाग सहित राजस्व विभाग को निर्देशित कर दिया है कि सरगुजा-रायगढ़ सरहद पर हाथियों की मौजूदगी होने के कारण लगातार मुनादी के माध्यम से ग्रामीणों को जंगल की ओर वनोपज संग्रहण करने नहीं लिए मना किया गया है कि हाथियों के उत्पात के बीच किसी ग्रामीण की जानमाल की हानि न हो सकें।