RAIPUR. पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह की अग्रिम जमानत याचिका 10 मार्च, शुक्रवार को जिला अदालत ने खारिज कर दी। आय से अधिक संपत्ति केस में फंसे पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह की जमानत याचिका पर एडीजे संतोष कुमार तिवारी की अदालत में सुनवाई हुई। कोर्ट ने संबंधित पक्षों की दलील सुनने के बाद अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया। इससे पहले अमन सिंह की हाईकोर्ट में भी याचिका लगी थी। हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से मना करते हुए निचली अदालत में जाने के लिए कहा था।
क्या है मामला?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आंख की सीधी किरकिरी बने अमन सिंह के खिलाफ मुख्यमंत्री सचिवालय से एक पत्र एंटी करप्शन ब्यूरो को 24 फरवरी 2019 को भेजा गया, जिसमें प्राथमिक जांच क्रमांक 35/2019 के उल्लेख के साथ निर्देश था कि अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मिन सिंह के विरुद्ध नंबरी अपराध दर्ज कर सूचित करने के निर्देश थे। एसीबी ने अमन सिंह और उनकी पत्नी के विरुद्ध धारा 13(1)बी,13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और 120 बी के तहत अपराध दर्ज कर लिया।
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FIR को अमन सिंह ने हाईकोर्ट में भी दी थी चुनौती
अमन सिंह और उनकी पत्नी के विरुद्ध अनुपातहीन संपत्ति होने के आरोप के साथ अमन सिंह के दिल्ली स्थित फ्लैट और भोपाल स्थित फ्लैट के उल्लेख के साथ-साथ उनकी पत्नी यास्मिन सिंह के नाम पर आरंग में जमीन खरीदे जाने का ब्यौरा इस एफआईआर में उल्लेखित है। इस FIR को अमन सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद इस FIR को खारिज कर दिया। इसके बाद इस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील हुई ।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए। केवल इस आधार पर कि किसी अपराधिक मुकदमे के पीछे महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य हो तो वह दूषित नहीं हो जाता। निरीक्षण (जांच) जरूरी है। जांच पूरी होने पर पता चलेगा कि लोक सेवक के पास उसकी आय के ज्ञात स्त्रोतों से अधिक संपत्ति है या नहीं है। भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों में FIR के रद्द नहीं किया जाए जबकि वे जांच के प्रारंभिक चरण में हों। भले ही सत्तारूढ़ तंत्र के मजबूत हथियार के रूप में कुछ तत्व स्पष्ट हों।