छत्तीसगढ़ विधानसभा में बवाल क्याें ? विपक्ष के प्रिय अध्यक्ष डॉ महंत को लेकर क्याें कहा BJP ने − हम आपके व्यवहार से आहत हैं!

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Yagyawalkya Mishra
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छत्तीसगढ़ विधानसभा में बवाल क्याें ? विपक्ष के प्रिय अध्यक्ष डॉ महंत को लेकर क्याें कहा BJP ने − हम आपके व्यवहार से आहत हैं!

Raipur. बीजेपी विधायक दल ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत को पत्र लिख कर यह कहा है कि, वे उनके व्यवहार से अपमानित हुए हैं और इसलिए आज के बाद विधानसभा के किसी भी आयोजन में भागीदारी की अपेक्षा ना करें। बीजेपी विधायक दल ने यह स्पष्ट किया है कि, वे सदन की कार्यवाही में भाग लेंगे पर उसके अतिरिक्त कहीं भी नहीं।



क्या लिखा है BJP ने पत्र में

विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत को संबोधित इस पत्र में बीजेपी विधायक दल ने लिखा है




“आज आपके द्वारा विपक्ष को सदन में निलंबित स्थिति में रखकर और आपके द्वारा कार्यवाही बार बार असीमित समय पर निलंबित कर हमें हमारे विधानसभा में कार्य करने के अधिकार से वंचित किया गया है।बाद में आपके द्वारा पृथक कार्यसूची जारी कर 6 जनवरी 2023 तक चलने वाले विधानसभा सत्र को आज दिनांक 4 जनवरी 2023 को ही समाप्त किया गया है।आपके इस कार्यप्रणाली से विपक्ष अपने को अपमानित महसूस कर रहा है।आज के बाद विधानसभा के किसी भी आयोजनों में हमारी भागीदारी की अपेक्षा न रखेंगे।”





मीडिया से कहा बीजेपी विधायक दल ने



 सत्र की समाप्ति की घोषणा के ठीक बाद बीजेपी विधायक दल मीडिया के सामने आया, और पूरे मसले को लेकर अपनी पक्ष रखा। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा




“आज विधानसभा में लोकतंत्र की हत्या हुई है,प्रजातंत्र की हत्या हुई है, विपक्ष को अपमानित किया गया है। और सबसे दुख की बात तो यह है कि सत्ता पार्टी के साथ साथ विधानसभा अध्यक्ष भी उसमें शामिल हो गए।विधानसभा अध्यक्ष जी का जो व्यवहार विपक्ष के साथ में रहा है,ये क़तई बर्दाश्त योग्य नहीं है।वे एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ता हो सकते हैं,परंतु वे विधानसभा अध्यक्ष हैं और विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते उनको विपक्ष का सम्मान करना चाहिए आज उन्होंने विपक्ष का अपमान किया है।जो कार्य सूची हमारी सहमति से ही जारी नहीं की गई।नेता प्रतिपक्ष से नहीं पूछा गया,कार्य मंत्रणा समिति में 6 तारीख़ तक सदन चलाने का निर्णय हुआ, प्रश्नोत्तरी छप गई। उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष की मनमानी चलेगी क्या ? वो क्या बग़ैर किसी से बातचीत के निर्णय करेंगे, और हम तो यह कहते हैं लोकतंत्र की अगर हत्या होगी, अगर प्रजातंत्र की हत्या होगी तो हम इससे भी ज़्यादा कड़ा विरोध कर सकते हैं, चाहे वह विधानसभा अध्यक्ष क्यों ना हो। सरकार सरकार होती है विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा अध्यक्ष होते हैं। परंतु सरकार और विधानसभा अध्यक्ष मिलकर अगर लोकतंत्र की हत्या करें तो यह शर्मनाक है।”





नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा




पहले दिन से जो रवैया सरकार की रही, विपक्ष में जो हमारी भुमिका है,उस भुमिका का पूरी तन्मयता के साथ विपक्ष अदा कर रहा था।प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों को उठाने का प्रयास किया तो यह पहली बार देखने में आया जब विपक्ष के सदस्य मुद्दे को उठाते थे अध्यक्ष की अनुमति से तो सत्ता पक्ष के मंत्री और सत्ता पक्ष के सदस्य प्रश्न काल जैसे महत्वपूर्ण काल में भी उसको बाधित करते थे।हो हल्ला करते थे नारेबाज़ी करते थे यह काम सत्ता पक्ष का नहीं है।हम लगातार माननीय अध्यक्ष जी से व्यवस्था की माँग करते रहे कि आसंदी से कोई व्यवस्था आए। लेकिन अध्यक्ष जी ने भी विपक्ष की जायज़ माँग को अनसुना किया, अनदेखी की।आज तो उन्होंने हद कर दिया हमको निलंबित किया, हम सदन में गए।निलंबन समाप्ति की उन्होंने घोषणा नहीं की लेकिन बिना विपक्ष के परामर्श के बिना विपक्ष के चर्चा के अनुपूरक कार्य सूची आ गई।हम जब सदन में गए तो हमको मालूम चला विपक्ष से सामान्य रुप से परंपरा होती है अगर अनुपूरक कार्य सूची विधानसभा में आती है तो विपक्ष के नेता से विपक्ष से चर्चा होती है दुख की बात यह है कि अध्यक्ष जी को दो बार खबर भिजवाया लेकिन उसके बाद भी अध्यक्ष जी ने विपक्ष से चर्चा करना उचित नहीं समझा।माननीय मुख्यमंत्री और सत्ता पक्ष के लोग ये लोकतंत्र है ये प्रजातंत्र है इतने अहंकार में नहीं रहना चाहिए। हमने, आज विधायक दल ने तय किया है आने वाले समय में हम सत्र में जरुर भाग लेंगे लेकिन विधानसभा के अंदर सरकार के किसी आयोजन में या विधानसभा के किसी अन्य आयोजन में भाग नहीं लेंगे, और हम अध्यक्ष जी के व्यवहार से दुखी आहत हैं। यह कहीं नहीं होता। हम सत्ता पक्ष के लोगों को कहना चाहते हैं मुख्यमंत्री को कहना चाहते हैं लोकतंत्र का सम्मान करना सीखें प्रजातंत्र का अपमान मत करें।लोकतंत्र की हत्या संख्या बल के आधार पर.. सामान्य शिष्टाचार को कभी नहीं भूलना चाहिए। हम अध्यक्ष जी के व्यवहार से आहत हैं”





अजय चंद्राकर ने मीडिया से कहा




“आज विधानसभा का उत्कृष्ट विधायक का अलंकरण समारोह है और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है।आज विधानसभा में सत्तारूढ़ दल की जो भूमिका रही और माननीय विधानसभा अध्यक्ष जी का जो दृष्टिकोण रहा, ऐसा लग रहा है कि मानसिक रूप से वे तैयार हैं कि बिना विपक्ष के वे विधानसभा चला सकते हैं, लोकतंत्र की हत्या कर के।जब छत्तीसगढ़ में लोकतंत्र ही ज़िंदा नहीं है।विधानसभा के अध्यक्ष की उपस्थिति में विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही है। हद तो तब हो गई है अब जबकि राजनैतिक मंच से महामहिम राज्यपाल तक से इस्तीफ़े माँगे जा रहे हैं।ऐसे विधानसभा अध्यक्ष और ऐसी जो परिस्थितियाँ बनी हैं उसमें मुझे विपक्ष की ओर से उत्कृष्ट विधायक चुना गया है, मैं उस सम्मान समारोह में उपस्थित रहने में असमर्थ हूँ और एक तरह से कह लें कि मैं उसका बहिष्कार भी कर रहा हूँ।”





ऐसी स्थिति क्यों बनी ?

  व्यवस्था के दृष्टिकोण से विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत लगातार प्रयास करते रहे हैं कि, विपक्ष को बेहतर संरक्षण मिले। बीते सत्रों में सत्ता पक्ष की ओर से खुलकर यह बात आई कि, विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत विपक्ष को ज़्यादा संरक्षण देते हैं। लेकिन शीतकालीन सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक का पारित होना सत्ता पक्ष के लिए मुसीबत का सबब हो गया, क्योंकि बीजेपी ने क्वांटिफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट सदन पर रखने की माँग की और पूरे आक्रामक तेवर से की। बीजेपी राज्यपाल को लेकर की गई टिप्पणियों पर भी सवाल कर सत्ता पक्ष को घेर रही थी। नतीजतन सत्ता पक्ष ने विपक्ष की भूमिका निभाई और इस कदर हल्ला हंगामा नारेबाज़ी का प्रदर्शन किया कि, लगातार अवरोध होता रहा और दो दिनों तक सत्र समय के पहले ही अगले दिन के लिए स्थगित हो गया। सत्ता पक्ष की भुमिका से विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत खिन्न थे और दूसरे दिन जबकि विपक्ष ने प्रश्न काल में सत्ता पक्ष के अवरोध पर व्यवस्था माँगी तो विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत ने विपक्ष की आपत्ति से सहमति जताते हुए व्यवस्था देने का आश्वासन दे दिया। लेकिन आज जबकि खुद विपक्ष ही गर्भगृह में आ गया और उसके बाद जिस तरह से विपक्ष बगैर निलंबन समाप्ति के आया और गर्भगृह में पहुँच कर नारेबाज़ी करने लगा तो विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत आहत हुए। वे तब और दुखी हुए जबकि नाराज़ विपक्ष ने काग़ज़ के टुकड़े उनकी ओर फेंके। भाजपा विधायक दल के बाहर जाने पर उनकी अप्रसन्नता तब भी दिखी जबकि सत्ता पक्ष के विधायक कुलदीप जुनेजा ने बीजेपी के विरोध प्रदर्शन के तरीक़े पर आपत्ति जताते हुए बीजेपी के तीन सदस्यों के निष्कासन की माँग की। तब विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत ने खिन्न भाव से कहा



“जी.. मैंने सुन ली आपकी बात.. मैं इस पर विचार करुंगा”




  इसके कुछ देर बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने शीतकालीन सत्र के समय पूर्व अवसान की घोषणा कर दी। शायद यदि विपक्ष जो लगातार नियमों की ना केवल बात करता है बल्कि उसका पालन भी करता है यदि आज भी वह उस पर टिका रहता तो यह स्थिति नहीं बनती। निलंबन के समाप्ति का विपक्ष यदि इंतज़ार कर लेता, विपक्ष थोड़ा धैर्य और रख लेता तो हिमालयीन संख्या बल के दम पर शोरगुल हंगामा कर रहे सत्ता पक्ष को यह अवसर नहीं मिलता कि, वह विपक्ष के सदस्यों के निलंबन/निष्कासन की माँग कर पाता और सबसे बढ़कर विधानसभा उस अप्रिय नज़ारे से भी बचती जिसमें आसंदी की ओर काग़ज़ के टुकड़े फेंके गए। जिसके बाद बीजेपी के विधायक दल के निलंबित रहते हुए सत्रावसान की घोषणा हो गई।




      लेकिन अब तो महानदी में पानी बह गया  है..


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