स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव के करीबी दो वकीलों को भूपेश सरकार ने हटाया, सिंहदेव बोले - आश्चर्य है, लेकिन नो कमेंट

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Neha Thakur
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स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव के करीबी दो वकीलों को भूपेश सरकार ने हटाया, सिंहदेव बोले - आश्चर्य है, लेकिन नो कमेंट

याज्ञवल्क्य मिश्रा, SURGUJA. जिला कोर्ट में भूपेश सरकार की ओर से पदस्थ लोक अभियोजक संतोष सिंह और अतिरिक्त लोक अभियोजक हेमंत तिवारी को भूपेश सरकार ने हटा दिया है। दोनों ही क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव के बेहद करीबी माने जाते हैं। दोनों के हटाए जाने पर मंत्री टीएस सिंहदेव ने इसे आश्चर्यजनक बताया है। राज्य शासन के विधि और विधायी कार्य विभाग द्वारा जारी आदेश में सेवा समाप्ति की कोई वजह नहीं बताई गई है।



पहली बार ऐसी कार्रवाई



अंबिकापुर कोर्ट के इतिहास में यह पहला मौका है, जबकि ऐसी कार्रवाई की गई हो। हालांकि समयावधि केवल 6 महीने की बची थी, लेकिन हटाने का मतलब हटाना होता है। दो प्रमुख शासकीय अधिवक्ताओं हटाए जाने के इस मामले के सियासती मायने निकाले जा रहे हैं।



नियम के तहत नोटिस देना होता है



राज्य सरकार की ओर से जब समय काल के लिए अतिरिक्त लोक अभियोजक या लोक अभियोजक की नियुक्ति होती है तो दोनों ही पक्षों (राज्य और वकील) को एक महीने का नोटिस देना होता है। लेकिन इस मामले में कोई नोटिस जारी नहीं हुआ।



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मामला इसलिए राजनैतिक बताया जा रहा है



जिन दोनों अधिवक्ताओं को हटाया गया है, वे दोनों ही मंत्री सिंहदेव के बेहद करीबी हैं। बल्कि नियुक्ति भी इसलिए हुई क्योंकि वे मंत्री सिंहदेव के करीबी थे। संतोष सिंह इस नियुक्ति के पहले से मंत्री टीएस सिंहदेव के अधिवक्ता रहे हैं। मंत्री सिंहदेव की जमीनों का मसला जिसमें लुचकी बगीचा का विषय था, यह सीलिंग से जुड़ा मसला है। उस मामले में कथित रुप से नक्शे में हेराफेरी कर दी गई, और सिंहदेव की ही जमीन आगे पीछे हो गई। रैवन्यू बोर्ड से सिंहदेव केस जीत गए। उसके बाद यह मसला 2006-07 में फिर सिविल कोर्ट आया। यह प्रकरण टीएस सिंहदेव की ओर से लगाया गया था, इसमें वकील संतोष सिंह ही थे। इस मामले में सिंहदेव की ओर से मांग की जा रही थी कि, सीलिंग की पूरी फाइल कलेक्ट्रेट से पेश की जाए। जबकि संतोष सिंह सरकारी वकील बने तो उन्होंने यह केस छोड़ दिया। इस केस को बतौर सरकारी वकील हेमंत तिवारी देख रहे थे। हेमंत तिवारी भी मंत्री सिंहदेव के बेहद करीबी माने जाते हैं। इस मामले में उन्हे यह शो कॉज दिया गया कि, वे सरकार का पक्ष नहीं रख रहे हैं। हेमंत तिवारी की ओर से जवाब दिया गया और उसके बाद उन्होंने केस छोड़ दिया, अब यह प्रकरण एक अन्य अधिवक्ता शासन की ओर से देख रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहां मंत्री सिंहदेव जिन अभिलेखों को मांग रहे हैं, उन्हें कलेक्ट्रेट पेश ही नहीं कर पा रहा है और कोर्ट इन अभिलेखों के लिए सख्त है। इसके साथ-साथ एक और मसला इन आदेशों के पीछे कारण माना जाता है। अंबिकापुर बार एसोसिएशन का चुनाव हुआ था। जिसमें हेमंत तिवारी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े थे। इसमें उन्होंने सीएम भूपेश के बेहद करीबी अमरजीत भगत से निकटता रखने वाले प्रवीण गुप्ता को हरा दिया था। बताते हैं कि इसके बाद शिकवा शिकायत का दौर जोर पकड़ गया।



क्या बोले सिंहदेव



इस मसले पर मंत्री टीएस सिंहदेव ने बेहद टिप्पणी करते हुए दो शब्दों में कहा कि आश्चर्यजनक.. नो कमेंट्स। इसी बात में और उसमें पूरी बात कह दी है।

 


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