Raipur. छत्तीसगढ़ पुलिस जवाबदेही प्रकरण में सचिव पद पर नियुक्त IAS आनंद मसीह जाति के मसले को लेकर गंभीर क़ानूनी उलझन में फँस गए हैं।आनंद मसीह 2011 बैच के आईएएस हैं। मूलतः वे राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, प्रमोट होकर उन्हे आईएएस अवार्ड हासिल हुआ है।जाति की छानबीन करने वाली राज्य की हाई पावर कमेटी ने उन्हे अनुसूचित जनजाति का नहीं माना है। राज्य की उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने अपने रिपोर्ट में यह पाया है कि, आनंद मसीह उराँव जनजाति के नहीं है।
क्या है मसला
आनंद मसीह राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। उन्हे आईएएस अवार्ड हुआ है।उन्होंने खुद को उराँव जनजाति का बताते हुए अनुसूचित जनजाति का बताया। इस मामले में 2007-08 में भी यह मामला सामने आया था और तब हाईकोर्ट ने जाति छानबीन समिति के निर्णय को अपास्त कर दिया था। जाति छानबीन समिति ने 5 फ़रवरी 2007 को आनंद मसीह का जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया था।24 जुलाई 2018 को हाईकोर्ट ने इस निर्णय को अपास्त कर दिया था। उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने आदेश के अध्ययन पर यह पाया कि, हाईकोर्ट ने आदेश में जाँच हेतु विस्तृत दिशा निर्देशों का पालन नहीं किए जाने की बात कहते हुए आदेश दिया था। जिसके बाद उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने फिर से विस्तृत अन्वेषण किया। विजिलेंस सेल ने इसकी विस्तृत जाँच की और निष्कर्ष समिति को सौंप दिया।
रिपोर्ट के अनुसार आनंद मसीह को 5 जनवरी 2021 इस संबंध में कारण बताओ नोटिस दिया गया। जिसके जवाब में 18 जनवरी को आनंद मसीह के द्वारा पत्र भेजकर अपना पक्ष रखने का आग्रह किया गया। इस पर 9 अप्रैल को सुनवाई की तिथि तय की गई, इस दिन आनंद मसीह उपस्थित हुए और कोविड का हवाला देते हुए सुनवाई 8/6/2021 के बाद करने का आग्रह किया गया।22/5 और 18/6 की तारीख़ों पर आनंद मसीह उपस्थित नहीं हुए।आनंद मसीह 24 जुलाई को उपस्थित हुए और 24/9 को अधिवक्ता के साथ उपस्थित हुए और कुछ अभिलेख दिए साथ ही और समय की माँग की।लेकिन समिति को और समय की माँग उचित नहीं लगी।जाँच समिति ने बीते 27 फ़रवरी 2023 को जाँच रिपोर्ट के आधार पर आदेश जारी कर दिया।
क्या लिखा है आदेश में
आदेश में लिखा गया है कि, आनंद मसीह की जाति उराँव नहीं पाई गई है। उन्होंने इसी जाति के खुद को बताते हुए डिप्टी कलेक्टर की नौकरी हासिल की थी।यह प्रमाण पत्र जो 22 जनवरी 1981 को प्राप्त किया गया था, उसे निरस्त किया जाता है।