AMBIKAPUR: लोमड़ी के लिए अंगूर खट्टे हैं, पंचतंत्र की यही कहानी है। छत्तीसगढ़ की मादा भालू से पूछा जाए तो शायद वो कहती कि जामुन खट्टे हैं। जिसके चक्कर में वो अपने बच्चे सहित एक अंधे कुएं में जा गिरी। उसकी किस्मत अच्छी थी कि वन विभाग के अमले को समय रहते इसकी जानकारी मिल गई। जिनकी एक जुगत से भालु और उसके बच्चे की जान बच सकी। मामला सरगुजा जिले के उदयपुर वन परिक्षेत्र का है। जहां कठमुड़ा जंगल स्थित है। यहां एक सूखा कुआं है। जिसके अंदर जामुन के पेड़ लग गए हैं। बस इन्हीं जामुनों का लालच भालू और उसके बच्चे पर भारी पड़ गया।
सूखा कुआं बना मुसीबत
ये घटना दोपहर के वक्त हुई। जिस वक्त कुछ ग्रामीण वहां से गुजरे। उन्होंने आवाजे आने पर कुएं में देखा तो एक मादा भालू और उसका बच्चा वहां गिरा नजर आया। ग्रामीणों ने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी। खबर मिलते ही रेंजर सपना मुखर्जी दस लोगों के अमले के साथ मौके पर पहुंचीं। और भालू को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया।
इस जुगत से बाहर आए भालू
वन विभाग के अमले ने भालूओं को बाहर निकालने के लिए काफी जतन किए। लेकिन उन्हें बाहर खींच पाना मुश्किल हो रहा था। जब सारे उपाय फेल हो गए तब उसके बाद वन विभाग के अमले ने भालूओं का बर्ताव समझते हुए एक जुगत लगाई। उन्होंने कुएं में एक सीढ़ी डाल दी। और सब चुपचाप कुएं से दूर हो गए। वन विभाग के अमले के मुताबिक भालू सीढ़ी चढ़ जाते हैं। इसलिए इस जुगत पर सभी को भरोसा था। हुआ भी वही। जब मादा भालू को ये अहसास हुआ कि वो और उसका बच्चा सुरक्षित हैं। वो बच्चे सहित सीढ़ी चढ़ कर बाहर आ गई और जंगल की ओर लौट गई।
जब तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा। वन विभाग भालूओं को खाने में आम, जामुन और पानी देते रहें। ताकि भूख से और कुएं में फंसे फंसे दोनों भालू भड़क न जाए।
ऐसे गिरे होंगे कुएं में
वन विभाग का अनुमान है कि दोनों भालू खाने की तलाश में भटकते हुए गांव की ओर आ गए होंगे। यहां उन्हें कुएं में जामुन का पेड़ दिखा होगा। खतरे को न समझते हुए वो जामुन तोड़ने उतरे होंगे और पेड़ से कुएं में गिर पड़े होंगे। ये अच्छी बात रही कि ऊंचाई से गिरने के बाद भी दोनों भालूओँ को कोई चोट नहीं आई।