याज्ञवल्क्य मिश्रा, RAIPUR. पूर्व मंत्री राजेश मूणत 25 मई 2013 को झीरम हत्याकांड को लेकर सीएम भूपेश से सवाल किया है कि, पीसीसी चीफ रहते हुए आपने विधानसभा में कहा था कि झीरम से जुड़े कागज मेरे जेब में है। आप वे कागज सार्वजनिक क्यों नहीं करते। पूर्व मंत्री राजेश मूणत का यह बयान सीएम भूपेश के उस बयान के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा है कि, न्याय के लिए हम अभी भी लड़ रहे हैं।
क्या था झीरम कांड
झीरम कांड 25 मई 2013 को हुआ था। इसमें कांग्रेस की तत्कालीन पूरी पीढ़ी ही समाप्त हो गई थी। इनमें तत्कालीन पीसीसी चीफ नंद कुमार पटेल, बस्तर के दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा, राष्ट्रीय कद रखने वाले वीसी शुक्ला समेत 32 लोगों की हत्या हुई थी। नक्सलियों ने घाटी पर एंबुश लगाकर फायरिंग की थी, जबकि यह घटना हुई तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। यूपीए सरकार ने ही एनआईए को जांच सौंपी थी। इस मसले पर तत्कालीन डॉ. रमन सिंह सरकार ने न्यायिक जांच आयोग बनाया था। जिसके अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंपी, लेकिन भूपेश सरकार ने उसे सार्वजनिक नहीं किया। बल्कि नई कमेटी बना दी, जो जांच कर रही है। पीसीसी चीफ बनने के बाद भूपेश बघेल लगातार इसे राजनैतिक षड्यंत्र बताते रहे। उन्होंने यह तक कहा कि इसके सबूत मेरे जेब में हैं।
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अभी सीएम भूपेश ने क्या कहा
इस मामले में सीएम भूपेश बघेल ने झीरम हत्याकांड का जिक्र करते हुए बीजेपी और मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। सीएम भूपेश ने कहा- हम न्याय के लिए अब भी लड़ रहे हैं। जांच के लिए एसआईटी गठित करते हैं तो एनआईए हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट चली जाती है।हमने पीएम गृहमंत्री को लिखा कि हमें जांच दे दें। ज्यादा जांच की जरुरत ही नहीं है। सिर्फ दो तीन को पकड़ कर पूछताछ की जरूरत है जो उस समय शीर्ष पर थे।
क्या कहा है मूणत ने...
डॉ. रमन सिंह के बेहद विश्वस्त पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने इस बयान पर ही प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किए हैं। राजेश मूणत ने कहा “आम जनता को गुमराह क्यों करना चाहते हैं? झीरम घाटी में जो शहीद हुए वो भारत नाम के बेटे थे, वो किसी राजनैतिक दल से उपर उठकर के नेता थे। आप कहते रहे, जबकि आप पीसीसी चीफ थे कि आपके पास दस्तावेज है तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं करते।आपके पास दस्तावेज हैं तो सार्वजनिक करिए NIA को दे दीजिए। वर्ना ये स्पष्ट होगा कि आप केवल पॉलिटिकल स्टंट कर रहे हैं। मेरी चुनौती है आपके पास दस्तावेज हैं तो सार्वजनिक करिए। यदि ऐसा है तो करिए ताकि वाकई में जिन लोगों ने नेताओं की हत्या की है, उनको सजा और परिवार को राहत देना चाहते हैं तो NIA को कागज दे दीजिए।”