ED मामलाः कोयला घोटाला में आरोपी सुनील अग्रवाल की ज़मानत याचिका पर 15 फ़रवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई, जेल में हैं सुनील

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Yagyawalkya Mishra
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ED मामलाः कोयला घोटाला में आरोपी सुनील अग्रवाल की ज़मानत याचिका पर 15 फ़रवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई, जेल में हैं सुनील

Bilaspur. छत्तीसगढ़ के कोयला घोटाला और अवैध वसूली मामले में आरोपी सुनील अग्रवाल की ओर से ज़मानत याचिका हाईकोर्ट में लगाई गई है। इस याचिका पर सुनवाई आगामी 15 फ़रवरी को होनी है। सुनील अग्रवाल इस समय सेंट्रल जेल रायपुर में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा अभियुक्त सुनील अग्रवाल की ओर से पैरवी कर रहे हैं। जस्टिस पी सैम कोशी इस जमानत याचिका की सुनवाई करेंगे। 



11 अक्टूबर को ईडी ने किया था गिरफ़्तार 

 ईडी ने बीते 11 अक्टूबर को कोयला घोटाला और 25 रुपए प्रति टन की अवैध वसूली मामले में सुनील अग्रवाल को गिरफ़्तार किया था। ईडी ने सुनील अग्रवाल के साथ IAS समीर बिश्नोई और इस पूरे मामले में ईडी द्वारा किंगपिन बताए गए सूर्यकांत तिवारी के नज़दीकी रिश्तेदार लक्ष्मीकान्त तिवारी को गिरफ़्तार किया था। ईडी ने तीनों को PMLA के तहत गिरफ़्तार किया था। 





स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देकर माँगी ज़मानत,3 अस्पतालों की रिपोर्ट दी गई 




 कोयला घाेटाला और परिवहन में अवैध लेव्ही वसुली के इस मामले में बीते क़रीब चार महीने से केंद्रीय कारागार रायपुर में बंद इंद्रमणि कोल के डायरेक्टर सुनील अग्रवाल की ओर से पेश ज़मानत याचिका में ईडी की कार्रवाई को चुनौती दी गई है। सुनील अग्रवाल की ज़मानत याचिका में मेडिकल ग्राउंड भी दिए गए हैं। सुनील अग्रवाल की ज़मानत याचिका में मेडिकल कॉलेज रायपुर, डीकेएस और मेडिशाइन अस्पताल की जाँच रिपोर्ट भी पेश की गई है। इन रिपोर्ट के हवाले से किडनी में पथरी, एनल फ़िशर ( बवासीर ) की पुष्टि और कार्सिनोमा ( कैंसर का स्वरुप ) की आशंका बताई गई है। ज़मानत याचिका में तत्काल उपचार की आवश्यकता बताते हुए ज़मानत माँगी गई है।





 क्या है मामला 



   प्रवर्तन निदेशालय ने कोयला घोटाला और परिवहन में अवैध लेव्ही वसुली के मामले में सुनील अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। इस मामले में सीएम बघेल की उप सचिव साैम्या चाैरसिया,सूर्यकांत तिवारी, IAS समीर बिश्नाेइ समेत अब तक 12 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इस मामले में केंद्रीय जेल में बंद सुनील अग्रवाल पर प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि, प्रति टन पच्चीस रूपए टन की अवैध वसुली की जाती थी, इस वसुली से जो रकम आती थी उसका अहम हिस्सा कोल वाशरी समेत बहुतेरी अचल संपत्तियाें में निवेश हुआ और विभिन्न तरीकों से काले धन को सफेद करने की कवायद की जाती रही,इस में सुनील अग्रवाल की अहम भूमिका है। 


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