बस्तर में आमरण अनशन करेंगी महिलाएं, बोलीं- एनएमडीसी ने हमारी जमीन ली, लेकिन नौकरी नहीं दी, सिर्फ सर्वे हुआ 

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The Sootr CG
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बस्तर में आमरण अनशन करेंगी महिलाएं, बोलीं- एनएमडीसी ने हमारी जमीन ली, लेकिन नौकरी नहीं दी, सिर्फ सर्वे हुआ 

BASTAR. बस्तर की महिलाएं एक बार फिर अपनी हक के लिए सड़क पर उतरने को तैयार हैं। दरअसल, एनएमडीसी स्टील प्लांट के सामने 20 अप्रैल, गुरुवार से प्रभावित महिलाएं अनिश्चितकालीन आमरण अनशन करेंगी और अपनी मांग रखेंगी। ये भू-प्रभावित महिलाएं बस्तर में एनएमडीसी स्टील प्लांट में जमीन देने के एवज में मुआवजा के बाद महिलाओं को नौकरी नहीं देने से नाराज हैं।



न मुआवजा दिया, न नौकरी



जगदलपुर में मीडिया से चर्चा के दौरान महिलाओं ने बताया कि साल 2010 में एनएमडीसी ने हमारी जमीन ली। इस जमीन की जगह हमें नौकरी नहीं दी और न ही मुआवजा दिया गया। इसके इन महिलाओं को काफी संघर्ष से घर चलाना पड़ रहा है। साल 2014 से लगातार एनएमडीसी और जिला प्रशासन के सामने ये अपनी बातें रखती आई हैं। बीते साल महिला आयोग के सामने भी इन्होंने अपनी बातें रखी, लेकिन अभी तक कोई नतीजा ही नहीं निकला है। 



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इसलिए अनशन की तैयारी



मीडिया से चर्चा के दौरान महिलाओं ने कहा कि इन 77 महिलाओं के आवेदनों को देखते हुए अभी तक सिर्फ सर्वे किया गया है। सर्वे में जिला प्रशासन ने अपनी गलतियों को सुधारते हुए पात्रता घोषित किया। दोबारा जिला प्रशासन ने सर्वे करके, 4 महिलाओं को पात्र घोषित कर, एनएमडीसी को लेटर लिखा, जिससे इन्हें पुनर्वास का लाभ दिया जा सके और इन्हें नौकरी मिले। इसके बाद भी एनएमडीसी ने लेटर भेजकर कहा कि यह केस कोर्ट में लंबित है। कोर्ट से निराकरण के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके विरोध में ये महिलाएं अनिश्चितकालीन आमरण अनशन करेंगी।



10 साल बार प्रशासन ने मानी गलती



गौरतलब है कि नगरनार में स्थित एनएमडीसी स्टील प्लांट की भू प्रभावित चार बेटियों को अब प्लांट में नौकरी मिलने जा रही है। नगरनार की योगिता बाला, अरुणा पटनायक, अन्नापूर्णा पटनायक और फूलमती के मामले में प्रशासन ने दस वर्ष बाद गलती मान ली है। नगरनार प्लांट के भू अधिग्रहण में उस समय जिला प्रशासन ने पैतृक संपत्ति में बेटों को ही हकदार माना था। कुछ मामलों में उन्हीं बेटियों को नौकरी के लिए पात्र माना, जिनके परिवार में बेटा नहीं था। 71 ऐसी बेटियां हैं, जो पैतृक संपत्ति की हकदार हैं, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं दी गई। इसके लिए लंबी लड़ाई चल रही है।


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