BHOPAL. ऑफिस में काम करते-करते जब आप थक जाते हैं तब आपका दोस्त आपसे कहता है कि एक कप कॉफी हो जाए। कॉफी पीने के बाद आप खुद को तरोताजा और एनर्जेटिक महसूस करते हैं। सुबह, दोपहर या शाम हो, आज हर किसी के हाथ में कॉफी का कप होता है। कॉफी विश्व में सबसे ज्यादा पी जाने वाले पेय पदार्थों में से एक है लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि सबसे पहले कॉफी कहां उगाई गई थी। इस कमाल की ड्रिंक को भारत कैसे लाया गया था। आज इंटरनेशनल कॉफी डे है और हम आपको देंगे कॉफी से जुड़ी हर रोचक जानकारी।
सबसे पहले अरब में उगाई गई थी कॉफी
15वीं शताब्दी में सबसे पहले अरब के लोगों ने कॉफी को उगाया था। अरब और यमन के रहवासी ही कॉफी को पीते थे। कॉफी के बीजों को पहले पीसा जाता था, फिर पानी में मिलाकर पीते थे। यमन के लोगों ने ही अरबी में इसका नाम कहवा रख दिया जिससे कॉफी और कैफे जैसे शब्द बने हैं। कॉफी के बीजों को अरब से बाहर ले जाना कानूनी तौर पर प्रतिबंधित था, ऐसा करने वाले को सख्त सजा दी जाती थी।
कॉफी को भारत लाए मुस्लिम संत बाबा बुदान
मुस्लिम संत बाबा बुदान कॉफी को यमन से भारत लेकर आए थे। बाबा बुदान जब हज से लौट रहे थे तब उन्होंने रास्ते में लोगों को इसे पीते देखा। जब बाबा बुदान ने कॉफी का स्वाद चखा तो उन्हें काफी पसंद आया। बाबा बुदान ने कॉफी को भारत ले जाने के बारे में सोचा। ऐसा कहा जाता है कि बाबा बुदान कॉफी के 7 बीजों को अपनी कमर में बांधकर भारत लाए थे। उन्होंने कॉफी के पौधे को कर्नाटक में उगाया और फिर भारत के लोगों ने कॉफी के स्वाद का आनंद लिया।
कॉफी पीने के फायदे
- शरीर को ऊर्जा मिलती है।
सबसे ज्यादा कर्नाटक में होता है कॉफी का उत्पादन
भारत के दक्षिण भारतीय राज्यों के पहाड़ी इलाकों में सबसे ज्यादा कॉफी का उत्पादन होता है। यहां करीब 8 हजार 200 टन कॉफी का उत्पादन होता है। कर्नाटक में सबसे ज्यादा 53 प्रतिशत, केरल में 28 प्रतिशत और तमिलनाडु में 11 प्रतिशत तक कॉफी का उत्पादन होता है।
सबसे पहले साउदी अरब के मक्का में खुले कॉफी हाउस
सबसे पहले साउदी अरब के मक्का में कॉफी हाउस खोले गए, जिन्हें 'कावेह कानेस' कहा जाता था। लंदन में सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के लोगों ने ऐस्प्रेसो मशीन वाली कॉफी शॉप खोली। 1652 में लंदन में पहला कॉफी हाउस खोला गया।
इंडियन कॉफी हाउस का इतिहास
1936 में कॉफी सेस कमेटी ने इंडिया कॉफी हाउस की शुरुआत की। बॉम्बे में इसका पहला आउटलेट खोला गया। 1940 के दशक में पूरे ब्रिटिश भारत में लगभग 50 इंडिया कॉफी हाउस थे। देश के स्वतंत्र होने के बाद 1950 में इंडिया कॉफी हाउस को बंद कर दिया गया। कॉफी बोर्ड ने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद कॉफी हाउस के कर्मचारियों ने नेता एके गोपालन ने एक सोसाइटी बनाई और कॉफी हाउस की बागडोर संभाली। अब इसका नाम इंडियन कॉफी हाउस कर दिया गया।
27 अक्टूबर 1957 को खुला पहला इंडियन कॉफी हाउस
19 अगस्त 1957 को बेंगलुरु में इंडियन कॉफी वर्कर कोऑपरेटिव सोसाइटी की स्थापना हुई। 27 अक्टूबर 1957 को दिल्ली में पहला इंडियन कॉफी हाउस खोला गया। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में इसकी ब्रांच खोली गईं। आपको बता दें कि केरल में सबसे ज्यादा इंडियन कॉफी हाउस हैं। शुरुआत में एक कप कॉफी की कीमत एक आना थी।
क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल कॉफी डे ?
दुनियाभर में कॉफी के उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल कॉफी डे मनाया जाता है। ये दिन उन लाखों किसानों के लिए समर्पित है जो कॉफी को उगाते हैं। इंटरनेशनल कॉफी डे का उद्देश्य पूरे विश्व में कॉफी के व्यापार को बढ़ावा देना है जिससे कॉफी उत्पादकों को आर्थिक रूप से मदद मिल सके। ये दिन उन किसानों के लिए समर्पित है जो कॉफी बीन्स उगाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
दुनिया की सबसे महंगी कॉफी
ओस्पिना डायनेस्टी कॉफी
ओस्पिना डायनेस्टी एक कोलंबियन कॉफी है। ये दुनिया की बेहद महंगी कॉफी में से एक है। अगर आप इसे खरीदना चाहें तो 450 ग्राम कॉफी के लिए आपको करीब 1 लाख 25 हजार रुपए चुकाने होंगे।
ब्लैक आईवोरी कॉफी
ब्लैक आईवोरी कॉफी एक यूनीक तरह की कॉफी है। ये हाथी के पेट से होकर गुजरती है। हाथियों को कॉफी बीन्स खिलाई जाती हैं और वे जब मल के तौर पर बीन्स को बाहर निकालते हैं। उसके बाद प्रोसेस करके इस कॉफी को तैयार किया जाता है। 450 ग्राम ब्लैक आईवोरी कॉफी की कीमत करीब 1 लाख 22 हजार रुपए है।
कोपि लुवाक
कोपि लुवाक दुनिया की महंगी और पॉपुलर कॉफी की लिस्ट में शुमार है। ये भी एक जानवर के पेट से होकर गुजरती है। सिवेट बिल्लियों को कॉफी बीन्स खिलाई जाती हैं। इसके बाद उनके मल से कॉफी बीन्स निकाली जाती हैं और फिर प्रोसेस करके कॉफी बनाई जाती है। 450 ग्राम कोपि लुवाक खरीदने के लिए आपको करीब 48 हजार 900 रुपए चुकाने होंगे।