छत्तीसगढ़ की राजनीति में अहम भूमिका है नारायणपुर विधानसभा सीट की, कला और संस्कृति के लिए पूरे देश में है प्रसिद्ध

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Vivek Sharma
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छत्तीसगढ़ की राजनीति में अहम भूमिका है नारायणपुर विधानसभा सीट की, कला और संस्कृति के लिए पूरे देश में है प्रसिद्ध

NARAYANPUR.  छत्तीसगढ़ का एक खूबसूरत जिला है नारायणपुर। 11 मई 2007 को बनाए गए इस जिले में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है। आदिवासी बाहुल्य इस इलाके में घने जंगल, पहाड़ी, नदियां, झरने प्राकृतिक गुफाओं की भरमार है। ये इलाका अपनी कला और संसकृति के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। वहीं इस इलाके की राजनीति भी छत्तीसगढ़ में अहम भूमिका निभाती है।



सियासी मिजाज 



 नारायणपुर विधानसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आई। पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस के रामेश्वर ने जीत दर्ज की। यह सीट शुरु से ही आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित थी। साल 1962 में महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव के कारण यहां से निर्दलीय उम्मीदवार ने यहां से जीत दर्ज की। 1967 में एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार बी जयदेव ने यहां जीत का परचम लहराया। 2003 से लेकर 2013 तक तीन चुनाव में यहां बीजेपी ने मैदान मारा लेकिन 2018 में कांग्रेस के चंदन कश्यप ने बीजेपी के कद्दावर नेता केदार कश्यप को चुनावी अखाड़े में पटखनी दे दी।



सियासी समीकरण 



 आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से ही बीजेपी का एकतरफा राज रहा। बीजेपी के केदार कश्यप यहां से दो बार जीतकर मंत्री पद तक पहुंचे। साल 2003 से लेकर 2013 तक इस सीट पर बीजेपी का परचम लहराता रहा। बीजेपी के इस किले में सेंध लगाने का काम किया कांग्रेस के चंदन कश्यप ने। चंदन कश्यप ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे बीजेपी के केदार कश्यप को नजदीकी मुकाबले में मात्र 2700 वोटों से हराया।



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जातिगत समीकरण 



 नारायणपुर आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट है यहां 1 लाख 39 हजार 820 मतदाता हैं। इनमें पुरुष 70 हजार 104 जबकि महिला मतदाता 69 हजार 716 हैं। यहां आदिवासी वर्ग की करीब 88 फीसदी आबादी है जबकि SC वर्ग करीब 4 फीसदी है। इस इलाके की साक्षरता दर 48 फीसदी के लगभग है। 2018 में हुए चुनाव में इस इलाके में मात्र 44 फीसदी ही वोटिंग हुई थी।



मुद्दे 



  नारायणपुर अबूझमाड़ का प्रवेश द्वार है। ये इलाका नक्सली मसलों के चलते अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, बिजली सहित मूलभूत सुविधाओं की दरकार है। अबूझमाड़ के कई इलाके अब भी प्रशासन की पहुंच के बाहर है। इलाके में हालांकि पुलिस की सक्रियता बढ़ी है। इलाके में अब चहल-पहल सामान्य रुप से दिखाई देने लगी है। वहीं अंदरुनी इलाकों में अब भी ग्रामीण  फोर्स के कैंपों को विरोध करते रहते हैं।

इन सब समस्याओं को लेकर जब हमने कांग्रेस-बीजेपी और आम आदमी पार्टी के नुमाइंदो से बात की तो वे एक-दीसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आए



द सूत्र ने इसके अलावा जब इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और इलाके के आम लोगों से बात की तो कुछ सवाल निकल कर आए।




  • निर्माण कार्य के लिए राशि माँगते हैं तो आप यह कह देते हैं मेरे पास पैसे नहीं है ?


  • भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप आप पर लगता है ? 

  • आदिवासी आंदोलन पर हैं उनके मसले कैंप को लेकर हैं आप मिलने तक नहीं जाते?

  • ग्रामीण क्षेत्रों में आपकी मौजूदगी नहीं है, ऐसा क्यों ?

  • अबूझमाड़ में पट्टे बांटने का दावा किया गया, फर् पट्टे बनने का आरोप है ?




  • इन सवालों के जवाब में विधायक चंदन कश्यप ने क्या कुछ कहा 




    • जनता के सवालों के जवाब में बोले विधायक चंदन कश्यप


  • जब फंड नहीं होता तब राशि मांगते हैं।

  • लोगों को भड़काकर फंड की मांग करते हैं।

  • जिला मुख्यालय पर सभी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध है।

  • इलाके में कहीं भी फोर्स के कैंप का विरोध नहीं है।

  • विकास के लिए कैंप खुलना ज्यादा जरुरी है।

  • ग्रामीण दबाव में कैंपों का विरोध करते हैं।

  • पट्टे को लेकर कहीं कोई विरोध नहीं है।

  • विपक्षी लोगों का प्रोपोगेंडा है पट्टे का विरोध।



  • प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन



    यह बस्तर जिले से बनाया गया था। नारायणपुर शहर इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इस जिले में 366 गांव हैं। नारायणपुर जिला का क्षेत्रफल 20.98 किमी है। जिला कोंडागांव, अंतगढ़, छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से घिरा हुआ है। जिला नारायणपुर की जनसंख्या 1,40,206 है, जिसमें पुरुष और महिला 70,18 9 और 58,37 9 क्रमश: क्रमशः जनगणना 2011 में। कुल जनसंख्या का 70% से अधिक आदिवासी लोग है, जैसे गोंड जनजाति, मारिया, मुरिया, ध्रुव, भात्रा, हला जनजाति आदि । नारायणपुर जिला को दो खंडों में बांटा गया है, अर्थात नारायणपुर, ओर्चा और दो तहसील। आदिवासियों और प्राकृतिक संसाधनों की भूमि भी प्राकृतिक सुंदरता और सुखद माहौल से समृद्ध है। यह घने जंगल, पहाड़ी पहाड़ों, नदियों, झरने, प्राकृतिक गुफाओं से घिरा हुआ है। यहां कला और संस्कृति बस्तरिय्या के मूल्यवान प्राचीन गुण हैं।



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