छग में ED की कार्रवाई पर CM भूपेश का सवाल- शराब मामले में ECIR नंबर ही नहीं ED कार्रवाई कैसे कर रही है, राज्य सरकार कोर्ट गई है

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Yagyawalkya Mishra
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छग में ED की कार्रवाई पर CM भूपेश का सवाल- शराब मामले में ECIR नंबर ही नहीं ED कार्रवाई कैसे कर रही है, राज्य सरकार कोर्ट  गई है



Raipur।छत्तीसगढ़ में पहले कोयला और अब शराब घोटाला में चल रही कार्रवाई पर सीएम भूपेश ने सवाल खड़े करते हुए कार्रवाई के विधिक अधिकार पर सवाल खड़े किए हैं। सीएम भूपेश ने ईडी की कार्रवाई को राज्य सरकार को बदनाम करने और लोगों को प्रताड़ित करने वाली कार्रवाई निरुपित किया है।





कोयला घोटाला मामले पर बोले



 ईडी ने राज्य में कोयला घोटाला और अवैध वसूली गिरोह मामले में कार्रवाई की है। इसमें राज्य की सर्वाधिक शक्तिशाली महिला याने सीएम सचिवालय में उप सचिव ( निलंबित ) सौम्या चौरसिया को भी ईडी ने गिरफ़्तार किया है। इसमें सूर्यकांत तिवारी को मामले का किंगपिन ईडी ने बताया है। इस मसले पर सीएम भूपेश ने कहा 



“छत्तीसगढ़ में दो प्रायवेट माईंस है, दो राज्य सरकारों का है. शेष सभी SECL का है। यदि कोई घोटाला हुआ है तो SECL के अधिकारी के बिना कैसे हो सकता है ? खदानों की सुरक्षा की जवाबदेही, वहाँ से निकलने वाली गाड़ियों की देखरेख यह तो एसईसीएल का ज़िम्मा है।एसईसीएल के किसी भी एक अधिकारी से सवाल पूछे क्या ? नहीं पूछे क्यों नहीं पूछे ? क्योंकि ईडी का उद्देश्य राज्य सरकार को बदनाम करना है, लोगों को प्रताड़ित करना है।”





शराब घोटाला मामले में कार्रवाई पर भी खड़े किए सवाल



सीएम भूपेश बघेल ने शराब घोटाला मामले में ईडी की कार्रवाई पर भी सवाल किए हैं। सीएम भूपेश ने पूछा है कि, जब प्रेडिकेट ऑफेंस नहीं होगा और ECIR नंबर नहीं होगा तो कोई कार्रवाई नहीं होती। शराब मामले में कोई एफ़आइआर नहीं है, और यदि घोटाला हुआ है तो पहला लाभ तो डिस्टलर्स को मिला उन पर कार्रवाई क्यों नहीं किए। सीएम भूपेश ने स्पष्ट किया है कि लोग कोर्ट गए हैं और राज्य सरकार भी कोर्ट गई है।सीएम भूपेश ने कहा 



“लोग गए हैं राज्य सरकार भी कोर्ट गई है। सबसे पहले यह बात यह है जब तक ECIR नंबर नहीं होगा जब तक प्रेडिकेट अफेंस नहीं होगा तब तक कार्यवाही नहीं करती।शराब वाले मामले में कोई एफ़आइआर नहीं है। केवल उन्हीं मुद्दों को लेकर जो आईटी ने रेड डाला था 2020 में, जितने भी डिस्टलर है अधिकारी हैं व्यापारी है उसके ख़िलाफ़ आईटी ने रेड किया था।आईटी ने डिस्टलर ने शपथ पत्र दिया था कि कोई गड़बड़ी नहीं है। उसी डिस्टलर से ईडी पूछताछ कर रही है और उसमें कह रहे हैं कि सब गड़बड़ है। या तो वह शपथ पत्र सही है तो ये ग़लत है। यदि शपथ पत्र ग़लत है तो ये सही है। आखिर सेंट्रल एजेंसी आईटी भी तो है। 2020 में जब जाँच किए थे तो उसमें सारे शपथ पत्र लिखे गए हैं, इन्हीं लोगों के।आज वो उलट हैं इसका मतलब यह है कि  आप मारपीट कर के डरा धमका कर के आप कर रहे हैं। तीसरी बात अभी त्रिलोक ढिल्लन को गिरफ़्तार किए जेल भेज दिए।उसके पास क्या था ? मीडिया से पता चला है कि उसके पास 25 करोड़ का एफ़डी था इससे सिक्योर्ड लोन लिया है।ऑन पेपर है उसको आप गिरफ़्तार कर लिए लेकिन डिस्टलर के यहाँ छापा डालते हैं और 26 करोड़ का ज़ेवर पकड़ते हैं वो गवाह बने हुए हैं। ये ईडी के काम करने का तरीक़ा है। लाभ तो डिस्टलर का है, बोटल वहीं से निकलता था। बिना टैक्स के बोटल निकलेगी तो कहाँ से निकलेगी फ़ैक्टरी से। तो सबसे पहले फ़ायदा किसको हुआ ? डिस्टलर को।”



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