Raipur. संघ प्रमुख मोहन भागवत कुछ देर पहले जशपुर पहुँच गए हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का कल और परसों व्यस्ततम कार्यक्रम है। संघ प्रमुख भागवत कल जशपुर में फ़ायर ब्रांड लीडर स्व.दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। वे इसके बाद अंबिकापुर जाएँगे। अंबिकापुर में परसों याने 15 नवंबर को संघ प्रमुख मोहन भागवत खुले मंच पर बौद्धिक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। संघ प्रमुख प्रमुख भागवत उत्तर छत्तीसगढ़ में पहली बार इतना लंबा समय बिताएँगे।
उत्तर छत्तीसगढ़ का गढ़ बचाने की क़वायद
प्रत्यक्ष रुप से यह कार्यक्रम संघ और वनवासी कल्याण आश्रम पर केंद्रित हैं। अंबिकापुर में होने वाले छ सांगठनिक ज़िलों के स्वयंसेवकों का संयुक्त पथ संचलन और बौद्धिक कार्यक्रम घोषित है। लेकिन इन्हीं के ज़रिए संघ अपनी विस्तार और शक्ति को प्रदर्शित करेगा। उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग ( जशपुर शामिल ) में कुल जमा 14 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी का सूपड़ा साफ़ है। जबकि जशपुर की तीन में से दो सीटें जशपुर और कुनकुरी अरसे से बीजेपी की परंपरागत सीट मानी जाती रही है, लेकिन 2018 की आँधी में बीजेपी अपना कोई क्षेत्र नहीं बचा पाई, गढ़ तो दूर की बात है।संघ प्रमुख भागवत जो कुछ अंबिकापुर के बौद्धिक सत्र में कहेंगे या कि जशपुर में कहेंगे उसके अर्थों को तलाशने की क़वायद पूरी गंभीरता से होगी।
जूदेव के बाद नहीं बच पाया उत्तर छत्तीसगढ़ का गढ़
फ़ायर ब्रांड लीडर जशपुर कुमार दिलीप सिंह जूदेव के निधन के बाद बीजेपी का गढ़ ढहने लगा था। स्व. दिलीप सिंह जूदेव के सबसे छोटे पुत्र युद्धवीर सिंह जूदेव के असामयिक निधन के बाद अब एक शून्य ही शेष है। ऐसा नहीं है कि जशपुर कुमार दिलीप सिंह जूदेव के बाद किसी ने उस जगह पहुँचने की कोशिश नहीं की,लेकिन कोई उनके जैसा तो दूर उनके व्यक्तित्व के औरे के पास भी नहीं पहुँच पाया। वनवासी कल्याण आश्रम मिशन की सक्रियता का प्रभावी जवाब था। स्व़ दिलीप सिंह जूदेव के ऑपरेशन घर वापसी जैसे अभियान, आजानुबाहू दिलीप सिंह जूदेव के व्यक्तित्व के चमत्कृत करने वाले कई आयाम में एक स्वरूप थे। जूदेव के व्यक्तित्व का यह दैवीय आकर्षण था कि वनवासी हो या फिर आम जन मानस सब सीधा रिश्ता जोड़ते थे, और किसी को भी जूदेव ने निराश नहीं किया। पर उनके जाने के बाद शनैः शनैः मामला सम्हाले नही सम्हला और गढ़ बीजेपी के हाथ से निकल गया।
9 बरस बाद प्रतिमा स्थापित होगी
जूदेव के व्यक्तित्व के पासंग ना कोई है और ना दूर दूर तक दिखता है। यह जरुर है कि, जूदेव बन जाने की लालसा कईयों में है, लेकिन जिन्हें यह लालसा है उन्हें यह गौर से देखना समझना चाहिए कि, जूदेव के जूदेव बनने में वर्षों की तपस्या थी, बिलाशक उनके व्यक्तित्व में ऐसा कुछ था जो ईश्वर सभी को नहीं देता। पर जूदेव अगर महल से निकल कर जंगल के वनवासी के हो गए, जूदेव के एक इशारे पर अगर लोगों ने सत्ता का समीकरण बदल दिया तो वह बस यू ही नहीं हुआ था। स्व. जूदेव के देहावसान के क़रीब 9 बरस बाद उनकी प्रतिमा स्थापित हुई है जिसका लोकार्पण संघ प्रमुख भागवत कल करेंगे।यहां ध्यान रखना चाहिए कि,जिस जूदेव को प्रदेश में बीजेपी की सत्ता की वजह माना जाता है,उनके देहावसान के पांच बरस तक बीजेपी का ही शासन था,लेकिन प्रतिमा नहीं लगी थी।