GARIYABAND. एक तरफ तो स्वास्थ्य विभाग और राज्य शासन देश प्रदेश की महिलाओं को नसबंदी करवाने के लिए कई प्रकार की प्रोत्साहन योजनाएं चला रही हैं। इसके लिए तमाम जन जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ एक वर्ग की महिलाओं को अपनी नसबंदी के खातिर कलेक्टर आफिस के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। दरअसल, कुछ विशेष संरक्षित जनजातियों के नसबंदी पर प्रतिबंध है। शासन ने विशेष पिछड़ी जनजाति कमार व भुजिया जनजातियों पर नसबंदी ऑपरेशन पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन आज जिला कार्यालय के जन चौपाल में पहुंचकर सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने नसबंदी ऑपरेशन की इजाजत देने की कलेक्टर से मांग की।
महिलाओं ने ये की मांग
महिलाओं के अनुसार नसबंदी कराने से जनसंख्या कम होगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकेगी और घरों में खुशहाली आ सकेगी। वहीं इस मामले में कलेक्टर का कहना है कि शासन ने जनजातियों की नसबंदी पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसलिए इन जनजातियों की महिलाओं की नसबंदी संभव नहीं है। अन्य तरीकों से महिलाएं चाहती है तो जनसंख्या नियंत्रण कर सकती हैं।
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सप्ताह में एक दिन लगती है जन चौपाल
बता दें कि राज्य शासन के निर्देशानुसार प्रत्येक जिला कार्यालय में सप्ताह में एक दिन जन चौपाल का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में लगातार लोग पहुंचकर अपनी समस्या व मांग को रखकर जिलाधीश से समाधान करवा रहे हैं।
यह संभव नहीं है: कलेक्टर
दरअसल कमार, भुजियां जनजाति की सैकड़ों महिलाएं अपने नसबंदी कराने की मांग को लेकर पहुंची थी। इन महिलाओं ने कलेक्टर से नसबंदी पर से रोक के आदेश को हटवाने की मांग रखी। जिस पर कलेक्टर ने कहा कि यह संभव नहीं है। आपकी मांगें राज्य शासन को भेज दी जाएंगी, लेकिन वे कोई ऐसा आदेश नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि यह जरूर है कि महिलाएं अगर चाहे तो अपनी स्वयं की इच्छा से अन्य तरीकों से अपनी जनसंख्या को नियंत्रित कर सकती हैं।