याज्ञवल्क्य मिश्रा, Bilaspur. प्रदेश के चर्चित कोयला घोटाला और अवैध वसूली गिरोह मामले में गिरफ्तार कोल व्यवसायी सुनील अग्रवाल की जमानत याचिका पर फैसला, जो कि हाईकोर्ट में बीते सत्रह फरवरी से रिजर्व था, उसे 21 मार्च, मंगलवार को हाईकोर्ट ने सार्वजनिक किया है। हाईकोर्ट ने सुनील अग्रवाल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। यह फैसला इस मामले में गिरफ्तार आरोपी, जिनमें करीब-करीब सभी बेहद प्रभावशाली हैं, उनके और उनके समर्थकों के लिए करारा झटका है।
तीन जस्टिस ने सुना नहीं, चौथे जस्टिस ने खारिज किया
सुनील अग्रवाल की जमानत याचिका पर इस फैसले के पहले तीन जजों ने सुनवाई से इंकार कर दिया था। सबसे पहले जस्टिस सचिन सिंह राजपूत, फिर जस्टिस राकेश मोहन पांडेय और उसके बाद जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल ने जमानत याचिका पर सुनवाई से इंकार किया था। इसके बाद यह याचिका सुनवाई के लिए जस्टिस पी सैम कोशी के पास पहुंची। जस्टिस पी सैम कोशी ने इस पर सुनवाई के बाद फैसला सत्रह फरवरी को रिजर्व कर दिया था। आज दो महीने बाद फैसला सार्वजनिक किया गया, जिसमें जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
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क्या है मामला
छत्तीसगढ़ में ईडी ने कार्रवाई करते हुए प्रदेश में कोयला घोटाला और अवैध वसूली गिरोह को पकड़ा है। ईडी के चालान के अनुसार इन में अब तक गिरफ्तार 11 आरोपी प्रति टन 25 रुपए की अवैध वसूली में शामिल थे। ईडी के अनुसार इस गिरोह का किंगपिन सूर्यकांत तिवारी है, जिसे असीमित प्रभाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया की वजह से मिलता था। ईडी ने इस मामले में करीब पौने दो सौ करोड़ की संपत्ति अटैच की है। सौम्या चौरसिया भी केंद्रीय जेल रायपुर में निरुद्ध हैं।
सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर सुनवाई से इंकार
प्रभावशाली सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका को हाईकोर्ट में सुनवाई का इंतजार है। इस जमानत याचिका को जस्टिस सचिन सिंह राजपूत, जस्टिस राकेश मोहन पांडेय और जस्टिस राधेकृष्ण अग्रवाल सुनने से इंकार कर कर चुके हैं। कयास हैं कि अब यह जमानत याचिका सुनवाई के लिए जस्टिस पी सैम कोशी के पास पेश हो सकती है।