Bilaspur। आखिरकार 120 दिनाें बाद 1994 बैच के IPS निलंबित ADG जीपी सिंह को हाईकोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है। यह जमानत की शर्त जेल से रिहाई के बाद निलंबित एडीजी जीपी सिंह को रायपुर प्रवेश से रोकती है, जब कभी जी पी सिंह को रायपुर प्रवेश करना होगा,उन्हे ट्रायल कोर्ट की विशेष अनुमति लगेगी। उच्च न्यायालय और ट्रायल कोर्ट में जब भी पेशी होगी वे हाजिर रहेंगे। निलंबित एडीजी जी पी सिंह आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल में थे।
यह हुआ कोर्ट में
निलंबित एडीजी जीपी सिंह के जमानत पर सुनवाई करीब पौने एक बजे शुरू हुई जो कि चार बजे तक चलती रही। जस्टिस दीपक तिवारी की कोर्ट में जीपी सिंह के अधिवक्ता आशुतोष पांडेय और हिमांशु सिन्हा और राज्य की ओर से अमृतो दास ने तर्क किया। जीपी सिंह की ओर से अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने कोर्ट से कहा
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में 2018 में संशाेधन हुआ जिस में धारा 17 क जोड़ी गई है, जिसके अनुसार किसी भी शासकीय सेवक के खिलाफ यदि शिकायत मिलती है तो उसके नियाेक्ता अधिकारी से एफआईआर के पूर्व पूर्वानुमति लेना है। बतौर आईपीएस जीपी सिंह पर एफईआर के पूर्व यह अनुमति ना छत्तीसगढ़ के गृह विभाग से ली गई और ना ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से। इस मामले में अभियोजन की स्वीकृति भी नही आई है, आय से अधिक संपत्ति में आय और व्यय की गणना भी गलत है। जबकि चालान जमा हो चुका है, इन परिस्थितियाें में जबकि अभियाेजन की स्वीकृति नहीं है, याचिकाकर्ता के विरूद्ध विचारण ही शुरू नहीं हो सकता, और अभियुक्त 120 दिनों से जेल में है, इसलिए याचिकाकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए।
सशर्त है जमानत,रायपुर में जीपी को सीधी एंट्री नहीं
इस मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होते हुए जमानत दिए जाने को स्वीकृति दे दी है। हालांकि यह जमानत सशर्त है। जीपी सिंह के अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने द सूत्र से कहा है कि, जी पी सिंह को जो जमानत दी गई है,उसमें उनके रायपुर प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। ट्रायल कोर्ट की पेशियाें पर और जबकि हाईकोर्ट में पेशियां होंगी उन्हें उपस्थित होना होगा। यदि किसी अन्य कारण से जीपी सिंह को रायपुर आना हुआ तो उन्हें पहले ट्रायल कोर्ट की अनुमति अनिवार्य होगी।
अर्श से फर्श पर जीपी सिंह
रमन सरकार और फिर भूपेश सरकार के खासमखास माने गए पर हालिया दिनों तक अपने दुर्दिनाें में मौजूद गुरिंदर पाल सिंह याने 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह जबकि जेल भेजे गए तब तक वे छत्तीसगढ़ में एडीजी हो चुके थे। डॉ रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल वाली भाजपा सरकार के समय और फिर भूपेश बघेल के मुख्यमंत्रित्व काल वाली इस कांग्रेस सरकार के शुरूआती करीब डेढ बरस तक जीपी सिंह की तूती बोलती रही। जीपी सिंह इस कदर प्रभावशाली माने गए कि, कांग्रेस सरकार के दौरान प्रभावशाली स्थानांतरणों और प्रशासनिक निर्णयाें में खासकर पुलिस विभाग में उनकी अहम भूमिका होने की चर्चाएं रहीं। जीपी सिंह अक्सर कर अप्रिय कारणाें से विवादों में रहे हैं,इनमें जगदलपुर में पदस्थापना के दौरान ग्रामीणाें को नक्सली के रूप में सरेंडर बताना,फर्जी मुठभेड़,बस्तर एसपी रहते हुए तत्कालीन आईजी एम डब्लू अंसारी के निवास पर छापा,बिलासपुर आईजी रहते हुए एसपी राहुल शर्मा की खुदकुशी मामले खासे चर्चित रहे हैं। लेकिन यह जीपी सिंह का प्रभाव रहा कि, वे हमेशा बचते चले गए। भूपेश सरकार के समय भी जीपी सिंह के जलवे कायम रहे,बल्कि तब वे और प्रभावशाली हुए,उन्हें भूपेश बघेल सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा का चीफ बना दिया। लेकिन जनवरी 2021 के बाद जीपी सिंह के दुर्दिन शुरू हो गए। खबरें तेजी से अफवाह की तरह आई कि, भूपेश सरकार में सीएम बघेल के बेहद करीबी किसी मंत्री को लेकर एडीजी जीपी सिंह ने गोपनीय जांच पड़ताल भी शुरू की थी, जिसके ठीक बाद जीपी सिंह के सितारे गर्दिश में आ गए थे। इन अफवाहनुमा खबरों की कभी पुष्टि नहीं हुई। निलंबित जीपी सिंह के खिलाफ राजद्राेह एक्सट्रॉशन और आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज हुए। जिनमें से राजद्रोह और एक्सट्रॉशन के मामले में तो उन्हें कोर्ट से स्थगन के रूप में राहत मिली लेकिन आय से अधिक संपत्ति में उन्हे राहत नहीं मिली थी, और इसी मामले में वे जेल में थे। जिस छत्तीसगढ़ पुलिस पर कभी जीपी सिंह की धमक चलती थी,उसी छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल दाखिल करा दिया था।