Raipur। बिहार की समृद्ध राजनैतिक पृष्ठभूमि से आतीं पूर्व लोकसभा सांसद रंजीत रंजन ने नामांकन दाखिल कर दिया है।प्रदेश की विधानसभा में जो आंकडे हैं उनमें जीत भी शर्तिया तय है, हालाँकि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा ही उपजाई छत्तीसगढ़िया वाद की लहलहाती फसल फ़िलहाल कँटीली घास की तरह सूबे की सियासत में कांग्रेस को ही चुभ रही है।सवाल इस रुप में भी सामने आ रहे हैं कि, अब तक जो बाहर से प्रतिनिधि बनाकर राज्यसभा भेजे गए आख़िर उन्होंने प्रदेश के मुद्दों पर किसी सक्रियता रखी, या कि केंद्र से राज्य के हितों को लेकर उच्च सदन में क्या कभी कुछ ऐसा कहा जो सदन के रिकॉर्ड में दर्ज हो।मगर यह सवाल कहीं बहुत बाद में आता है फ़ौरी तौर पर बेहद तीखी चुभन तो सीएम बघेल के बहुप्रचारित और हर संभव क़वायद के साथ पोषित “छत्तीसगढ़िया वाद” के इस चुनाव में बाजरिया प्रत्याशियों से उठ रहे सवाल और तीखे तंज हैं। हालाँकि इस चुभन से फ़ौरी तौर राज्यसभा के नतीजों पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है। इन सियासती माहौल के बीच द सूत्र ने रंजीत रंजन से बात की।
रंजीत रंजन उस बिहार से हैं जहां कांग्रेस सीधे तौर पर 32 साल से अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पाई है, 1990 की मंडल की आँधी ने कांग्रेस को सत्ता के लिए बंजर बनाया और वह सिलसिला आज तक जारी है। यह वही बिहार है जहां 1952 से लेकर 1990 तक कांग्रेस का शासन रहा, और यह वही बिहार है जहां इस शासनकाल के दौरान 18 मुख्यमंत्री बने जिनमें से एक ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए। बिहार ने और बिहार की राजनीति ने देश की राजनीति को नए प्रयोग की राह और नए शब्दों से हमेशा समृद्ध किया है।”बाहूबली” यह शब्द भी राजनीति में सहजता से स्वीकार बिहार से ही हुआ। सिख धर्मावलंबी रंजीत रंजन के पति राजेश रंजन जिन्हें पप्पू यादव के नाम से ज़्यादा सहजता से पहचाना जाता है, वे बाहूबली के उसी चिर परिचित फ़ॉर्मेट से आते हैं जिसके अविष्कार के लिए बिहार जाना जाता है।
रंजीत रंजन बेहद तेज तर्रार और वाक्यचातुर्य का वह सामंजस्य रखती हैं जिसकी बेहद अहम जरुरत अपने पाँव खड़े होने के लिए ना केवल बिहार कांग्रेस को बल्कि हर प्रदेश में कांग्रेस को है। छत्तीसगढ़ वाद के किसी सवाल के पूछे जाने के पहले रंजीत रंजन ने कुछ यूँ अपनी बात शुरु की
“बिहार के किसी व्यक्ति को पहली बार किसी अन्य राज्य से सम्मान मिला है,ये बेहद अच्छा मैसेज गया है।बिहार वालों को काफ़ी ख़ुशी हुई है।कांग्रेस नेतृत्व मैडम सोनिया गांधी, राहुल गांधी जी ने जो विश्वास जताया है मैं उसकी आभारी हूँ। देश की सबसे बड़ी पंचायत जहां देश की बात होती है, देश का क़ानून बनता है, वहाँ भेजा जा रहा है।वहाँ के लिए भरोसा जताया गया है, बिहार में इससे जो उत्साह आया है इसका नतीजा आने वाले समय में दिखेगा”
रंजीत रंजन ने इससे आगे यह शब्द जोड़े
“मुझसे कई लोग सवाल कर रहे हैं छत्तीसगढ़िया को लेकर, मैं उन्हें यह बताना चाहती हूँ कि,जब आबाद घर होता है,तो माँ अपने उस बच्चे को, मुखिया अपने उस बच्चे को आबाद घर से थोड़ा हिस्सा दिला देती है”
इस सवाल पर कि, उनके पहले मोहसीना किदवई या कि हालिया दिनों केटीएस तुलसी राज्यसभा गए पर उन्हें सवाल उठाते तो दूर प्रदेश में ही नहीं देखा गया। इक्का दुक्का प्रवास की बात और है।इस पर रंजीत रंजन ने कहा
“तुलसी जी बड़े वकील हैं,मोहसीना जी बेहद सीनियर लीडर रही हैं, मैं बेहद छोटी हूँ उनके सामने, मैं उस पर इसलिए कुछ नहीं कह सकती, पर आपको यह बता सकती हूँ, मैं बिहार में जीती या हारी पर मैं हमेशा वहाँ दिखती रही हूँ”
रंजीत रंजन के पति राजेश रंजन की अदावत राजद से है, क्या आने वाले समय में राजद और कांग्रेस का गठबंधन हो सकता है, इस सवाल पर रंजीत रंजन ने कहा
“हमारा फ़ोकस पार्टी को मज़बूती देना है,मंथन शिविर में जो विषय आया वह यही है कि अधिकतर प्रदेशों में यदि हम मात खा गए तो वजह यही थी कि हम रिजनल पार्टी पर डिपेंड हो गए,हमने अपनी ज़मीन अपने आधार पर काम नहीं किया।यह भी स्थापित है कि पूरे देश में लोगों के लिए काम करने वाली यदि कोई पार्टी है तो वो कांग्रेस है, आज भले हालत ख़राब है, तो हमको अपनी ज़मीन अपना आधार फिर से तैयार करना है, 24 में लोकसभा और 25 में बिहार विधानसभा चुनाव है, गठबंधन का फ़ैसला आलाकमान का होता है”
रंजीत रंजन से आख़िरी सवाल हुआ कि बतौर राज्यसभा सांसद वे सदन में छत्तीसगढ़ को लेकर कौन सा मुद्दा उठाएँगी तो जवाब आया
“ये मैं अभी से कह दूँ तो छोटापन होगा, यहाँ हमारे सीनियर लीडरान हैं, उनसे बैठ के बात करुंगी।दो तरह के लोग राजनीति में आते हैं एक पद के लिए आते हैं एक ज़मीन से जुड़े होते हैं सीएम बघेल साहब ज़मीन से जुड़े हुए नेता हैं, मैं उनसे मार्गदर्शन लूँगी.. हाँ यह बात बेहद मज़बूती से कह सकती हूँ कि आशीर्वाद मिल गया तो छत्तीसगढ़ की आवाज़ उच्च सदन में लगातार गूंजते रहेगी”