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शिवम दुबे, Raipur. छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण मुद्दे को लेकर 8 जनवरी को समस्त आदिवासी समाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। पूर्व विधायक भोजराज नाग ने कहा कि इलाके में हमारे खिलाफ ही षड्यंत्र किया जा रहा है। हमारे भाइयों के साथ खुले आम मारपीट हो रही हैं और शासन प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। उल्टा जो शिकायत कर रहा है, उनको ही गिरफ्तार किया जा रहा है।
एड़का पंचायत के गोर्रा गांव में धर्मान्तरित ईसाइयों की भीड़ ने की मारपीट
बस्तर के जनजातीय समाज के प्रमुखों ने नारायणपुर में हुई घटना को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। जिसमें बताया गया कि बीते 31 दिसंबर एवं 1 जनवरी को नारायणपुर के एड़का पंचायत के गोर्रा गांव में धर्मान्तरित ईसाइयों की भीड़ ने जनजाति समाज के लोगों पर जानलेवा हमला किया था, जिसके बाद कई जनजाति ग्रामीणों को अपनी जान की रक्षा के लिए घटनास्थल से भागना पड़ा था। ईसाइयों के इस हिंसक हमले में कई जनजातीय ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हुए।
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ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्मान्तरण की अवैध गतिविधियां हो रही संचालित
वार्ता के दौरान समाज प्रमुखों ने बस्तर की स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि पूरे संभाग में ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्मान्तरण की अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। इस दौरान मिशनरी के सदस्य भोले भाले जनजातियों को निशाना बनाकर उनका मतांतरण कर रहे हैं। इसके लिए मिशनरियों के द्वारा जनजातीय समाज के ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिए जा रहे हैं, जिससे दिग्भ्रमित कर उन्हें ईसाई बनाया जा रहा है।
जनजातीय संस्कृति, पूजा पद्धति एवं रीति-रिवाजों को बनाया जा रहा निशाना
वार्ता में आगे कहा कि ईसाई मिशनरियों के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में चंगाई सभा के नाम पर जनजाति निवासियों को भ्रम के जाल में फंसाया जा रहा है। साथ ही उन्हें यह कहा जा रहा है कि यदि वे यीशु की शरण में आएंगे तो उनके सारे दुःख दूर हो जाएंगे। इन सब के अलावा जनजातीय संस्कृति, पूजा पद्धति एवं रीति-रिवाजों को भी ईसाइयों के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। जनजातीय पर्वों के दौरान धर्मान्तरित समूहों के द्वारा इसका विरोध किया जाता है। साथ जनजातियों के देवी- देवताओं का उपहास भी उड़ाया जाता है।
जनजाति समाज के वरिष्ठ नागरिकों ने कहा- प्रशासन कर रहा है पक्षपात
जनजाति समाज के वरिष्ठ नागरिकों ने छत्तीसगढ़ की सरकार और जिला एवं पुलिस प्रशासन पर भी पक्षपात का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि हाल ही में नारायणपुर में हुई हिंसा की घटना में प्रशासन निष्पक्ष नहीं है। इसके अलावा जनजातीय नेतृत्वकर्ताओं ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर ईसाइयों से मिले होने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जब आदिवासी समाज पर ईसाइयों ने प्राणघातक हमले किए तब शिकायत के बावजूद पुलिस और प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इसके बाद जब इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ छिटपुट घटना हुई, तब उसके बाद पुलिस ने जनजातीय ग्रामीणों को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया।
आदिवासी समाज ने की मामले की CBI जांच की मांग
जनजाति प्रमुखों ने आरोप लगाया है कि ईसाइयों के द्वारा किए गए हमले में जनजातीय ग्रामीण ही नहीं, बल्कि पुलिस बल को भी चोट पहुंची है, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जनजातीय समाज के लोगों ने प्रेस वार्ता में कहा कि यदि पुलिस और जिला प्रशासन ईसाई आरोपियों पर त्वरित कार्रवाई करता तो आदिवासी समाज इतना आक्रोशित नहीं होता। आदिवासी समाज का कहना है कि पुलिस और प्रशासन की जांच इस मामले में अब निष्पक्ष नहीं है। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
आदिवासी समाज ने ये मांगें सरकार के सामने रखीं
आदिवासी समाज का कहना है कि प्रदेश में जिस तरह से धर्मान्तरण की अनैतिक गतिविधियां चल रही है, उस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। इसके अलावा पत्रकारों से चर्चा के दौरान जनजातीय समाज के इन नेतृत्वकर्ताओं ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश में भी धर्मान्तरण रोकने के लिए कठोरतम कानून बनाए जाए, जिससे जनजातीय हितों की रक्षा की जा सके। जनजातीय समाज ने राज्य सरकार से मांग की है कि नारायणपुर में आदिवासी समाज के जिन निरपराध लोगों को जेल में डाला गया है, उन पर लगे सभी मामले वापस लेकर बिना शर्त उनकी रिहाई की जाए।