Raipur,19 अप्रैल 2022। राजधानी से क़रीब साढ़े पाँच सौ किलोमीटर दूर जशपुर हुए एक नृशंस हत्याकांड ने फिर से साबित किया है कि, अब भी प्रदेश के दूरस्थ इलाक़ों में अंधविश्वास की जड़ें किस कदर गहरी हैं।पत्नी और बेटी के बीमार रहने का कारण जादू टोने को मानते हुए ग्रामीण ने पहले वृद्धा की फावड़े से हत्या कर दी और फिर क़रीब चार घंटे बाद दुबारा शव से गर्दन का आरी से काट दिया। ग्रामीण का यह मानना था कि, मृतका जादू टोना जानती है,इसलिए वो मरेगी नहीं बल्कि ज़िंदा हो जाएगी।यदि धड़ और गर्दन अलग हो जाए तो वह जीवित नहीं हो पाएगी। जशपुर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
घटनाक्रम गाँव जकबा का है, जहां 65 वर्षीया सुनिया बाई झोपड़ी में अकेले रहती थी।मृतका के दो बच्चे अलग रहा करते थे। जकबा में ही बसंत मिंज परिवार के साथ रहता था,उसकी पत्नी और बेटी की अचानक तबियत बिगड़ने लगी।बसंत मिंज को शंका हुई कि सुनिया बाई ने जादू टोना किया है। बसंत मिंज टांगी ( कुल्हाड़ी) को लेकर सुनिया बाई के घर गया और उसने कहा कि, मेरे पत्नी और बच्चे को ठीक कर दो, मृतका वृद्धा ने उससे कहा कि वह कुछ नहीं की है, इस पर आक्रोशित होकर बसंत ने टांगी से सुनिया बाई के सर पर प्राणघातक वार कर दिया,मौक़े पर ही सुनिया की मौत हो गई।यह घटना सुबह क़रीब दस बजे हुई,रात ग्यारह बजे बसंत मिंज को यह लगा कि मृतिका जादू टोना जानती है और फिर से ज़िंदा हो जाएगी यह सोच कर वह फिर से मृतिका की झोपड़ी में गया और आरी से गला काट कर अलग कर दिया।
बीते 11 अप्रैल को घटित इस खौफनाक घटना में पुलिस आरोपी बसंत मिंज तक 17 अप्रैल को पहुँची।पुलिस को बसंत मिंज से पूछताछ में पूरे चौबीस घंटे की मेहनत करनी पड़ी जिसके बाद उसने पूरा घटनाक्रम बता दिया। पुलिस आरोपी को न्यायालय में पेश कर जेल दाखिल कर रही है।
जशपुर जैसे इलाक़ों में ऐसी घटना का यह कोई पहला मामला नहीं है। अंधविश्वास को हटाने के लिए सरकारी दावे बेहद गुलाबी हैं, सरकार ने टोनही प्रताड़ना अधिनियम भी बना रखा है लेकिन घटनाएँ थम नहीं रही हैं। जरुरत व्यापक जनजागरण अभियान और सघन मानसिक शारीरिक स्वास्थ्य कैंप लगाने की है।