Raipur. विधानसभा लगातार दूसरे दिन भी अपने नियत समय तक नहीं चली और सत्ता पक्ष के शोरगुल और हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही अग़ले दिन के लिए स्थगित कर दी गई। सत्ता पक्ष ने कल के तेवरों को फिर दोहराया और आज सत्ता पक्ष के शोरगुल हंगामा प्रश्न काल में ही शुरु हो गया। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने नाराज़गी जताई लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से लगातार शोरगुल हंगामा जारी रहा। शून्य काल आते ही हंगामा बढ़ गया क्योंकि सत्ता पक्ष को आभास था कि विपक्ष क्वांटेफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट टेबल में रखने की माँग करेगा। विपक्ष शोरगुल के बीच विरोध प्रदर्शन करते हुए गर्भगृह तक आ गया, और इसके बाद सदन की कार्यवाही अगले दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
भड़के विपक्ष ने अध्यक्ष डॉ महंत से माँगी स्थाई व्यवस्था
प्रश्नकाल के दौरान सत्ता पक्ष के हंगामे टोका टोकी और शोरगुल को लेकर भड़के विपक्ष ने शून्यकाल शुरु होते ही अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत से स्थाई आदेश की माँग की। वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा
“प्रश्न काल में विपक्ष प्रश्न ना पूछ पाए, और उसे सत्ता पक्ष द्वारा बाधित किया जाए यह क़तई सही नहीं है। यह सदन की परंपराओं की सीधी अवहेलना है, मेरा आग्रह है इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत व्यवस्था दें और स्थाई आदेश जारी करें।”
बीजेपी के बेहद आक्रामक विधायक अजय चंद्राकर और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने भी आसंदी से सत्ता पक्ष के व्यवहार की तीखी आलोचना करते हुए आसंदी से स्थाई व्यवस्था माँगी। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने विपक्ष की आपत्तियों पर सहमति जताई और कहा है कि वे स्थाई व्यवस्था देंगे।
शून्यकाल में फिर हुआ बवाल, कार्यवाही स्थगित
शून्यकाल शुरु होते ही हंगामा बढ़ गया।एक बार फिर सत्ता पक्ष ने विपक्षी तेवर दिखाए और जमकर हंगामा शोरगुल किया। इस हंगामे के विरोध में बीजेपी ने नारेबाज़ी शुरु कर दी। विपक्ष नारे लगाते हुए गर्भगृह पहुँच गया और इससे बात कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित हो गई। कार्यवाही के स्थगित होने के बाद विपक्षी लॉबी पर नारेबाज़ी करते हुए पहुँचा, विपक्ष के हाथ में तख़्तियाँ भी थीं जिसमें आरक्षण गतिरोध के लिए कांग्रेस को दोषी बताने के साथ साथ क्वांटेफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने की बात लिखी थी।
सत्ता पक्ष का यह व्यवहार क्यों
सत्ता पक्ष के इस विपक्षी व्यवहार के पीछे दो कारण माने जा रहे हैं, पहला तो क्वांटेफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को सदन की टेबल पर रखने से बचना है बल्कि अगर यूँ लिखें कि सत्ता पक्ष इस पर चर्चा से ही बचना चाहता है तो ग़लत नहीं होगा।क्योंकि यदि रिपोर्ट टेबल पर आई तो विपक्ष के पास सवाल अंतहीन हो जाएँगे और सत्ता पक्ष के लिए स्थिति असहज हो जाएगी।दूसरा मसला यह कि आरक्षण विधेयक पर कांग्रेस का आज राजधानी में प्रदर्शन था, इसमें कांग्रेस आरक्षण विधेयक गतिरोध के लिए बीजेपी और राज्यपाल को जवाबदेह बता रही है, सत्ता पक्ष को इसमें शामिल होना था।