Raipur। नौ बरस पहले 12 अप्रैल 2013 को लैपटॉप चोरी के मामले में फँसा देने की धमकी देकर पांच हज़ार की रिश्वत लेने के मामले में रायपुर कोर्ट ने आरोपी सहायक उप निरीक्षक बीजूराम वर्मा और रिश्वत की रक़म रखने वाले सहायक उप निरीक्षक के सहयोगी राजेश स्वामी को तीन तीन साल की सजा सुनाई है।
यह है मामला
घटना में प्रार्थी पंकज वर्मा कोटा ( रायपुर ) निवासी है, उसका एक अन्य घर सरस्वती नगर में है जहां किराएदार रहते हैं।18 मार्च को जबकि पंकज ड्यूटी जाते वक्त किराए वाले मकान में गया तो उसने पाया कि किराएदार राहुल मिश्रा जो कि एनआईटी का छात्र है उसके कमरे का दरवाज़ा खुला है और वहाँ लैपटॉप रखा है, पंकज ने लैपटॉप उठा कर दूसरे किराएदार अवधेश के यहाँ सुरक्षा के दृष्टिकोण से रखवा दिया और ड्यूटी पर चला गया।प्रार्थी पंकज देर शाम जब फिर किराएदारों के मकान में पहुँचा तो राहुल नहीं था उसे बुलवा कर बताया गया कि आपका लैपटॉप सुरक्षित है और अवधेश के यहाँ से निकाल कर दे दिया।
राहुल ने बताया कि उसने रिपोर्ट दर्ज करा दी तो उसे बोला गया कि आप सूचित कर दीजिए कि मिल गया है। राहुल जब थाने में यह आवेदन देने गया तो यह आवेदन नहीं लिया गया। थाने में मौजुद सहायक उप निरीक्षक बीजूराम वर्मा ने मकान मालिक पंकज तो बुलवा कर धमकाया कि, चोरी के मामले में फँस जाओगे, बीस हज़ार रुपए दो। मामला पाँच हज़ार में तय हुआ, 1500 रुपए सहायक उप निरीक्षक बीजूराम ने ले भी लिए। बकाया 3500 देने के बजाय पंकज ACB के पास पहुँच गया और 12 अप्रैल को आरोपी ASI वर्मा सहयोगी राजेश स्वामी के ज़रिए रिश्वत लेते पकड़ लिया गया।
9 साल बाद आया फैसला
इस मामले में कोर्ट ने यह माना कि चोरी का मामला दर्ज ना किए जाने के एवज़ में रिश्वत की माँग का हेतुक विद्यमान था। कोर्ट ने यह भी माना कि सहायक उपनिरीक्षक वर्मा ने सहयोगी राजेश स्वामी के ज़रिए रिश्वत की रक़म ली। चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश ( भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अजय सिंह राजपूत ने एफ़एसआई बीजूराम वर्मा और उसके सहयोगी राजेश स्वामी को तीन तीन साल क़ैद की सजा सुनाई है।