नई दिल्ली/मुंबई. भारत में इंटरनेशनल फ्लाइट से लौटने वालों में मुंबई में तीन पैसेंजर पॉजिटिव मिले। ये लोग 1 दिसबंर को मॉरीशस और लंदन से लौटे थे। गाइडलाइंस लागू होने के बाद इनका RT-PCR टेस्ट कराया गया था। इनके अलावा 30 नवंबर को आइसोलेट किए गए एक विदेशी यात्री की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। इन चार नए मामलों के साथ ही अब मुंबई में नए कोरोना वैरिएंट ओमिक्रॉन के संदिग्ध 5 हो गए हैं। अमेरिका समेत 23 देशों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं। 8 पॉइंट्स में समझें, ओमिक्रॉन और डेल्टा में कौन ज्यादा खतरनाक...
नए वैरिएंट से क्यों खतरा?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने कोरोना के इस नए वैरिएंट (B.1.1.529) ओमिक्रॉन नाम दिया। इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया गया है। इसके बाद से ही दुनिया में चिंता की लहर दौड़ गई है। ओमिक्रॉन को दुनिया भर में तहलका मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट से भी ज्यादा तेजी से फैलने वाला वैरिएंट कहा जा रहा है। इसकी वजह इसकी डेल्टा से भी तेज म्यूटेशन की क्षमता है।
डेल्टा वैरिएंट कहां मिला?
डेल्टा वैरिएंट सबसे पहले अक्टूबर 2020 में भारत में सामने आया। इसने कुछ महीनों के बाद अप्रैल 2021 में कहर बरपाया, जिससे देश में कोरोना की दूसरी लहर आई। डेल्टा भारत, अमेरिका समेत 163 देशों तक फैल चुका है। येल मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट अभी कोरोना का सबसे प्रबल वैरिएंट है, जो मौजूदा वक्त में दुनियाभर के कुल कोरोना केसेस में से 99% के लिए रिस्पॉन्सिबल है।
ओमिक्रॉन कहां मिला?
ओमिक्रॉन का पहला केस 24 नवंबर 2021 को साउथ अफ्रीका में मिला। WHO के मुताबिक, ओमिक्रॉन के पहले ज्ञात संक्रमण का सैंपल 9 नवंबर 2021 को लिया गया था। पहल केस मिलने के महज एक हफ्ते के अंदर ही ओमिक्रॉन बोत्सवाना, हॉन्गकॉन्ग, इजराइल, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड समेत दुनिया के 23 देशों में फैला।
किसमें कितना म्यूटेशन?
शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट से कहीं ज्यादा तेजी से म्यूटेशन करने वाला है। ओमिक्रॉन में 50 म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमें से 30 म्यूटेशन तो उसके स्पाइक प्रोटीन में हुए। स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही कोरोना इंसानी शरीर में एंट्री के रास्ते खोलता है। इसकी तुलना में डेल्टा के स्पाइक प्रोटीन में 18 म्यूटेशन हुए थे।
ओमिक्रॉन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में भी 10 म्यूटेशन हो चुके हैं, जबकि डेल्टा वैरिएंट में केवल 2 ही म्यूटेशन हुए थे। रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन वायरस का वह हिस्सा है, जो इंसान के शरीर के सेल से सबसे पहले संपर्क में आता है।
किस पर कितनी असरदार है वैक्सीन?
लैंसेट की हालिया रिसर्च के मुताबिक, अप्रैल-मई 2021 में भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वैरिएंट पर कोवीशील्ड वैक्सीन काफी असरदार रही। इस रिसर्च के मुताबिक, पूरी तरह वैक्सीनेटेड लोगों पर वैक्सीन की एफिकेसी 63% रही, जबकि डेल्टा से होने वाली मध्यम से गंभीर बीमारी के खिलाफ वैक्सीन की एफिकेसी 81% रही। वहीं, ओमिक्रॉन पर मौजूदा वैक्सीनों के असर को लेकर फिलहाल कोई रिसर्च मौजूद नहीं है, लेकिन इस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 30 से ज्यादा म्यूटेशन की वजह से इस पर मौजूदा वैक्सीनों के बहुत कम प्रभावी रहने या एकदम ही बेअसर रहने की आशंका है।
कैसे असरदार बनती है वैक्सीन?
ज्यादातर वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ ही एंटीबॉडीज तैयार करती हैं, लेकिन ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में तेज म्यूटेशन कैपेसिटी के चलते मौजूदा वैक्सीन इसके खिलाफ बेअसर हो सकती हैं। हालांकि, ओमिक्रॉन पर मौजूदा वैक्सीन की एफिकेसी के आकलन को लेकर रिसर्च जारी है।
कौन कितना खतरनाक?
कोई वायरस कितना खतरनाक है, इसको पता लगाने का एक तरीका ये है कि वो कितनी तेजी से फैल रहा है। वायरस की इस क्षमता को R वैल्यू कहा जाता है। कोरोना के शुरुआती स्ट्रेन की R वैल्यू 2-3 थी, जबकि डेल्टा वैरिएंट की R वैल्यू 6-7 थी। इसका मतलब ये है कि डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित एक व्यक्ति इस वायरस को 6-7 व्यक्तियों में फैला सकता है।
वहीं, ओमिक्रॉन की R वैल्यू डेल्टा से करीब 6 गुना ज्यादा मानी जा रही है, जिसका मतलब है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित अकेला मरीज ही इस वायरस को 35-45 लोगों में फैला सकता है। अब तक ओमिक्रॉन 23 देशों में फैल चुका है। डेल्टा से अधिक संक्रामक क्षमता के कारण इसे कहीं ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है।
किसमें मौत का कितना खतरा?
अक्टूबर 2021 में आई कनाडा की एक स्टडी के मुताबिक, पिछले सभी वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट से हॉस्पिटलाइजेशन का खतरा 108%, ICU में जाने का खतरा 235% और मौत का खतरा 133% बढ़ गया।
अभी ओमिक्रॉन से किसी की मौत का मामला सामने नहीं आया, लेकिन इसकी संक्रामक क्षमता दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत की वजह बने डेल्टा से कहीं ज्यादा है। एक्सपर्ट्स चिंता जता रहे हैं कि ओमिक्रॉन अगर फैला तो ना केवल गंभीर रूप से बीमारों, बल्कि मौतों का आंकड़ा भी डेल्टा से ज्यादा हो सकता है।
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