भोपाल. प्रदेश में RT-PCR रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव आने वाले हर मरीज के जीनोम सीक्वेसिंग (genome sequencing) होगी। स्वास्थ्य विभाग ने 30 नवंबर को इसका आदेश जारी किया है। लेकिन बड़ा सवाल ये कि मध्यप्रदेश में एक भी जीनोम की लैब की नहीं है। हालांकि, इंदौर (MP Genome Sequencing Report) में इसकी लैब बननी थी। लेकिन चार महीने के बाबजूद भी लैब का निर्माण नहीं हो सका।
कैसे होगा आदेश पर अमल
स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने प्रदेश के सभी कलेक्टर, सभी मेडिकल कॉलेज के डीन, CMHO, सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि पॉजिटिव आने वाले मरीजों की जीनोम सीक्वेसिंग हो। लेकिन मध्यप्रदेश के लोगों की रिपोर्ट दिल्ली जाती है और इसकी रिपोर्ट आने में लगभग एक महीने का वक्त लग जाता है। ऐसी स्थिति में जीनोम रिपोर्ट का क्या मतलब?
क्या होती है जीनोम रिपोर्ट
विशेषज्ञों के मुताबिक जीनोम सीक्वेंसिंग से म्यूटेट हो रहे वायरस का पूरा बायोडाटा निकल जाता है कि वो कैसा दिखता है? और कैसे हमला करता है? ये सीक्वेंसिंग इलाज में मदद करती है। इस रिपोर्ट में मरीज के शरीर से वायरस का सैंपल लिया जाता है और लैब में बेहद ताकतवर कंप्यूटर के जरिए उसकी आनुवंशिक संरचना का पता लगाते हैं। इससे उसका जेनेटिक कोड निकल आता है। इससे वैज्ञानिक समझ पाते हैं कि वायरस में म्यूटेशन कहां पर हुआ।
भारत में कहां-कहां जीनोम सीक्वेंसिंग
- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (नई दिल्ली)
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